दुनिया के सारे देश खुद को शक्तिशाली बनाने में लगे हुए हैं. इसी क्रम में अमेरिका की बात करें तो वह एक के बाद एक तकनीक के नए उदाहरण पेश करता जा रहा है.
अमेरिकी नौसेना का हिस्सा बना ‘यूएसएस गेराल्ड आर फोर्ड‘ नामक युद्धपोत इसका बड़ा उदाहरण है. माना जा रहा है कि यह विश्व का सबसे लंबा और शक्तिशाली युद्धपोत है, जिसका सामना करना अमेरिकी दुश्मनों के लिए आसान नहीं होगा.
तो आईये जानने की कोशिश करते हैं कि ऐसा क्या है इस युद्धपोत में कि यह चर्चा में रहा है–
नई खूबियों वाला शक्तिशाली युद्धपोत
अमेरिकी सरकार ने 22 जुलाई 2017 को ‘यूएसएस गेराल्ड आर फोर्ड’ युद्धपोत को अमेरिका की सेना में शामिल किया. इसका नाम संयुक्त राज्य अमेरिका के 38वें राष्ट्रपति गेराल्ड रूडोल्फ फोर्ड जूनियर के नाम पर रखा गया.
यह विशाल जहाज 1,106 फुट लंबा है, जोकि 100,000 टन तक के पूरी तरह से लोडेड हथियारों को ले जाने में सक्षम माना जाता है. इसके अलावा गेराल्ड आर फोर्ड (सीवीएन 78) यूएसएस निमित्ज़ (सीवीएन 68) के बाद पहला नए डिज़ाइन का विमान वाहक पोत है.
इसमें दो नए डिज़ाइन के परमाणु रिएक्टर लगे हैं, जिससे विद्युत उत्पादन के मामले में पिछले जहाजों की तुलना में इसकी क्षमता 250 प्रतिशत अधिक है. कहते हैं कि इस प्रथम श्रेणी के शक्तिशाली जहाज के निर्माण में पांच हजार शिपबिल्डर्स और अमेरिका के हजारों सप्लायरों ने अपना योगदान दिया है.
इसे बनाने का मकसद ही है नए जमाने के साथ चलना. बहुत से देश अमेरिका के प्रतिद्वंद्वी हैं. वह सब भी युद्धपोत के मामले में उससे आगे निकलना चाहते हैं. ऐसे में सिर्फ अमेरिका सबसे एक कदम आगे रहे, इसलिए उन्होंने इस युद्धपोत का निर्माण किया.
USS Gerald Is One Of The Most Advanced Warship (Pic: navylive)
3-डी तकनीक से प्रेरित मॉडल
गेराल्ड आर फोर्ड अमेरिकी नौसेना का पहला ऐसा विमान वाहक जहाज है, जिसे पूरी तरह से कंप्यूटर इंजीनियरिंग में त्रि-आयामी उत्पाद मॉडल का इस्तेमाल करके तैयार किया गया है. शिपबिल्डिंग ने डिजाइन, इंजीनियरिंग, प्लानिंग और निर्माण में नवीनतम और सबसे उन्नत कंप्यूटर टूल क्षमताओं का उपयोग किया है.
जहाज का हर एक हिस्सा 3डी मॉडल पर आधारित है, जिसमें संरचना, विभिन्न उपकरण, पाइपिंग सिस्टम, मशीनरी, यहां तक कि चिकित्सा और किचन तक शामिल हैं. इसके अंदर किसी भी प्रकार की कोई खामी न हो इसलिए इसे बनाने में 3-डी तकनीक का इस्तेमाल किया गया है.
इस युद्धपोत की एक सबसे बड़ी खासियत यह मानी जा रही है कि यह बिना पोत चालक के भी समंदर में सफ़र कर सकता है. जरूरी नहीं है कि इसके लिए कोई चालक हर समय हो ही!
टेक्नोलॉजी के जरिए इसे बिना चालक के भी चलाया जा सकता है. टच-स्क्रीन नेविगेशन डिस्प्ले पर उंगली रखते ही यह अपनी पूरी रफ्तार और ताकत के साथ चल पड़ता है. 13 अरब डॉलर के यूएसएस गेराल्ड आर फोर्ड के निर्माण, विकास और परीक्षण के आठ साल बाद इसको सक्रिय रूप से कमीशन किया गया.
फोर्ड का निर्माण कार्य 2005 में शुरू हुआ था. वर्तमान में यह संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा बनाया गया विश्व का सबसे महंगा युद्धपोत माना जा रहा है.
USS Gerald’s Model Is Made Out Of 3-D Model (Pic: simpleplanes)
जहां से गुजरे दुश्मन थरथराए
युद्धपोत के कमीशन समारोह में अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा कि यह पोत समुद्र में जिस दिशा में भी जाएगा, हमारे दोस्त निर्भीक और निडर रहेंगे. वहीं यह जहां से भी गुजरेगा दुश्मन डरकर थरथराने लगेंगे.
