विज्ञान और टेक्नोलॉजी की वजह से आज मानव जाति के रहन-सहन में काफी बदलाव आ गया है. सीधी भाषा में अब लोग पहले से ज्यादा स्टैण्डर्ड हो गए हैं. आज के युग में कुछ भी मुश्किल नहीं रहा. इंसान जो भी चाहता है, आसानी से प्राप्त कर लेता है. यह मानवीय बदलाव हर जगह देखा जा रहा है. कैलकुलेटर जैसी अद्भुत खोज ने इंसानी जीवन को पहले ही बहुत आसान बना दिया है.
आज के दौर में अगर आप कोई कठिन सवाल आसानी से हल करना चाहते हैं, तो आपके पास कैलकुलेटर मौजूद है. पर अगर हम अपने अतीत के पन्नो को पलट कर देखते हैं, तो लगभग 1000 वर्ष पहले हमें ऐसी कोई आधुनिक तकनीक नहीं मिलती. बावजूद इसके एक से बढ़कर एक इमारत का निर्माण हुआ, जिनकी तकनीक को आज के अत्याधुनिक मानव भी अबतक नहीं समझ पाए हैं. फिर आखिर हमारे पूर्वज कठिन सवालों को कैसे हल करते थे? वो अत्याधिक संख्या को कैसे गिनते थे? तो चलिए आपको कुछ रोचक तथ्यों के बारे में बताते हैं:
Mortise bone
नुक़ीली हड्डी
सबसे पुराना उपकरण जो गिनती के इतिहास में माना जाती है, वह नुक़ीली हड्डी था. इसका इस्तेमाल 44,000 वर्ष पहले गिनती करने के लिए किया जाता था. ऐसा दक्षिण अफ्रीका की गुफाओं में कार्बन डेटिंग विधि में पाया गया. मूल रूप से इन हड्डियों के उपयोग से हमें उनकी गिनने और काम करने की क्षमता के बारे में पता चलता है.
Ishang bone
ईशानगो हड्डी
गणना के लिए ईशानगो हड्डी दूसरा बेहतरीन हथियार रहा. इसका इस्तमाल हमारे पूर्वज करीब 30,000 वर्ष पूर्व करते थे. हड्डियों पर खींची अनोखी लकीर पहले वाले से थोड़ा अलग थी. कई लकीरें एक साथ खींची होती थी, टेली की तरह. हालांकि वैज्ञानिक ऐसा भी मानते हैं कि इन हड्डियों का इस्तेमाल चंद्र वर्णनावली के लिए भी किया जाता था.
Abacus
अबेकस
यह माना जाता है कि अबेकस का आविष्कार 2700 वर्ष पहले सुमेरिया क्षेत्र में हुआ था. हालांकि यह कोई मशीन नहीं थी. फिर भी कई सालों तक लोगों ने इसका इस्तेमाल गणना के लिए किया. समय के साथ इसका प्रयोग बढ़ने लगा था. गणना करना उनमें से एक था. अबेकस को लकड़ी या प्लास्टिक से बनी छोटी-छोटी फ्रेम सामानांतर तरीके से रख कर बनाया था. इसे हिन्दू-अरेबिक संख्या प्रणाली के लिए विकसित किया गया था. इसकी हर छड़ में 1 से लेकर 9 तक की संख्या होती है. उस समय में लोग फ्रेम को घटा बढ़ा कर दो या उससे अधिक वस्तु की गणना करते थे.
इसका इस्तेमाल काफी ज्यादा होने लगा था, खासकर चीन, भारत, जापान और एशिया के अन्य देशों में. फिर बाद में मिस्र, ईरान और ग्रीस जैसे देशों में भी इसका उपयोग होने लगा था. अबेकस का इस्तेमाल कई क्षेत्र में लोग आज भी करते हैं.
Slide rule
स्लाइड नियम
स्कॉटिश गणितज्ञ जॉन नेपियर ने 16 वीं शताब्दी में गणितीय प्रश्नों को हल करने के लिए एक शॉर्टकट के रूप में पहली बार एल्गोरिदम की खोज की. स्लाइड रूल में दो पटरियां रहती हैं, जोकि एक दूसरे के सापेक्ष खिसक सकती हैं.
कुछ समय पश्चात एडवर्ड गुंटेर, विलियम ओघट्रेड और अन्य लोग मिलकर लोगरिदम का इस्तेमाल करने लगे और धीरे धीरे उसमें तबदीली लाकर उसे और भी बेहतर बना दिया. फिर एक समय ऐसा भी आया कि गणित के विषय सूची में स्लाइड रूल का इस्तेमाल शामिल हो गया. स्लाइड रूल का आकार लगभग 2 इंच लम्बा और 2 इंच चौड़ा होता है. स्लाइड रूल अनेकों आकार-प्रकार और रंग रूप के बनाये जाते हैं. इनमें एक-दो या बहुत प्रकार की गणना करने की सुविधा भी होती है.
