पहले आईफोन का लांच होना एक बहुत बड़ा इवेंट था. हर किसी ने उस दिन इस रिवोल्यूशनरी प्रोडक्ट को पहली बार देखा.
हालांकि, सच्चाई तो ये है कि जिस समय आईफोन को लांच किया गया उस समय वह बना ही नहीं था! इसके बावजूद भी स्टीव जॉब्स स्टेज पर गए और हजारों लोगों के सामने आईफोन पेश किया.
अपनी 90 मिनट की प्रेजेंटेशन में स्टीव ने हर किसी को बेवकूफ बनाया. उन्होंने किसी को ये पता ही नहीं चलने दिया कि उनका फोन बेकार है.
आखिर क्या थी आईफोन की दिक्कत और कैसे स्टीव ने बनाया सबको बेवकूफ चलिए जानते हैं–
लांच के लिए तैयार नहीं था पहला आईफोन...
2007 एप्पल और स्टीव जॉब्स दोनों के लिए ही बहुत महत्वपूर्ण साल था. यही वो साल था जब, उन्हें अपना एक नया डिवाइस दुनिया के सामने पेश करना था.
एप्पल का कहना था कि उनका ये नया डिवाइस दुनिया को बदल के रख देगा. काफी लंबे समय से इसकी चर्चा हो रही थी.
हालांकि, कोई जानता नहीं था कि आखिर यह डिवाइस किस तरह का होने वाला था. अधिकाँश लोगों को लगा कि एप्पल अपने आईपॉड का नया मॉडल लाने वाला है.
वहीं दूसरी ओर स्टीव जॉब्स तो आईपॉड से कहीं ज्यादा बढ़िया टेक्नोलॉजी लाने की फिराक में थे. माना जाता है कि ये उनका सपना था.
लांच की डेट नजदीक आ रही थी और स्टीव को लगा था कि उनका आईफोन बनकर तैयार हो गया होगा. वहीं दूसरी ओर जब इंजीनियरों से उन्होंने बात की तो उनके होश उड़ गए.
उन्होंने स्टीव को बताया कि आईफोन तैयार ही नहीं है और इसमें बहुत से बग्स हैं... स्टीव को लांच रद्द करने के लिए कहा गया मगर, ये कंपनी की इमेज खराब कर सकता था.
उस समय तक आईफोन का सिर्फ प्रोटोटाइप ही बन पाया था, ठीक से चलता ही नहीं था. उसमें यूजर गाने तो सुन सकता था मगर, बीच गाने में ही फोन क्रैश हो जाता था.
एक पूरा गाना चलाना उसमें बहुत बड़ी परेशानी थी जिसे कंपनी ठीक नहीं कर पा रही थी. वहीं इसमें ईमेल और इंटरनेट की सुविधा तो दी गई थी, लेकिन वह चलता ही नहीं था.
जैसे ही कोई इंटरनेट चलाकर ईमेल खोलता फोन रुक जाता. कहते हैं कि ऐसा इसलिए होता था क्योंकि, उस समय तक इतने टास्क करने के लिए फोन प्रोग्रामड ही नहीं था!
स्टीव ने अपनी टीम को कहा इसका कुछ इलाज करने के लिए. इसके बाद उन्होंने 'गोल्डन पाथ' नाम का एक तरीका निकाला.
इसके तहत सिर्फ कुछ स्पेसिफिक टस्क ही फोन बिना रुके कर सकता था. इसके अलावा अगर कुछ और होता तो फोन क्रैश हो जाता.
लांच नजदीक आ रहा था और स्टीव उसे रद्द नहीं करना चाहते थे. इसलिए उन्होंने प्रोटोटाइप आईफोन के साथ ही लांच करने की ठान ली.
डेवलपर्स की आ जाती शामत अगर...
29 जून, 2007. पूरी दुनिया तैयार थी स्टीव जॉब्स के नए प्रोडक्ट को देखने के लिए. वहीं दूसरी ओर स्टीव जॉब्स को डर था कि कहीं सबके सामने आईफोन एक फेलियर न निकल जाए.
उन्होंने फिजिकल कीबोर्ड को हटाकर टच कीबोर्ड लाने की कोशिश की थी. वो जानते थे कि उनका ये कदम बहुत लोगों को अच्छा नहीं लगेगा.
