जैव रासायनिक हथियार युद्ध में उपयोग किए जाने वाले सबसे अमानवीय और खतरनाक हथियारों में से एक हैं.
दुनिया के कई विशेषज्ञों ने इनके प्रयोग को अमानवीय बताया है, लेकिन इसके बाद भी शक्तिशाली राष्ट्रों द्वारा अपने दुश्मनों को दबाने के लिए इनका प्रयोग किया गया है. कई लोगों ने 'जैव रासायनिक हथियार' के बारे में सुना तो है, लेकिन उन्हें इसके मूल, इतिहास और प्रयोग करने की विधियों के बारे में खास जानकारी नहीं होती!
ऐसे में जैव रासायनिक हथियारों के बारे में जानना दिलचस्प होगा-
कुछ इस तरह होता है इनका प्रयोग?
जैव रासायनिक हथियार का उपयोग अनेक तरीकों से किया जाता है. इन्हें किसी व्यक्ति से किसी अन्य व्यक्ति को प्रेषित किया जा सकता है. ये जीवाणुओं को वातावरण में सीधे रिलीज करके भी प्रयोग किए जा सकते हैं. इन जीवाणुओं से फसलों और पशुओं को सीधे-सीधे संक्रमित किया जा सकता है. इसके अलावा इन्हें दो हिस्सों में बांटा भी जा सकता है.
इनके प्रयोग की कुछ बुनियादी विधियाँ भी हैं. जैसे, इन्हें भोजन और पानी माध्यम से, मानव वैक्टरों का उपयोग करके सीधे हवा में फैलाकर प्रयोग किया जा सकता है. बताते चलें कि अधिकांश जैव रासायनिक हथियारों में बैक्टीरिया, वायरस या कीड़ों का उपयोग होता है. इनमें सबसे खतरनाक होता है एंथ्रेक्स जीवाणु.
एंथ्रेक्स जीवाणु से प्लेग होता है. वहीं प्लेग जो कभी बस्ती और कस्बों में जंगल की आग की तरह फैल जाता था. शहर के शहर इस बीमारी से उजड़ जाते थे. यही कारण है कि इतिहास में सबसे अधिक प्रयोग इसी जीवाणु का मिलता है!
विषाणुओं और जीवाणुओं के अलावा प्रोटोजोआ और कवक का भी प्रयोग इन हथियारों में किया जाता है. इनका प्रमुख लक्ष्य किसानों की फसलें बर्बाद करना होता है, ताकि दुश्मन के पास खाने के लिए कुछ न बचे.
हालाँकि, अब इनके खिलाफ एंटी-बायोटिक की खोज कर ली गई है.
सैकड़ों साल पहले से होता आया उपयोग
सैन्य उद्देश्य के लिए जैव रासायनिक हथियारों का उपयोग करने के प्रमाण करीब 700 साल पहले मिलते हैं. यूरोप में 1346 में यूरोप पर फतह हासिल करने के लिए मंगोल सेना ने सबसे पहले इनका प्रयोग किया था. असल में मंगोल सेना ने प्लेग की वजह से मर गए लोगों के शवों को कैफा शहर में ऐसी जगह पर फेंक दिया था, जहाँ से पूरे शहर में पानी की आपूर्ति होती थी.
जब लोगों ने प्लेग के जीवाणुओं से संक्रमित वह पानी पिया, तो उन्हें भी प्लेग हो गया. देखते ही देखते पूरे शहर में प्लेग फैल गया और हज़ारों लोग मारे गए. प्लेग के जीवाणुओं का जैव रासायनिक हथियारों के रूप में प्रयोग यहीं नहीं रुका. द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान जापान ने चीन में करीब 15 मिलियन प्लेग के जीवाणुओं को अनेक माध्यमों से भेजा.
इसके अलावा सोवियत संघ और अमेरिका भी इनका प्रयोग करने की योजना बना रहे थे.
