माना जाता है कि आधुनिक युग मशीनों का है. जिनका उपयोग भविष्य में सभी कामों में किया जा सकेगा. चाहे वो जंग में लड़ने जैसा खतरनाक काम हो या रसोई में खाना बनाने जैसा आम सा काम हो. मशीनें हमारी जिंदगी के सभी क्षेत्रों में जगह ले लेंगी. आज हमारे पास स्मार्टफ़ोन्स हैं जिनसे हम घर बैठे किसी से बात कर सकते हैं, वीडियो कॉल कर सकते हैं और ऑनलाइन शॉपिंग के जरिये कोई सामान मंगवा सकते हैं.
लगातार होते तकनीकी विकास के ही कारण कंप्यूटर जैसी मशीनों का विकास हो पाया है जिसका आविष्कार हमारी जिंदगी में एक क्रांति लेकर आया. कंप्यूटर का मुख्य काम डेटा को प्रोसेस करना और गणना करना होता है. हालांकि कईं बार ये गणना काफी बड़ी हो सकती है जोकि एक साधारण कंप्यूटर, जो हमारे घर और ऑफिस में पाया जाता है के बस में नहीं है.
ऐसे काम के लिए एक विशेष कंप्यूटर की जरुरत पड़ती है जिसे सुपर कंप्यूटर कहते हैं. दुनिया के कईं देशों की तरह भारत के पास भी अपना सुपर कंप्यूटर है, जो बड़ी-बड़ी गणनाएं करने में सक्षम है. लेकिन क्या आप भारत के पहले सुपर कंप्यूटर के बारे में जानते हैं? कब और कैसे भारत ने अपना पहला सुपर कंप्यूटर तैयार किया? अगर नहीं, तो चलिए आपको बताते हैं भारत के पहले सुपर कंप्यूटर परम 8000 के बारे में–
हजारों कंप्यूटर का काम अकेले करता है सुपर कंप्यूटर!
सुपर कंप्यूटर एक विशेष कंप्यूटर होता है, जो बहुत बड़ी गणनाएं बहुत ही स्पीड से कर सकता है. मतलब सुपर कंप्यूटर बहुत ही तेज होता है और बहुत बड़ी गणनाएं आसानी से कर सकता है, जो आम कंप्यूटर नहीं कर सकते. इसके अलावा न सिर्फ सुपर कंप्यूटर फ़ास्ट प्रोसेसिंग कर सकते हैं बल्कि उनकी मेमोरी क्षमता भी बहुत ज्यादा होती है.
आम कंप्यूटर की तुलना में सुपर कंप्यूटर हाजारों लाखों गुना तेजी से डेटा को प्रोसेस और उसकी गणना कर सकते हैं. हम जो सामान्य कंप्यूटर प्रयोग करते हैं उनकी स्पीड को अरब या ख़रब कैलकुलेशन पर सेकंड के हिसाब से लगाया जाता है. इसे MIPS (Million Instructions Per Second) कहा जाता है. वहीं दूसरी ओर सुपर कंप्यूटर की स्पीड को FLOPS (Floating Point Operations Per Seconds) में तय किया जाता है.
इस माप के अंतर्गत यह मापा जाता है कि कोई सुपर कंप्यूटर एक सेकंड में कितने Floating Point (दशमलव) डेटा की कैलकुलेशन शुद्धता से कर सकता है. आज के समय में टॉप लेवल के सुपर कंप्यूटर की स्पीड 33.86 Petaflops होती है, जो हजारों प्रोसेसर के बल पर कार्य करता है.
हर सुपर कंप्यूटर इतनी या फिर इससे भी ज्यादा स्पीड पर काम करता है. यही कारण है कि इन्हें हर देश के बड़े बड़े वैज्ञानिक ही इस्तेमाल करते हैं.
Super Computer (Representative Pic: newsstand)
भारत ने अमेरिका की फटकार का करारा जवाब दिया…
कहते हैं कि भारत के पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गाँधी का सपना था कि हमारा देश भी 21वीं सदी की दहलीज पर हो और आधुनिकता के साथ आगे बढ़ें. इसलिए वो भारत में कंप्यूटर क्रांति लेकर आये. कंप्यूटर के आने से भारत में एक तकनीकी बदलाव आया, लेकिन देश के पास तब तक अपना कोई सुपर कंप्यूटर नहीं था. उस वक्त Cray दुनिया की सबसे बड़ी सुपर कंप्यूटर बनाने वाली कंपनी थी जो अमेरिका में थी.
कहते हैं कि डिजिटल भारत का सपना लिए प्रधानमंत्री राजीव गाँधी अमेरिका से सुपर कंप्यूटर लेने गए, लेकिन उस वक्त के अमेरिका के राष्ट्रपति रोनाल्ड रीगन ने सुपर कंप्यूटर देने से इंकार कर दिया और राजीव गाँधी को खाली हाथ वापस लौटना पड़ा.
जब अमेरिका ने सुपर कंप्यूटर देने से इंकार कर दिया, तो भारत ने 1988 में अपना खुद का सुपर कंप्यूटर प्रोग्राम शुरू किया. प्रधानमंत्री राजीव गाँधी ने एक स्वदेशी सुपर कंप्यूटर का निर्माण करने की ठान ली थी. इसी उद्देश्य को पूरा करने के लिए सेंटर फॉर एडवांस्ड कंप्यूटिंग या C-DAC की स्थापना पुणे में की गयी.