उन्हें लगा था कि आईफोन के बग्स का कारण लोग उस टच कीबोर्ड को ही ठहराएंगे. कहते हैं कि स्टीव से ज्यादा इस बात की चिंता उनके डेवलपर्स को थी.
ऐसा इसलिए क्योंकि स्टीव अपनी कंपनी की इमेज को लेकर पागल थे. वह किसी भी कीमत पर अपनी कंपनी की इमेज को डाउन होते हुए नहीं देखना चाहते थे.
कहते हैं कि अगर स्टेज पर आईफोन का कोई भी फीचर फेल होता तो, स्टीव उसके बाद सबको फटकार लगाते.
इतना ही नहीं जिस डेवलपर ने वह फीचर बनाया था उसका का तो स्टीव बुरा हाल कर देते. इस बात को सोच-सोच कर हर कोई परेशान था.
सब बस यही दुआ कर रहे थे कि बस स्टेज पर कोई गलती न हो.
मुश्किलों के बाद भी बिना खराबी पेश हुआ आईफोन
स्टेज पर जाने से पहले स्टीव बहुत डरे हुए थे मगर, वहां कदम रखते ही वह बदल गए. उनके अंदर एक जोश उत्त्पन्न हो गया.
स्टेज पर आते ही उन्होंने दुनिया को आईफोन से रूबरू करवाया. ये एक लाइव डेमो था. एप्पल के कर्मचारियों को लग रहा था कि बीच डेमो में फोन धोखा दे देगा.
वहीं सबकी सोच से दूर स्टीव की सोच थी. उन्होंने सोच लिया था कि कैसे वो आईफोन को एक सक्सेसफुल डिवाइस के रूप में पेश करेंगे.
इस काम के लिए वह अपने साथ आईफोन के करीब 4-5 प्रोटोटाइप ले गए. वह जानते थे कि एक फोन से उनका काम नहीं चलेगा.
स्टीव के अलावा न तो उनके कर्मचारी और न ही ऑडियंस किसी को नहीं पता था कि स्टीव के पास इतने आईफोन हैं.
हर किसी को लगा कि स्टीव एक ही आईफोन चला रहे हैं.
स्टीव ने एक-एक करके आईफोन के फीचर लोगों को बताने शुरू किए. सब कुछ ठीक चल रहा था, कि तभी इंटरनेट के बारे में बताने की बारी आ गई.
ये एक ऐसी चीज थी जिसका तोड़ कंपनी के पास उस समय तक नहीं था. सबको लगा कि अब तो पक्का ही सबको आईफोन के फेलियर के बारे में पता चल जाएगा.
ऐसा इसलिए क्योंकि आईफोन सही स्पीड से इंटरनेट भी नहीं चला पाता था. इसलिए स्टीव ने पहले ही डेवलपर्स को इस समस्या का तोड़ बता दिया था.
उन्होंने उनसे कहा कि फोन में ऐसे चेंज करो कि उसमें नेटवर्क कभी कम दिखाई ही न दें. टावर हमेशा फुल ही दिखें.
इसके बावजूद
हालांकि, इसके लिए भी स्टीव ने पहले से ही बंदोबस्त किया हुआ था. उस समय सिर्फ AT&T ही एप्पल के साथ जुड़ी थी इस प्रोजेक्ट में.
स्टीव ने उनकी मदद से कांफ्रेंस हॉल में पोर्टेबल नेटवर्क टावर लगवा लिए. उने टावर के जरिए सिर्फ स्टीव के पास पड़े आईफोन में ही पूरा इंटरनेट कनेक्शन आया.
इसके बाद बिना रुके, बिना थके स्टीव ने 90 मिनट तक आईफोन का डेमो दिया. कोई गड़बड़ नहीं हुई. उसके बाद कैसे आईफोन ने स्मार्टफोन की दुनिया शुरू की इस बात को तो हर कोई जानता है.
तो देखा आपने कैसे स्टीव जॉब्स ने दुनिया को बेवकूफ बनाया. अगर आईफोन उस दिन फेल हो जाता, तो शायद स्मार्टफोन जगत में काफी कुछ बदल जाता. शायद टच कीबोर्ड कोई नहीं लाता. हालांकि, उस दिन कुछ भी गड़बड़ नहीं हुआ और आईफोन ने फिर इतिहास रच दिया. ये सब हो पाया स्टीव जॉब्स के शातिर दिमाग के कारण.
Web Title: How Steve Jobs Made Fool Of Everyone During Iphone Launch, Hindi Article
Feature Image: wired