प्लेग के जीवाणुओं के अलावा चेचक के जीवाणुओं के जैव रासायनिक हथियारों के तौर पर प्रयोग करने के सबूत भी हमें इतिहास में मिलते हैं. अठारहवीं शताब्दी के मध्य में अमेरिका ने इनका प्रयोग ब्रिटेन के ऊपर किया था. जैव रासायनिक हथियारों के साथ यह दिक्कत है कि इन्हें प्रयोग करने वाला भी इन्हें नियंत्रित नहीं कर सकता है.
यही कारण है कि अंतर्राष्ट्रीय समुदाय ने इनके ऊपर विभिन्न सम्मेलनों में अनेक नियम-कानून बनाए हैं.
नई तकनीकों से विकसित किए जा रहे हैं!
तकनीक और प्रौद्योगिकी की प्रगति के साथ, जैव रासायनिक हथियारों से विनाश का खतरा बढ़ गया है. नैनो टेक्नोलॉजी और जेनेटिक इंजीनियरिंग के आगमन के साथ, अब जैव रासायनिक हथियार की ताकत विकसित करना संभव है.
इसके अतिरिक्त, ऊतक ट्रांसप्लांट विधियों, क्लोनिंग, और आधुनिक पैकेजिंग सिस्टम का उपयोग करके पहले से कहीं अधिक खतरनाक जैव रासायनिक हमले को अंजाम दिया जा सकता है. क्लोनिंग और ऊतक ट्रान्स्प्लान्ट विधि कुशलतापूर्वक कैंसर फैलाने वाले जीवाणुओं को कई गुना बढ़ा सकती हैं.
साथ ही ये आधुनिक पैकेजिंग विधियां उन्हें लंबे समय तक जीवित रहने में मदद कर सकती हैं.
ऐसे में यह मानना गलत होगा कि जैव रासायनिक हथियारों का विकास केवल नुकसान करने के लिए किया गया है. इनका प्रयोग कई अच्छे कामों में भी किया जाता है. कई बार ये खतरनाक बीमारियों के जीवाणुओं को नष्ट करने के भी काम आते हैं.
वहीँ दूसरी ओर इनका प्रयोग किसानों की फसलों को बचाने में भी किया जाता है. आज ऐसे कई जैव रासायनिकों की खोज कर ली गई है, जिनमें फसलों में लगने वाले कीट- पतंगों को आसानी से नष्ट कर दिया जाता है.
आने वाले भविष्य में इनकी उपयोगिता...
जैव रासायनिक हथियार के एक मनुष्य के ऊपर प्रभाव के कई कारक होते हैं. यह इस बात पर निर्भर करता है कि मनुष्य के ऊपर जैव रासायनिक हथियार का प्रयोग किस मात्रा में हुआ है. इसके अलावा यह इस बात पर भी निर्भर करता है कि प्रयोग होने से पहले मनुष्य का स्वास्थ्य कैसा था.
इन सब तथ्यों के अलावा यह भी बहुत मायने रखता है कि एक बार जैव रासायनिक हथियार का प्रयोग होने के बाद व्यक्ति को कितनी जल्दी स्वास्थ्य सुविधा मुहैया करवा दी गई है.
गौकतलब हो कि यदि समय पर स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध हो जाए तो उसकी जान भी बचाई जा सकती है.
यह बात पक्की है कि आने वाले वक्त में जैसे-जैसे तकनीक और प्रौद्योगिकी का विकास होता जाएगा, वैसे-वैसे जैव रासायनिक हथियार भी उन्नत होते जाएंगे. सच कहा जाए तो आने वाला भविष्य जैव रासायनिक हथियारों का ही है.
ऐसे में यह हमें तय करना है कि इनका प्रयोग मानवता की भलाई के लिए करना है अथवा विनाश के लिए.
Web Title: How Much Do You Know About Bioweapons, Hindi Article
Feature Image Credit: Xtrem Secure