जब भी नशे की बात की जाती है, तो दिमाग में सबसे पहले सिगरेट, शराब और ड्रग्स जैसी चीजें आती हैं. इनका आना लाजमी भी है क्योंकि, दुनिया इसके नशे से ही परिचित है.
हालांकि, क्या आपको पता है कि दुनिया में एक नशा और है, जो आज एक छोटे बच्चे से लेकर व्यस्क तक हर कोई कर रहा है.
इस नशे का नाम है 'गेमिंग एडिक्शन'. सुनने में ये थोड़ा अटपटा लगता है मगर, वीडियो गेम भी आपको एक ऐसा नशा दे सकती है जिसके बारे में आपने कभी न सोचा हो.
तो चलिए जानते हैं नए जमाने के इस नए मानसिक रोग गेमिंग एडिक्शन के बारे में–
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गेमिंग एडिक्शन भले ही एक नया शब्द है मगर, इसमें और बाकी एडिक्शन में कोई ज्यादा फर्क नहीं है. जिस तरह नशे के आदि को हर समय नशा चाहिए होता है.
ठीक उसी तरह गेमिंग एडिक्शन में भी व्यक्ति को हर समय वीडियो गेम चाहिए. अगर उसे गेम खेलने को नहीं मिलती तो वह बेचैन होने लगता है.
गेमिंग एडिक्शन वाले लोग अपने दिन का अधिकांश समय वीडियो गेम खेलने में ही बिताते हैं. इसमें सिर्फ कंप्यूटर पर बड़ी-बड़ी गेम खेलने वाले युवा ही शामिल नहीं हैं.
गेमिंग एडिक्शन में छोटे बच्चे और बूढ़े तक शामिल हैं. फिर चाहे वह कैंडी क्रश जैसी कोई सिंपल सी गेम ही क्यों न खेल रहे हो. उन्हें इसका भी नशा हो सकता है.
विशेषज्ञों की माने तो, गेमिंग एडिक्शन वाले व्यक्ति का दिल बहुत आसानी से नहीं भरता. इसमें व्यक्ति लगातार गेम खेलने के लिए पागल रहता है.
नए लेवल पार करना और हाई स्कोर बनाने जैसी चीजें उन्हें और खेलने के लिए उत्साहित करती हैं. इसके पीछे ही वह बिना कुछ सोचे हर समय गेम ही खेलते रहते हैं.
माना जाता है कि इसके पीछे मानसिक संतुष्टि भी छिपी होती है. अधिक गेम खेलने वाले कई लोगों की निजी जिंदगी बहुत अच्छी नहीं होती.
वह असली दुनिया में वह हासिल नहीं कर पाते, जो वह गेम में हासिल कर लेते हैं. इसलिए वह बाहरी दुनिया से ज्यादा गेम की बनावटी दुनिया में वक्त गुजारते हैं.
इतना ही नहीं अब तो गेमिंग एडिक्शन इतना बढ़ गया है कि इसे 'दिमागी बीमारी' करार कर दिया गया है. इसलिए यह जानना बहुत जरूरी हो जाता है कि आखिर इसके लक्षण क्या हैं?
वीडियो गेम एडिक्शन के बहुत से लक्षण हैं
वीडियो गेम एडिक्शन के लक्षण पहचानना आज के जमाने में बहुत महत्वपूर्ण है. ऐसा इसलिए क्योंकि, दिन ब दिन ये बीमारी बढ़ती ही जा रही है.
वीडियो गेम एडिक्शन और बाकी एडिक्शन के लक्षण काफी हद तक एक जैसे ही होते हैं. इसमें सबसे पहले, जो देखने को मिलता है वो है गेम न खेलने पर परेशान होना.
एडिक्टेड लोगों को अगर गेम खेलने को न मिलें, तो वह बेचैन होने लगते हैं. किसी और काम को करने के लिए उनका मन मानता ही नहीं है.
इतना ही नहीं वह दिन भर में किनती देर गेम खेलते हैं यह बात भी वह सबसे छुपाते हैं. उनके दिलोदिमाग में सिर्फ और सिर्फ वीडियो गेम ही चलती है.