Stepped reckoner
स्टेप्पेड रेकोनेर
गोटफ्राइड वॉन लाइबनिट्स ने पहली स्टेप्पेड रेकोनेर यंत्र का आविष्कार था. यह दुनिया की सबसे पहला आधुनिक आविष्कार था. जिससे घटाव, गुणा और भाग का काम बेहद सरल हो गया. इसके अतिरिक्त इस यंत्र में एक विशेष लाभ यह था कि इसमें ‘कर्सर’ और ‘मेमोरी’ जैसी सुविधा भी उपलब्ध है. लिबयन ने दो रिकॉर्डर भी बनाये थे. पर दुर्भाग्यवश उनमें से एक गौटिंगेन विश्वविद्यालय में ही भूल गए. मूलतः यह दुनिया का पहला आधुनिक कैलकुलेटर था.
Arithmometer
अरिथमोमीटर
थॉमस डे कोलमार ने 1820 में अरिथमोमीटर का अविष्कार किया था. यह पहला कामयाब मशीनी कैलकुलेटर था. इसका उपयोग ऑफिस कार्य में होता था. ऐसा माना जाता है कि 1851 से 1890 तक अरिथमोमीटर बाकि सारी मशीनी कैलकुलेटर में सबसे आधुनिक और सबसे ज्यादा इस्तेमाल किया जाने वाला कैलकुलेटर था.
Comptometer
कोम्प्तोमीटर
सन 1887 में पहला कुंजी बोर्ड के साथ एक मशीनी कैलकुलेटर का अाविष्कार हुआ. इसका नाम कोम्प्तोमीटर था. इस कुंजी बोर्ड में 8 कॉलम थे. प्रत्येक कॉलम में 9 अंक के साथ कुल 72 अंक निर्मित थे. यह मशीन काफी हद तक पास्कल कैलकुलस यंत्र पर आधारित था. इसकी तेज काम करने की क्षमता और कुंजी बोर्ड जैसी सुविधा के कारण यह अत्यधिक उपयोगी रहा. फिर सन 1889 में थोड़ी और आधुनिकता के साथ इसमें प्रिंटिंग जैसी सुविधा को भी शामिल किया गया, जिससे यह और भी प्रचलित होने लगा.
Analytical Engine
एनालिटिकल इंजन
यह दुनिया का पहला प्रोग्रामैटिक डिवाइस था, जोकि पूरी तरह प्रोग्रामर के अधीन कार्य करता था. इसमें 2 इनपुट भाग थे और 3 आउटपुट के साथ साथ सी.पी.यू और मेमोरी जैसी सुविधा थी. ऐसा माना जाता है कि यह डिवाइस विज्ञान और गणित की दुनिया को और आसान बनाती. पर दुर्भाग्य से पैसों की कमी की वजह से एनालिटिकल इंजन प्रोजेक्ट का काम पूरा नहीं हो पाया.
Millionaire
मिलिनेयर
1893 में लेओन बोली ने मिलियनेयर डिवाइस का आविष्कार किया था. इसकी यह ख़ासियत थी कि इसके उपयोग से किसी भी अंक का गुणा बहुत से आसानी से हो जाता था. इससे पहले के सभी कैलकुलेटर्स में या तो यह सुविधा नहीं थी या फिर काफी मशक्कत के बाद ही मुमकिन हो पाता था. पर मिलिनेयर में कोई अंक का गुना सीधे दूसरे अंक से मिनटों में हो जाता था.
पूर्णतः आज के इस युग में जिस कैलकुलेटर का इस्तेमाल हम करते हैं वह काफी खोज और मेहनत का परिणाम है, न कि एक रात में हासिल हुआ. इतने सारे प्रयोगों और आविष्कारों के बाद ही आज हम मॉडर्न कैलकुलेटर या मॉडर्न कंप्यूटर का इस्तेमाल कर पा रहे हैं. जाहिर है सदियों से इस अविष्कार के लिए मेहनत करने वाले विभिन्न आविष्कारकों के लिए ‘सैल्यूट’ तो बनता ही है. कमेन्ट करना न भूलियेगा 🙂
Original Article Source / Writer: Roar Bangla / Swaraz Mollick
Translated by: Nitesh Kumar
Web Title: Evolution Of Calculator, Hindi Article
Keywords: Evolution OF calculator, History of Calculator, way to calculate in ancient timem, Notches Bone, Ishango Bone, Abacus, Pascal’s Calculator, Slide Rules, Stepped Recknor, Arithometer, Comptometer, Millionaire, Leon Bollee, Mortise Bone, Invention Of Calculator
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