कंप्यूटर और इंटरनेट क्रांति के बाद दुनिया और उसके काम करने के तरीके में काफी परिवर्तन आया है. दुनिया में, अब लड़ाईयां सिर्फ हथियारों, गोला-बारूद के दम पर नहीं, बल्कि टेक्नोलॉजी के दम पर भी लड़ी जाती हैं.
इसका एक उदहारण ‘ऑपरेशन औरोरा’ भी है. इस साइबर अटैक से यूएस की 34 कंपनियों पर हमला किया गया था.
चीन और यूएस के बीच वर्चस्व की लड़ाई काफी समय से चली आ रही है. फिर चाहे वो व्यापार के क्षेत्र में हो या तकनीकी के.
कभी चीन, तो कभी यूएस किसी न किसी रूप में एक दूसरे पर निशाना साधते रहते ही हैं. ऑपरेशन औरोरा के द्वारा चीन ने दुनिया में साइबर वॉर का एक नया चेहरा पेश कर दिया.
चीनी हैकर्स के इस अटैक में गूगल सहित यूएस की 34 कंपनियों को निशाना बनाया गया. इसके बाद गूगल ने चीन की धरती से सामान समेटने का मन बना लिया था.
तो चलिए जानते हैं कि आखिर क्या है ऑपरेशन औरोरा और कैसे चीन ने एक छेड़ी एक नई साइबर वॉर–
हैकर्स के अटैक से, गूगल भी खुद को न बचा सका!
गूगल ने 12 जनवरी 2010 को अपने ऑफिसियल ब्लॉग पर एक पोस्ट लिखा. उस पोस्ट के जरिये गूगल ने हाइली सॉफिस्टिकेटेड हैकर्स के द्वारा खुद पर अटैक किए जाने की बात कही.
इतना ही नहीं उन्होंने बताया कि, हैकिंग के कारण उनकी इन्टलेक्चूअल प्रॉपर्टी (पेटेंट्स और कॉपीराइट) की भी चोरी हुई है.
जब दुनिया को पता चला की गूगल के साथ ऐसा हुआ है, तो हर कोई अचंभित हो गया. इसके बाद जो खबर आई वो तो और भी ज्यादा हैरान करने वाली थी...
कुछ ही वक्त में याहू, एडोब सिस्टम्स, जुनिपर नेटवर्क सहित 34 अन्य कंपनियों ने भी हैकिंग का शिकार होने की बात कबूली.
पूरी दुनिया हैरत में आ गई कि, आखिर कैसे इतनी बड़ी टेक कंपनियों को किसी हैकर ने अपने वायरस से इन्फेक्टेड कर दिया?
थोड़ी जांच के बाद यह बात सामने आई की यह वायरस बहुत पहले से ही अमेरिका में आ चुका था. हालांकि, इस अटैक की रफ्तार बहुत धीमी थी.
इसलिए कंपनियों को पूरे डेढ़ महीने तक इसकी कोई भनक भी नहीं लगी और अटैकर धीरे-धीरे इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी की चोरी करते रहे.
अटैक यूस कंपनियों पर बहुत ही सफाई और प्लानिंग के साथ किया गया था. सभी कंपनियां नवंबर 2009 के मध्य से दिसंबर अंत तक इसकी शिकार होती रहीं.
कई कंपनीज ने तो, प्रतिष्ठा और लाज के चलते अटैक की बात को दरकिनार भी कर दिया था. इस पोस्ट के बाद वर्चुअल दुनिया में मानों एक भूचाल सा आ गया था!
इस अटैक में गूगल भी शामिल था, इसलिए मुसीबतें और भी ज्यादा बढ़ गई थीं.
सवाल उठने लगे थे कि दुनिया का सबसे बड़ा सर्च इंजन ही जब सुरक्षित नहीं है तो, वर्चुअल दुनिया की बाकि चीजें कितनी सुरक्षित होंगी...
आगे की जांच में पता चला कि शायद यह अटैक चीन से किया गया है! हालांकि, पक्की खबर न आने तक इस बात को सामने नहीं लाया गया.
वहीं दूसरी ओर इस घटना ने लोगों के अंदर एक डर पैदा कर दिया था. कोई भी नहीं समझ पा रहा था कि आखिर वो कैसे खुद को सुरक्षित रखें.
चीनी हैकर्स ने किया था अटैक!