वह किसी छोटे बच्चे की तरह गेम को देखते ही खुश हो जाते हैं. इतना ही नहीं जितना ज्यादा वह गेम खेलते हैं उतना ज्यादा उसका असर बढ़ता जाता है.
वीडियो गेम के नशे में व्यक्ति दुनिया से दूर रहने की कोशिश करता है. वह चाहता है कि ज्यादा से ज्यादा समय वह गेम खेलने में बिता सकें.
गेमिंग का ये नशा जैसे-जैसे बढ़ता है, उससे ग्रस्त व्यक्ति उतना ज्यादा मानसिक रूप से परेशान भी रहने लगता है. कई बार उन्हें डिप्रेशन का भी सामना करना पड़ता है.
रात में नींद नहीं आना, सिरदर्द, लाल आँखें, कमर और गर्दम में दर्द जैसी कई चीजें व्यक्ति के साथ होती हैं अगर, जब वह ज्यादा गेम खेलता है.
कितने ही एडिक्टेड लोग ठीक से खाना तक नहीं खाते हैं. उनके लिए सबसे जरूरी बस गेम ही रह जाती है. ज्यादा गुस्सा आना भी गेमिंग एडिक्शन का ही एक लक्षण है.
ऐसे ही कई तरह के लक्षण दिखाई देते हैं एक वीडियो गेम एडिक्टेड में. इन्हें देखकर यह पता लगाया जा सकता है कि कहीं किसी को ये एडिक्शन तो नहीं है.
इससे बचना इतना मुश्किल नहीं है
गेमिंग एडिक्शन आज एक बड़ी परेशानी बन चुका है मगर, इससे उभरा जा सकता है. हाँ इसके लिए आपको मजबूत इच्छाशक्ति और धैर्य की जरूरत है.
कोई भी एडिक्शन एक बार में हमेशा के लिए नहीं छोड़ा जा सकता है. ये रोजाना की एक प्रोसेस है. गेमिंग एडिक्शन में भी कुछ यही दिक्कत है.
एक ही दिन में व्यक्ति इसे खलना नहीं छोड़ सकता है. इसलिए उसे धीरे-धीरे अपने गेम खेलने का समय कम करना होगा.
अगर एडिक्टेड व्यक्ति इसे कम करना जारी रखता है, तो कुछ वक्त बाद वह इससे बाहर निकला सकता है.
इसके लिए सबसे बढ़िया है कि गेम खेलने का भी के शेड्यूल बनाया जाए. उसके जरिए सिर्फ एक निर्धारित समय तक ही वह गेम खेलें.
इसके अलावा सबसे बढ़िया रहेगा कि एडिक्टेड व्यक्ति वीडियो गेम की जगह रियल गेम खेलें. कई सारी स्पोर्ट्स एक्टिविटीज हैं जिन्हें खेला जा सकता है.
ऐसा करने पर वह वीडियो गेम एडिक्शन से भी बचेगा और साथ ही फिजिकली फिट भी रहेगा. गेमिंग एडिक्शन के दौरान लोग परिवार के साथ समय बिताना कम कर देते हैं.
इलसिए इससे उभरने के लिए 'फॅमिली टाइम' होना भी बहुत जरूरी है. परिवार के साथ बैठकर बातें करना और हंसना-खेलना एक अच्छा उपाय है वीडियो गेम से दूरी बनाने के लिए.
इन सब में सबसे जरूरी है खुद को समय देना. आपने आप को जानिए. अपनी हॉबीज का मजा लीजिए. कहीं घूमने जाइए.
जितना वक्त एडिक्टेड व्यक्ति गेम को देता है अगर उतना वक्त वह खुद को दें तो उसकी आदत सुधर सकती है.
तो देखा आपने कैसे आपका गेम खेलना आपके लिए परेशानी खड़ी कर सकता है. गेम खेलने में कोई बुराई नहीं है. माइंड फ्रेश करने के लिए गेम खेली जा सकती है मगर, एक सीमित वक्त तक ही इसे खेलना चाहिए. अगर आपको भी वीडियो गेम एडिक्शन है, तो इन तरीकों को आप अपना सकते हैं.
Web Title: How To Overcome Video Game Addiction, Hindi Article
Feature Image: newsbook