जब भी स्मार्टफोन के ऑपरेटिंग सिस्टम की बात आती है, तो दो ही नाम जुबां पर आते हैं. एक एंड्रॉइड और दूसरा आईओएस.
एंड्रॉइड के आने से पहले आईओएस ने काफी समय तक राज किया. हालांकि, एंड्रॉइड के आते ही उसे एक तगड़ा प्रतिद्वंद्वी मिल गया.
इसके बाद से ही इन दोनों के बीच ये जंग जारी है. आज भी हर कोई स्मार्टफोन चलाने वाला यही सोचता रहता है कि आखिर दोनों में से कौन ज्यादा बढ़िया है.
तो चलिए आज फोन से जुड़े इसे सवाल का जवाब तलाशने की कोशिश करते हैं–
बहुत वक्त लगा एंड्रॉइड को एक मुकाम पाने में
2007 में पहले आईफोन के लांच के बाद से ही एप्पल और आईओएस दोनों प्रसिद्ध हो गए. आईओएस में इतने फीचर थे, जो उस समय के किसी और फोन में मौजूद नहीं थे.
इसलिए हर गुजरते दिन के साथ आईओएस के लोग दीवाने होते गए. मार्केट में कोई और उनसे मुकाबला करने के लिए था ही नहीं.
आईओएस की ये प्रसिद्धी देखकर गूगल ने भी स्मार्टफोन मार्केट में अपने कदम रखने की सोची. आईओएस से दो साल पहले ही 2005 में एंड्रॉइड बनकर तैयार हो चुका था.
Android Inc नाम की कंपनी ने पहला एंड्रॉइड तैयार किया था. गूगल ने उसे खरीद लिया था मगर, वह ज्यादा प्रसिद्ध नहीं हो पाया था. हालांकि, इस बार गूगल सही तरीके से एंड्रॉइड को लांच करना चाहता था.
ठीक एक साल बाद 2008 में गूगल ने अपना पहला एंड्रॉइड सिस्टम लांच कर दिया. सबसे पहला एंड्रॉइड HTC Dream फोन के साथ लांच किया गया.
कंपनी को उम्मीद थी कि ये एप्पल के आईओएस को कड़ी टक्कर देगा मगर, हुआ इसका उल्टा ही. यह बाकी ऑपरेटिंग सिस्टम से अलग तो था मगर, इसके फीचर बाकियों जैसे नहीं थे.
लोगों ने इसे बहुत ज्यादा पसंद नहीं किया. वहीं दूसरी ओर आईओएस हर किसी की पहली पसंद बनकर सामने आया.
इसके बाद एंड्रॉइड को कई सालों तक इंतजार करना पड़ा आईओएस को टक्कर देने के लिए. इस बीच एंड्रॉइड लगातार फोन लांच किए जा रहा था.
इसके कारण लोगों तक एंड्रॉइड पहुँचने लगा था और वह इससे जनने लगे थे. कहते हैं कि इसे असली प्रसिद्धी मिली 2010 के बाद से.
स्मार्टफोन का एक ऐसा दौर शुरू हुआ जिसमें एंड्रॉइड ने बाजी मार ली. आईओएस वाले आईफोन के दाम बहुत ज्यादा थे. वहीं दूसरी ओर एंड्रॉइड उसके मुकाबले में काफी सस्ते थे.
इसके कारण जल्द ही एंड्रॉइड लोगों के बीच फेमस होने लगा. कुछ ही सालों में एंड्रॉइड ने मार्केट अपने नाम कर लिया.
आंकड़ों की माने, तो 2018 में एंड्रॉइड, आईओएस से काफी ज्यादा आगे है. इस समय 80% से ज्यादा स्मार्टफोन मार्केट एंड्रॉइड के पास है. वहीं आईओएस सिर्फ 15% मार्केट के साथ काम चला रहा है.
ये आंकडे दिखाते हैं कि कैसे एंड्रॉइड ने स्मार्टफोन मार्केट अपने नाम कर लिया है. हालांकि, इन दोनों ही ऑपरेटिंग सिस्टम में से कौनसा बढ़िया है ये जानने के लिए इन दोनों के फीचर के बारे में जानना पड़ेगा.
एंड्रॉइड में हर चीज पर होता है आपका नियंत्रण
आखिर एंड्रॉइड, आईओएस से क्यों ज्यादा बेहतर है इसके लिए हमें एंड्रॉइड से मिलने वाले फायदों के बारे में जानना पड़ेगा.
एंड्रॉइड का सबसे बड़ी खासियत है कि ये एक ओपन सोर्स सिस्टम है. ओपन सोर्स से यहाँ मतलब है कि यूजर अपने हिसाब से एंड्रॉइड में बदलाव कर सकते हैं.
इसलिए आज एंड्रॉइड कई और ऑपरेटिंग सिस्टम के साथ मिलकर भी लांच होता है. वहीं एप्पल में सिर्फ कंपनी ही ऑपरेटिंग सिस्टम में चेंज कर सकती है.
ओपन सोर्स होने के कारण ही एंड्रॉइड पर यूजर को आईओएस के मुकाबले ज्यादा एप्स मिलती हैं. स्मार्टफोन यूजर की जरूरत की हर एप एंड्रॉइड प्ले स्टोर पर मिल जाया करती है.
यही कारण है कि कस्टमाइज़ेशन के मामले में एंड्रॉइड आगे है. इसमें कई तरह के लांचर और थीम्स इनस्टॉल किए जा सकते हैं.
