राजस्थान एक शाही शहर है, जो अपने शानदार किलों, समृद्ध संस्कृति के लिए जाना जाता है. वह अपने सौंदर्य से लोगों को इस तरह निहारता है, मानो कहता हो कि आईये कुछ दिन राजस्थान में गुजारिये. तो देर किस बात की है. आईये ले चलते हैं आपको 30 दिन, 30 प्लान के साथ रजवाड़ों के राज्य राजस्थान की ओर:
दिल्ली से राजस्थान ज्यादा दूर नहीं है, साथ ही रास्ते भी सरल हैं. ऐसे में यहां की यात्रा के लिए अगर संभव हो तो अपना साधन लेना ज्यादा सुविधाजनक होगा. इससे समय का सदुपयोग भी हो सकता है और रास्ते में पड़ने वाले राजस्थान के छोटे शहरों का दीदार करने का मौका भी मिलेगा.
पहला दिन: दिल्ली से मांडवा
पहला दिन आप राजस्थान के मांडवा में बिता सकते हैं, जो कहने के लिए तो एक छोटा सा शहर है, लेकिन यहां की हवेलियों और मांडवा किला देखते ही बनता है. मांडवा किला ठाकुर नवल सिंह द्वारा बनाया गया था, जो अब एक विरासत होटल में बदल दिया गया है. इसके अलावा यहां मौजूद हनुमान प्रसाद गोयनका हवेली, गोयनका डबल हवेली, मुरमुरिया हवेली और गुलाब राय लाडीया हवेली आकर्षण का केंद्र माने जाते हैं.
Mandawa, , Rajasthan (Pic: velarampatel)
दूसरा दिन: बीकानेर जूनागढ़
मांडवां से निकलकर दूसरे दिन आप बीकानेर पहुंच जाइये. यहां आप बीकानेर जूनागढ़ का आनंद ले सकते हैं. राजा राज सिंह, लालगढ़ पैलेस और ऊंटों की सवारी यहां के अन्य लोकप्रिय चीजों में से एक है.
तीसरा दिन: ‘देशनोक’ चूहा टेम्पल
अगले दिन आप बीकानेर से कुछ दूरी पर स्थित ‘देशनोक’ चूहा टेम्पल के लिए जा सकते हैं. यहां जाना आपके लिए शानदार अनुभव हो सकता है. अक्सर लोग बीकानेर घूम कर चले जाते हैं और बाद में इस स्थल को मिस कर देते हैं. यहां से बीकानेर वापस आते-आते आपको शाम हो जायेगी, इसलिए रात यहीं गुजारनी ठीक होगी.
चौथा दिन: मिरवाना रिजार्ट का आनंद
बीकानेर से सुबह के नाश्ते के बाद आप मिरवाना की तरफ बढ़ें. मिरवाना राजस्थान की एक ऐसी जगह है जहां रेत के मैदान दूर-दूर तक दिखाई देते हैं. मिरवाना का रिजार्ट भी बहुत पापुलर है. कहने के लिए तो यह रिजार्ट छोटे से शहर में है, लेकिन यह किसी पांच सितारा होटल से कम नहीं है. यहां स्पा आदि की भी व्यवस्था है. यहां एक दिन बिताना यादगार हो सकता है.
पांचवां दिन: जैसलमेर में डूबते सूर्य को देखें
पांचवे दिन आप जैसलमेर की ओर रुख करें. यहां पहुंचने में आपको थोड़ी थकान महसूस हो सकती है. ऐसे में आप थोड़ा आराम कर लें, फिर निकलें स्थानीय शहर के दौरे के लिए. जैसलमेर की भव्यता को देखते-देखते आपको शाम हो जायेगी. शाम के वक्त सेनोटैप से सूर्य को डूबते हुए जरुर देखें. इसके बाद वापस जाकर होटल में रात बितायें.