गूगल के पोस्ट के बाद यूएस की सभी साइबर सिक्योरिटी कंपनियां, हमले से जुड़े हैकर्स की खोज में लग गई. सबसे पहले एंटीवायरस कंपनी 'मैकफी' के वाईस प्रेसिडेंट दमित्री अल्पेरोविच ने इस काम में बढ़त पाई.
उन्होंने एक मालवेयर फाइल की खोज की, जिसका नाम था 'औरोरा'. माना गया कि यही वह फाइल थी जिसके कारण इतना हंगामा शुरू हुआ.
इस साइबर अटैक के लिये हैकर्स ने इंटरनेट एक्स्प्लोरर को जरिया बनाया था. उसके सहारे ही उन्होंने लोगों के सिस्टम को इन्फेक्टेड बनाया.
साइबर सिक्योरिटी कंपनियां दिन-रात इस मामले की छानबीन कर रही थीं. उन्होंने तमाम आईपी एड्रेस, डोमेन नेम्स, मालवेयर सिग्नेचर और अन्य कई फैक्टर की तहकीकात की.
इसके बाद उनके सामने कई राज़ खुलने लगे. उन्हें इसके पीछे एल्डरवूड हैकर ग्रुप के साथ पीएलए यूनिट 61389 का हाथ होने की बात को सुनिश्चित किया.
यूनिट 61389 चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी की साइबर यूनिट है, जो हैकर्स के साथ मिलकर काम करती है. यूनिट 61389 को ‘कमेंट क्रू’ के नाम से भी जाना जाता है.
हालांकि, चीनी सरकार ने कभी भी यह स्वीकार नहीं किया कि यूनिट 61389 उनके लिये काम करती है. साइबर सिक्योरिटी कंपनियों ने सोर्स कोड के जरिये कई बार दावा किया है कि, यूनिट 61389 पीपुल्स लिबरेशन आर्मी के लिये काम करती है.
जब यह बात सामने आई, तो अब तक जो शक चीन पर था वह यकीन में बदल गया.
लोगों ने गूगल को दी श्रद्धांजलि
हैकर्स का इन कंपनियों पर हमला करने का मुख्य उद्देश्य था, इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी को चुराना व बड़ी कंपनियों को नुसान पहुंचाना.
इसके अलावा हैकर्स ने कई चाइनीज और वियतनामी ह्यूमन राइट एक्टिविस्ट के जीमेल एकाउंट्स को हैक कर, उनके बैंक स्टेटमेंट और जरूरी सूचनाओं को कॉपी कर लिया था.
माना जाता है कि इस अटैक के जरिए चीन में अमेरिकी कंपनियों को गिरना भी था. वह चाहते थे कि चीनी लोगों का भरोसा उनपर से उठ जाए.
ऐसा इसलिए भी माना गया क्योंकि, इसके बाद ही चीन ने अपने सर्च इंजन 'Baidu' को आगे बढ़ाया. एक तरह
गूगल ने जिस दिन साइबर अटैक की बात को सार्वजनिक किया था. उसी दिन से गूगल के चीन से वापस लौटने की खबरें भी तेजी से फैलने लगी थी.
इसके पहले भी गूगल ने चीनी सरकार के सेंसरशिप से परेशान होने की बात को लोगों के सामने कई बार रखा. इस घटना के बाद तो लोगों को लगेने ही लगा था गूगल अब ज्यादा दिन चीन में नहीं टिक सकेगा.
इस घटना के बाद गूगल की हालत को देख, यूनाइटेड स्टेट्स सेक्रेटरी ऑफ स्टेट हिलेरी क्लिंटन ने साइबर अटैक के ऊपर एक स्टेटमेंट जारी किया.
इसमें अटैक की काफी निंदा की गयी थी. इसके दूसरे दिन बीजिंग में गूगल के मुख्यालय के बाहर कुछ लोगों ने फूलों से श्रद्धांजलि दी थी.
आखिर में 2010 में ही गूगल ने चाइना से विदा ले ली.
ऑपरेशन औरोरा कहने को तो, एक साइबर अटैक है मगर, इससे नुकसान बहुत बड़ा हुआ. कहते हैं कि इसके बाद कई देशों में इंटरनेट एक्स्प्लोरर चलाने पर पाबंदी लगा दी गई.
ऑपरेशन औरोरा यह भी दर्शाता है कि आने वाले समय में हमले कुछ इस तरह से ही किए जाएंगे. जैसे-जैसे वक्त बीतता जा रहा है डिजिटल दुनिया बढ़ती जा रही है. यही कारण है कि आज वह एक नया जंग का मैदान भी बन रहा है.
Web Title: Operation Aurora: China Cyber Attack On America
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