क्या आपने कभी अपने लैपटॉप, कंप्यूटर या टाइपराइटर के कीबोर्ड को ध्यान से देखा है! या फिर कभी इस बात पर ध्यान दिया है कि इनके कीबोर्ड में अक्षरों का जो क्रम होना चाहिए, वैसा होता नहीं है.
यानी की ऑर्डर A, B, C, D क्यों नहीं होता. वह QWERTY फॉर्मेट में ही क्यों होता!
आईए जानते हैं…
क्रिस्टोफर ने किया आविष्कार
सबसे पहले टाइपराइटर का अविष्कार ब्रिटेन के हेनरी मिल ने किया. आविष्कार करने के साथ ही उन्होंने उसे पेटेंट करवा लिया. हालाँकि, इस बारे में कोई ठोस ऐतिहासिक साक्ष्य मौजूद नहीं है.
क्वर्टी कीबोर्ड टाइपराइटर का अविष्कार करने का श्रेय एक अमेरिकी को जाता है. उनका नाम है क्रिस्टोफर लाथम शोल्स.
क्रिस्टोफर का जन्म 19 फरवरी 1819 को हुआ. उन्होंने 1833 में अपनी शिक्षा पूरी की और प्रिंटर के रूप में काम करना शुरू कर दिया. 1837 में, क्रिस्टोफर ने अपने बड़े भाई की अख़बार कंपनी में काम किया.
इसके बाद उन्होंने विस्कॉन्सिन में साउथपोर्ट टेलीग्राफ में काम करना शुरू किया, और अपना साप्ताहिक समाचार पत्र शुरू किया. आगे उन्होंने 1840 में मैरी जेन मेक्विनी से शादी की और वर्ष 1857 से परिवार के साउथपोर्ट शहर में रहना शुरू किया.
टाइपिंग के लिए बनाई मशीन
आगे 1866 में उनके शहर के सरकारी कार्यालय में कर्मचारियों ने हड़ताल कर दी. इसके बाद उस सरकारी संसथान के प्रमुख ने उनसे पूछा कि क्या वे किसी ऐसी मशीन का निर्माण कर सकते हैं, जिससे कागज़ पर आसानी से लिखा जा सके.
इस आग्रह पर क्रिस्टोफर ने सैमुअल डब्ल्यू कंपनी की मदद से एक डिजिटल मशीन विकसित की और 1867 में इसका पेटेंट प्राप्त कर लिया. इसके बाद, एक वकील और शौकिया डिजाइनर कार्लोस ग्रीनिन ने क्रिस्टोफर और सैमुअल से पूछा कि क्या वे डिजिटल नंबरों का उपयोग करने के अलावा शब्दों की गुणवत्ता में सुधार कर सकते हैं!
कहा जाता है कि यहीं से क्रिस्टोफर के दिमाग में एक अच्छा टाइपराइटर बनाने का विचार कौंधा. उन्होंने जल्द ही एक टाइपराइटर का आविष्कार किया. आगे 23 जून, 1868 को उन्हें इस टाइपराइटर पर पेटेंट प्राप्त हुआ.
सामने आईं दिक्कतें, तो...
शुरुआत में इस टाइपराइटर के कीबोर्ड पर एक काली और सफेद कुंजी थी, और 0 तथा 1 प्रिंट करने के लिए कोई कुंजी नहीं थी. कारण यह था कि 0 और 1 को प्रिंट करने के लिए ‘O’ और ‘I’ का प्रयोग किया जाना था.
इस टाइपराइटर की वर्णमाला में 28 फॉन्ट थे. यह टाइपराइटर लकड़ी का बना था. क्रिस्टोफर इससे काफी खुश थे
हलांकि, इस टाइपराइटर के साथ एक दिक्कत थी. इसकी सारी कुंजियाँ धातु की बनी थीं और अंग्रेजी वर्णमाला के क्रम में व्यवस्थित थीं. इसलिए जब कोई तेजी से टाइपिंग करता था, तो एक ही पंक्ति में आस-पास के अक्षर बार-बार दबते थे.
इस कारण टाइपराइटर जाम हो जाता था, क्योंकि गर्म होने से धातु पिघला जाती थी. इसके साथ ही इसने टाइपिंग करने की गति भी धीमी कर दी थी. क्रिस्टोफर ने इस समस्या का अध्ययन अपने दोस्त जेम्स डेंग्रावर के साथ किया.
उन्होंने कुछ सबसे अधिक इस्तेमाल की जाने वाली धातुओं को पहचाना और उन्हें कीबोर्ड पर एक-दूसरे से दूर-दूर स्थापित किया. इसके साथ ही कुंजियों में प्रयोग होने वाले धातु के हिस्से को भी कम किया.
...और बनाया QWERTY कीबोर्ड
इस समस्या का हल निकालने के बाद क्रिस्टोफर ने कीबोर्ड का एक नया डिजाइन तैयार किया. इस प्रकार ‘QWERTY’ कीबोर्ड सामने आया. असल में अंग्रेजी के ज्यादातर अक्षरों में एक स्वर जरूर होता है.
इस नए कीबोर्ड में ‘A’ को दूसरी पंक्ति में और बांकी चार स्वरों को पहली पंक्ति में स्थापित किया. इससे ना केवल टाइपिंग करने की गति बढ़ी बल्कि जाम वाली समस्या का हल भी निकल आया. क्रिस्टोफर अपनी इस खोज से बहुत उत्साहित हुए.
उन्होंने इसे मानवजाति के लिए भाग्यशाली बताया.
वहीं, 1873 तक उनका टाइपराइटर काफी प्रसिद्ध हो गया. नौकरीपेशा लोग इसे खासतौर पर पसंद करने लगे. अब जरूरत थी तो बस तेज गति से इसके उत्पादन की. आगे इसी साल क्रिस्टोफर और उनके सहयोगियों ने रेमिंगटन प्रोडक्शंस के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए. इसी क्रम में 1874 को पहला टाइपराइटर व्यावसायिक रूप में उत्पादित किया गया था.
हालांकि, इनमें से अधिकतर मॉडल बाजार में ज्यादा बिके नहीं. इसके बाद भी 1878 में रेमिंगटन प्रोडक्शंस ने बाजार में एक और नया मॉडल उतार दिया. लेकिन यह भी कुछ ख़ास पसंद नहीं किया गया.
फिर अचानक से इसकी बिक्री बढ़ी और 1886 में 5,000 टाइपराइटर बिके. आगे चलकर क्रिस्टोफर का ‘क्वर्टी कीबोर्ड’ बाजार में छा जाने वाला था. लेकिन इसे दुर्भाग्य ही कहा जाएगा कि अपने बनाए डिजाइन की सफलता देखने से पहले ही 1890 में क्रिस्टोफर की मृत्यु हो गई. मृत्यु से पहले वे काफी दिनों से तपेदिक से जूझ रहे थे.
क्रिस्टोफर के सबसे पहले डिजाइन बनाने के बाद से लेकर आजतक कीबोर्ड में काफी परिवर्तन आ चुके हैं. आज कीबोर्ड में अलग-अलग कुंजियाँ जोड़ी जा चुकी हैं. इन कुंजियों ने टाइपिंग को आसान ही बनाया है.
बहरहाल, एक बात तो तय है कि आज जितनी आसानी से हम कीबोर्ड पर टाइपिंग कर लेते हैं, उसका सारा श्री क्रिस्टोफर लाथम शोल्स को ही जाता है.
क्यों सही कहा न?
Web Title: How Qwerty Keyboard Was Born, Hindi Article
Feature Image Credit: Imagen Noticias