इसकाडायरेक्टर डॉ विजय भटकर को बनाया गया. C-DAC को सुपर कंप्यूटर डेवलप करने के लिए तीन साल का समय और 30 करोड़ रूपए की फंडिंग दी गयी. ये लगभग उतना ही समय और पैसा था जितना अमेरिका से सुपर कंप्यूटर खरीदने में लगने वाला था.
इसके बाद भारत में शुरुआत हुई एक ऐसी क्रांति की जिसने भविष्य का नक्शा ही बदल दिया. कई बड़े बड़े वैज्ञानिक लग गए सुपर कंप्यूटर बनाने में और भारत का नाम विश्व भर में ऊंचा करने के लिए. कड़ी मेहनत करके 1990 तक C-DAC के वैज्ञानिकों ने स्वदेशी टेक्नोलॉजी से अपना हाईटेक कंप्यूटर का प्रोटोटाइप मॉडल तैयार कर लिया.
यह भारत के पहले सुपर कंप्यूटर का प्रोटोटाइप मॉडल था और 1990 में हुए ज़्यूरिख सुपर कंप्यूटर शो में ये कंप्युटर एक बेंच मार्क बनकर सामने आया. भारत के द्वारा बनाये गए सुपर कंप्यूटर के प्रोटोटाइप मॉडल ने सुपर कंप्यूटर के शो में दुनिया के करीब सभी सुपर कंप्यूटर को पछाड़ दिया और अमेरिका के बाद दूसरे नंबर पर जगह बनाई.
सामने आया भारत का पहला सुपर कंप्यूटर परम 8000
सुपर कंप्यूटर शो के बाद फाइनल रिजल्ट के रूप में जुलाई 1991 में सामने आया भारत का पहला सुपर कंप्यूटर परम 8000. यह भारत का अपना खुद का बनाया सुपर कंप्यूटर था, जो किसी देश से ख़रीदा नहीं गया था. इसका नाम “परम” संस्कृत शब्द लिया गया है जिसका मतलब होता है सबसे ऊपर यानि सुप्रीम.
परम 8000 में 64 CPU थे और इसमें Inmos T800 Transputers, जो एक नए तरह का माइक्रोप्रोसेसर आर्किटेक्चर था और जिसका उपयोग इसमें किया गया था. यह मल्टीटास्किंग कर सकता था. उस समय परम 8000 उस दौर के सुपर कम्प्यूटर्स से आगे था. इसके बाद भारत ने ICAD Moscow में रूस की मदद से उसी वर्ष एक और सुपर कंप्यूटर डेवलप किया.
परम 8000 ने देखते ही देखते दुनिया भर में अपना नाम कर लिया. भारत का नाम भी इसके साथ बहुत बड़ा हो गया. इसने दुनिया को दिखा दिया कि भारत खुद भी अपने लिए आविष्कार कर सकता है.
Param 8000 First Super Computer Of India (Pic: indiraidu)
परम 8000 की विरासत आज भी है कायम…
सुपर कंप्यूटर के क्षेत्र में परम 8000 का नाम होने की वजह और इसकी सफलता को देखते हुए भारत सरकार ने परम सुपर कंप्यटर की सीरीज में और कईं कंप्यूटर जोड़े. PARAM ISHAN परम सीरीज का सबसे लेटेस्ट सुपर कंप्यूटर है. इस हाईटेक कंप्यूटर को 2016 में तैयार किया गया और इस कंप्यूटर की स्पीड 250 TeraFLOPS मानी जाती है.
हालांकि भारत का सबसे नवीनतम सुपर कंप्यूटर है “Pratyush’ जिसे जनवरी 2018 में शुरू किया गया. यह कंप्यूटर दुनिया के सबसे उत्तम कम्प्यूटर्स में से एक है. मौसम और वातारण का अनुमान लगाने में यह जापान, इंग्लैंड, और अमेरिका के सुपर कंप्यूटर के बाद चौथे स्थान पर आता है.
इस कंप्यूटर की स्पीड 6.8 petaflops है. ये कम्प्यूटर्स आज देश में विभिन्न क्षेत्र जैसे स्पेस साइंस, मौसम विज्ञान, सिविल इंजीनियरिंग और कईं तरह के फील्ड में काम कर रहे हैं. परम 8000 से शुरू हुआ भारत का यह सुपर कंप्यूटर का सफ़र आज तक जारी है और लगातार भारत इसमें बढ़त करता जा रहा है.
India Now Have Many Supercomputers (Representative Pic: zdnet)
आज भले ही भारत के पास कई सारे सुपर कंप्यूटर हैं मगर परम 8000 की बात ही कुछ और थी. इसके जरिए ही भारत में डिजिटल दुनिया की शुरुआत हुई थी. इसके बनने के बाद देश का आत्मविश्वास इतना बढ़ गया कि फिर भारत ने कई और बढ़िया सुपर कंप्यूटर बना डाले.
Web Title: Param 8000 India’s First Super Computer, Hindi Article
Feature Image Credit: chemistryworld