गेराल्ड आर फोर्ड पर रेथियॉन विकसित सी स्पैरो मिसाइल (ईएसएसएम) से लैस है, जो उच्च गति की जहाज विरोधी मिसाइलों के खिलाफ बचाव करती है. इन मिसाइलों के कारण इस पर हमला करना और भी मुश्किल हो जाता है.
यह जहाज कुल 75 लड़ाकू विमानों को एक समय में रख सकता है. इसमें सबसे घातक इसके लॉकहीड ऍफ़-35 और सुपरहोर्नेट लड़ाकू विमान हैं. इनके जरिए यह किसी भी दुश्मन पर पल भर में हमला कर सकते हैं.
अल्ट्रा मॉडर्न वॉरशिप यूएसएस गेराल्ड आर फोर्ड का फ्लाइट डेक का आकार 5 एकड़ का है. लड़ाई के समय इस जहाज से हर रोज 220 उड़ानें भरी जा सकेंगी. इस युद्धपोत की असली ताकत इसके लड़ाकू जहाज ही हैं. यह इतने सारे हैं और इतनी जल्दी यह उड़ान भर सकते हैं कि पल भर में दुश्मन का काम तमाम हो जाए.
इस पोत की एक अन्य ख़ास बात यह है कि इसमें एक साथ 15,000 लोगों का खाना रोज बनाया जा सकता है. इसकी वजह से इसमें एक बड़ी सेना की टुकड़ी रखी जा सकती है.
बताते चलें कि गेराल्ड आर फोर्ड काे साल 2015 में कमीशन किया जाना था, लेकिन कुछ कारणों से इसमें देरी हुई, इससे इसका बजट 16 हजार करोड़ रुपए बढ़ गया.
Gerald Have One Of The Most Dangerous Missiles (Pic: pintrest)
सवालों के घेरे में ‘तकनीक’?
यह पूरी तरह से आधुनिक और तकनीक से लैस युद्धपोत है.
बावजूद इसके अमेरिका रक्षा विभाग ने ही यूएसएस फोर्ड पर सवाल उठाए हैं. जहाज में लगी नई तकनीकों, नवनिर्मित कैटलपल्ल्ड्स, गियर, हथियार और रडार की विश्वसनीयता सवालों के घेरे में है. कहा जा रहा है कि जहाज के कई सिस्टम अपरिपक्व हैं और अपेक्षित स्तर तक प्रदर्शन करने में सक्षम नहीं हैं.
सैन डिएगो यूनियन-ट्रिब्यून ने फोर्ड के निर्माण को नौसेना के लिए कम कारगर बताया है. उसका कहना है कि रक्षा उद्योग अप्रमाणित प्रौद्योगिकियों पर अरबों खर्च करने के बाद इसके औचित्य को साबित करना चाहता है.
वहीं सरकारी जवाबदेही कार्यालय द्वारा जारी एक रिपोर्ट के अनुसार फोर्ड को अधूरी स्थिति में नौसेना को सौंपा गया है. रिपोर्ट के अनुसार नौसेना को जहाज के पूर्ण निर्माण पर अलग से कम से कम 7790 लाख डॉलर और खर्च करने होंगे, तब जाकर यह सही मायने में अमेरिकी नौसेना को मजबूत कर पाएगा.
साल 2020 तक परिचालन संभव
इस चर्चा और कथित कमियों के बावजूद नौसेना मानती है कि फोर्ड का प्रारंभिक परिचालन 2020 तक शुरू हो सकता है. अमेरिकी नौसेना की फोर्ड श्रेणी के पहले 3 जहाजों पर 43 अरब डॉलर खर्च की योजना है.
अमेरिकी सरकार ने सन 2058 तक कुल 20 फोर्ड श्रेणी के जहाजों के निर्माण की योजना बनाई है. इसमें यूएसएस गेराल्ड आर फोर्ड, यूएसएस जॉन एफ कैनेडी और यूएसएस एंटरप्राइज कैनेडी फिलहाल निर्माणाधीन है, जो 2020 तक कमीशन हो सकते हैं. वहीं एंटरप्राइज की 2025 में कमीशन होने की संभावना है.
America’s Army USS Gerald R. Ford (Pic: pintrest)
अमेरिकी नौसेना का यह युद्धपोत वाकई एक भविष्य का हथियार है. यह लंबे समय तक काम करने लिए बनाया गया है. अभी तो इसका इस्तेमाल नहीं किया गया है मगर वह भी शायद जल्द ही हो जाए. अब देखते हैं कि आने वाले समय में क्या कोई और देश इससे बढ़िया युद्धपोत ला सकता है क्या.
इस बात में कोई शक नहीं है कि रक्षा उद्योग में आगे बने रहने के लिए अमेरिका दिन-प्रतिदिन नयी तकनीकों के साथ मैदान में जोर शोर से जुटा रहता है. शायद तभी कई दशकों से उसकी धमक समूचे विश्व में बरकरार है.
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Web Title: America’s Army USS Gerald R. Ford, Hindi Article
Feature Image Credit: time