आज से 50 साल पहले के इतिहास पर नजर डालिए, तकनीकी मामले में आपको बहुत कुछ नहीं मिलेगा जो आज के विज्ञान ने दिया है.
उस समय विशाल मशीनें ज़रूर हुआ करती थीं… जितनी बड़ी मशीन उतना ही बड़ा उसका दाम भी हुआ करता था. हालांकि बदलते वक़्त के साथ यह दोनों ही कम होते गए.
आज दिन प्रतिदिन होती तरक्की से तकनीकें अपने बृहद रूप से छोटे या कहें ‘नैनो’ रूप में आ रही हैं.
नैनो टेक्नोलॉजी के उदाहरण के तौर पर कंप्यूटर को ही ले लीजिए. शुरूआती दिनों में कंप्यूटर बहुत ही बड़े हुआ करते थे. जैसे-जैसे वक़्त बदला इसका आकार कम होता गया.
आज के समय में तो कंप्यूटर वाला काम हम छोटे से गैजेट में ही कर सकते हैं. इस नैनो टेक्नोलॉजी के कारण ही आज लोगों की जिंदगी इतनी आसान हो पाई है.
अप्लाइड सांइस के इस हिस्से में 100 नैानेमीटर से भी छोटे उपकरणों या तत्व का अध्ययन किया जाता है.
आज विज्ञान के इस क्षेत्र में हुई उन्नति से इंसानों के लिए जीवन को व्यवस्थित कर पाना कहीं न कहीं आसान हुआ है.
तो चलिये मानवीय जीवन को आसान बनाने वाली इस तकनीक के बारे में और समझते हैं–
क्या है नैनो तकनीक?
नैनो शब्द ग्रीक भाषा से आया है जिसका अर्थ होता है बौना या छोटा!
यह विज्ञान की वह शाखा है जिसमें सूक्ष्मतम कणों का अध्ययन किया जाता है.
आपने अपने स्कूल के दिनों में ये अवश्य पढ़ा होगा कि यह ब्रह्माण्ड छोटे-छोटे कणों से मिलकर बना है, यहां तक कि हमारा शरीर भी.
नैनो तकनीक में अणुओं और परमाणुओं पर अध्ययन किया जाता है और ये रासायनिक विज्ञान, भौतिकी, बायो-तकनीक जैसे विषयों पर अधारित होती है.
नैनो तकनीक विज्ञान, इंजीनियरिंग और तकनीक का मिश्रण है, जिसमें पदार्थ के सूक्ष्म कणों, जिनका आकार 1-100 नैनोमीटर तक होता है, का अध्ययन किया जाता है. यह कण इतने सूक्ष्म होते हैं कि हम उन्हें अपनी आँखों से कभी नहीं देख सकते.
Nanotechnology in Human Intelligence. (Pic: twitter)
नैनो तकनीक का ‘इतिहास’
नैनो-तकनीक को अच्छे से समझने के लिए हमें पहले इसके इतिहास को जानना होगा.
नैनो-तकनीक का उपयोग पुराने समय के कारीगरों की कृतियों में नजर आता है, जिसकी शुरूआत चौथी सदी में हुई थी.
इसके कुछ उदाहरण रोमन Lycurgus Cup के रूप में मिलते हैं, जिसमें सोने-चांदी के कणों के मिश्रण का बारीक रूप में इस्तेमाल किया गया है.
इस बर्तन की खास बात यह है कि जब इस पर बाहर से रोशनी डाली जाती है तो यह हरे रंग का दिखाई देता है और जब इसके अंदर से रोशनी गुजरती है तो यह लाल रंग का दिखाई देता है.
इसके अलावा 6वीं से 15वीं सदी के दौरान बनने वाली चमकीली और अद्धभुत कांच की खिड़कियां जो यूरोपियन गिरजाघरों में लगाई जाती थीं. ये भी गोल्ड क्लोराइड और अन्य धातुओं के ऑक्साइड्स नैनोपार्टिकल्स से मिलकर बनती थीं. इनकी विशेषता यह थी कि यह भी सूरज की रोशनी से चमक उठती थीं.
इतिहास में इस प्रकार की कई चीजें हैं जो आज के समय में नैनो तकनीक का स्पष्ट उदाहरण है.
समय बीतता गया और इंसान नैनो तकनीक से अंजान इस तरह की अद्भुत और नायाब चीजों का निर्माण करता रहा.
हालांकि विज्ञान लगातार तरक्की कर रहा था, इसलिए 19वीं शताब्दी में माइकल फैराडे ने अपनी मेहनत के बल पर नैनो तकनीक को दुनिया के सामने पेश किया.
इस तकनीक के बारे में पूरी जानकारी 29 दिसंबर 1959 को रिचर्ड फेयनमं द्वारा कैलिफ़ोर्निया इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी में दिए गए एक लेक्चर के दौरान मिली.
तब से लेकर आज तक नैनो तकनीक पर लगातार अनुसंधान जारी हैं.