इसके जरिए यूजर अपने फोन को एक बिलकुल ही नया इंटरफ़ेस दे सकता है. वहीं अगर आईओएस की बात की जाए, तो उसमें ऐसा कोई फीचर है ही नहीं.
इतना ही नहीं एंड्रॉइड यूजर दूसरे 'रोम्स' भी फोन में इनस्टॉल कर सकते हैं. इसके जरिए यूजर अपने फोन के स्टॉक ऑपरेटिंग सिस्टम को किसी और फोन के ऑपरेटिंग सिस्टम से चला सकता है.
इतना ही नहीं एंड्रॉइड, आईओएस के मुकाबले ज्यादा जल्दी नए फीचर पर काम करता है. फिंगरप्रिंट सेंसर, NFC और रेटीना स्कैनर जैसे कई फीचर सबसे पहले एंड्रॉइड प्लेटफार्म पर ही आए थे.
आईओएस को सिर्फ एप्पल ही बनाती है और किसी कंपनी के पास इसके राईट नहीं हैं. इसके कारण यूजर के पास सिर्फ लिमिटेड फोन्स की ही चॉइस होती है.
वहीं दूसरी ओर एंड्रॉइड को बहुत सारी फोन कंपनियां इस्तेमाल करती हैं. ऐसे में फोन खरीदने वाले के पास बहुत से ऑप्शन होते हैं. इसकी वजह से कई प्राइस रेंज में एंड्रॉइड फोन आते हैं.
इसलिए हर कोई एक फोन रख सकता है. वहीं आईओएस डिवाइस एक निर्धारित दाम के होते हैं, जिसे हर कोई नहीं खरीद सकता है.
यह भी एक कारण है एंड्रॉइड के इतना प्रसिद्ध होने के पीछे. तो ये थे एंड्रॉइड खरीदने के फायदे. चलिए अब जानते हैं आईओएस खरीदने के फायदों के बारे में.
आईओएस भी किसी से कम नहीं है
एंड्रॉइड में बहुत से फीचर हैं मगर, आईओएस भी किसी से कम नहीं है. आईओएस भले ही एक क्लोज्ड सोर्स सिस्टम है, लेकिन यही इसकी असली ताकत भी है.
सिर्फ एप्पल के द्वारा चेक की गई एप्स ही इसमें काम करती हैं. इसका सबसे बड़ा फायदा होता है सिक्योरिटी और फोन की परफॉरमेंस में.
वेरिफाइड एप्स होने के कारण ऑपरेटिंग सिस्टम में बग्स बहुत कम ही आते हैं. ऐसे में फोन एक लम्बे समय तक अच्छी परफॉरमेंस देता है.
यही कारण है कि आईफोन यूजर बहुत कम ही फोन हैंग होने की शिकायत करते हैं. इतना ही नहीं इसकी वजह से ही उनका फोन एंड्रॉइड से तेज भी चलता है.
इसके अलावा सिक्योरिटी के मामले में भी आईओएस को एंड्रॉइड से ज्यादा बेहतर माना जाता है. ऐसा इसलिए क्योंकि, उसके एप स्टोर की एप सर्टिफाइड डेवलपर ही बनाते हैं.
जहां एंड्रॉइड में यूजर के पास 'गूगल असिस्टेंट' है. वहीं दूसरी तरफ आईओएस में 'सीरी' मौजूद है. माना जाता है कि सीरी, बाकी सभी असिस्टेंट से काफी ज्यादा अच्छा है.
आईओएस अपने रेगुलर अपडेट्स के लिए जाना जाता है. समय-समय पर यह अपने यूजर्स को नए अपडेट देता ही रहता है.
इसकी सबसे ख़ास बात है कि ये अपडेट हर फोन को मिलता है. एंड्रॉइड में यूजर्स को काफी लम्बे समय तक रुकना पड़ता है अपडेट पाने के लिए.
आज के इस विज्ञापन के दौर में भी आईओएस ने खुद को इससे दूर रखा हुआ है. अधिकाँश एंड्रॉइड फोन्स में कई सारी प्री इनस्टॉल एप्स आती हैं.
इसमें से कई एप तो यूजर के काम की होती ही नहीं हैं. ऐसी एप्स पेड होती हैं, जो कंपनियां फोन मेकर्स को देती हैं अपने फोन में डालने के लिए.
इतना ही नहीं इन एप्स को अनइनस्टॉल करना भी नामुमकिन होता है क्योंकि, कंपनी इन्हें स्टॉक एप बना देती हैं.
वहीं आईओएस में ऐसा कुछ भी नहीं है. उसमें गिनी-चुनी एप्स ही आती हैं. इसलिए एक आईओएस डिवाइस लेने भी कोई बुरा सौदा नहीं है.
एंड्रॉइड और आईओएस के बीच की जंग कभी ख़त्म नहीं हो सकती है. यह सालों से चलती आ रही है और आगे कई सालों तक ऐसे ही चलेगी. यह दोनों ही ऑपरेटिंग सिस्टम अपने आप में ख़ास हैं. इसलिए इसमें से किसी एक को चुनना आसान नहीं है. इसलिए यह यूजर के ऊपर निर्भर करता है कि आखिर वह कौनसा ऑपरेटिंग सिस्टम चाहता है.
WebTitle: Android Vs IOS Which One Is Better, Hindi Article
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