Lycurgus Cup made by nanotechnology. (pic: newundersol)
प्रयोग और फायदे
नैनो तकनीक पर हुई निरंतर खोज व रिसर्च ने लगभग सभी प्रकार की इंडस्ट्रीज और सेवाओं को इसकी जद में ला दिया है. आज इस तकनीक का इस्तेमाल आयुर्विज्ञान, पर्यावरण, प्रौद्योगिकी, कास्मेटिक्स, सिक्योरिटी, फैब्रिक्स, कृषि, रक्षा, शिक्षा एवं स्वास्थ्य इत्यादि में बखूबी किया जा रहा है.
आधुनिक कपड़ों की उम्दा संरचना बनाने के लिए नैनो फेब्रिकेशन तकनीक का उपयोग किया जा रहा है. हालांकि वर्तमान तकनीक के द्वारा ये संभव नहीं है. वैज्ञानिकों के अनुसार इस तकनीक की मदद से ऐसे व्यक्तिगत शारीरिक कवचों व कपड़ों का निर्माण किया जा सकता है जिस पर कोई दाग-धब्बा नहीं पड़ेगा, न क्रीज़ खराब होगी. और तो और उस पर किसी भी तरह के बैक्टिरीया भी पैदा नहीं हो पाएंगे. इस तरह कई अन्य चीजों पर भी नैनो तकनीक की परत चढ़ा कर उसे सुरक्षित रखा जा सकेगा.
वहीं मेडिकल क्षेत्र में तो ये तकनीक एक अद्भुत क्रांति बनकर आई है, जिससे कई लाइलाज बीमारियों को दूर या खत्म करने की संभावनाएं पैदा हुई हैं. इस तकनीक के प्रयोग से ऐसी दवाओं का निर्माण किया जा सकता है, जो कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी को भी खत्म कर सकती है. वहीं कई घातक सर्जरीज को भी इस तकनीक के जरिए आसानी से बिना किसी चीर फाड़ के किया जा सकता है. इसके तहत नैनोपार्टिकल्स को दवाइयों या खनिजों में डालकर शरीर में प्रवेश कराया जाएगा और फिर इसके जरिये शरीर के किसी निश्चित अंग तक दवाई पहुंचाई जा सकेगी या वहां अंगों में परिवर्तन किया जा सकेगा.
वहीं नैनो तकनीक का इस्तेमाल जीन थेरेपी, शरीर में प्रोटीन्स का पता लगाने, डी.एन.ए स्ट्रक्चर की जाँच, एमआरआई और कई अन्य सूक्ष्म मेडिकल कार्यों में भी किया जा सकता है.
DNA Nanotechnology. (Pic: envienta)
यांत्रिक उपकरणों में क्रांति!
नैनो तकनीक में हुई प्रगति ने इंजीनियरिंग और विज्ञान को मीलों आगे पहुंचा दिया है. इलेक्ट्रॉनिक्स, ऑप्टिक्स, मैग्नेटिक, बायो तकनीक, इनोवेटिव मटीरियल पाने के लिए और नए और उम्दा प्रदर्शन के साथ नए इलेक्ट्रॉनिक उपकरण की खोज संभव हुई है.
अगर यान्त्रिक उपकरणों में अगर नैनो तकनीक के प्रयोग की बात की जाए तो इनकी मदद से अल्ट्रा स्लिम मोबाइल और स्क्रीन, टीवी और अन्य इलेक्ट्रिकल डिवाइस तैयार किए जा सकते हैं जो आपके पॉकेट या एक हथेली पर आ जाएंगे.
वहीं ये पूरी तरह से जल प्रतिरोधी भी होंगे. साथ ही इसकी मदद से शक्तिशाली, बेहद तेज लेकिन आकार में बहुत छोटे कंप्यूटर बनाए जा सकते हैं. इतना ही नहीं नैनोपार्टिकल्स का उपयोग कर बेहतर और उम्दा कारों का निर्माण्ा किया जा सकता है.
हालांकि अभी इन सभी प्रकार की संभावनाओं पर रिसर्च और अनुसंधान जारी हैं, लेकिन निकट भविष्य में हमें ऐसे कई उपकरण देखने को मिलेंगे.
वहीं इस तकनीक से भविष्य में ऐसे पदार्थों का निर्माण भी संभव है, जो वजन में बेहद हल्के और बहुत मजबूत होंगे. इससे रक्षा और अंतरिक्ष विज्ञान में मानव पहुंच को और मजबूती मिलेगी.
उम्मीद है इस तरह के पदार्थों को अपनी जरुरत के अनुसार कंप्यूटर प्रोग्राम द्वारा बदला जा सकेगा.
Electronic Spider made by nanotechnology (pic: Cisco Global)
संभवत: नैनो तकनीक की मदद से हम काफी कुछ हासिल कर सकते हैं और शायद उन सपनों को भी साकार किया जा सकता है जिन्हें हम आज की तकनीकी फिल्मों में देखते आए हैं.
Web Title: What is nanotechnology and how is it beneficial for us, Hindi Article
Feature Image Credit: singularityhub