Jaisalmer Fort, , Rajasthan (Pic: mouthshut.com)
छठा दिन: जैसलमेर की हवेलियां
अगले दिन आप एक बार फिर से जैसलमेर की सैर पर निकलिए और यहां के बाजार, पुरानी हवेली, विरासत हवेली, पटवों की हवेली, नथल हवेली, सलीम सिंह की हवेली, गदिसार झील और ताज़ीया टावर आदि की यादें समेट कर अपने होटल लौटिए और सुकून की नींद लीजिये.
सातवां दिन: मेहरानगढ़ किला
सातवें दिन जैसलमेर से आप जोधपुर की तरफ बढ़िए. यहां आपके स्वागत के लिए मेहरानगढ़ किला के अलावा शहर के नजदीक कई अन्य महल खड़े मिल जायेंगे. यहां के बाजार भी आपको लुभा सकते हैं. कब आपको यहां शाम हो जायेगी पता ही नहीं चलेगा.
आठवें दिन: उम्मेद भवन पैलेस
आठवें दिन आप जोधपुर के अन्य आकर्षणों को छू सकते हैं. इनमें राय-का-बैग पैलेस, सिद्धनाथ मंदिरराज रांधोडजी मंदिर, गुड्डा बिश्नोई, राव जोधा डेजर्ट, रॉक पार्क, मंडोर गार्डन, क्लॉक टॉवर, जसवंत थदा, उम्मेद भवन पैलेस आदि आते हैं. रात आप जोधपुर में ही बिताये, ताकि अगले दिन के लिए तरोताजा रहें.
नौवां दिन: रोहटगढ़ किला की सैर
यदि आप राजस्थान की ग्रामीण सुंदरता को देखने की इच्छा रखते हैं, तो जोधपुर से निकलकर आप रोहटगढ़ जा सकते हैं. यहां आपको रोहटगढ़ किला देखने को मिलेगा. यह भव्य किला 16 वीं शताब्दी में ठाकुर दलपत सिंह द्वारा बनाया गया था. इसकी कुछ अन्य स्थानीय चीजें भी यहां देखने लायक हैं.
दसवां दिन: कुम्भलगढ़ का इतिहास
दसवें दिन रोहटगढ़ से कुम्भलगढ़ की तरफ निकलें, जो न सिर्फ महाराणा प्रताप की जन्मस्थली है, बल्कि इतिहास, प्रकृति और संस्कृति ढ़ेरों उदाहरण यहां देखने को मिलते हैं. यहां आप कुंभलगढ़ किला, बादल महल, राणकपुर जैन मंदिर, हल्दीघाटी, नाथद्वारा आदि के इतिहास को नजदीक से देख सकते हैं.
Kumbhalgarh Fort, Rajasthan (Pic: goindia)
ग्यारहवां दिन: माउंट आबू अभयारण्य
कुम्भलगढ़ से आगे बढ़कर आप माउंट आबू पहुंचिये, जहां आप नक्की झील, सनसेट पॉइंट, टोड रॉक, अबू रोड का शहर, गुरू शिखर चोटी और माउंट आबू वन्य जीवन अभयारण्य की गोद में अपना ग्यारहवां दिन गुजार सकते हैं. रात को यहीं रुकना होगा, क्योंकि अभी यहां की सैर पूरी नहीं हुई.
बारहवां दिन: धार्मिक मंदिरोंं के दर्शन
बारहवें दिन आप सुबह-सवेरे माउंट आबू में धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व के स्मारकों को देखने जा सकते हैं इनमें मुख्य रूप से दिलवारा के जैन मंदिर, आधार देवी मंदिर, दूध बावडी, श्री रघुनाथ जी मंदिर और अचलगढ़ किला आते हैं. इनको देखते-देखते रात हो जायेगी.
तेरहवां दिन: झीलों का शहर
उदयपुर में ढ़ेर सारी झीलें पाई जाती हैं, इसलिए इसको ‘झीलों का शहर’ भी कहा जाता है. राजस्थान का यह शहर अपने व्यंजन के लिए भी बहुत प्रसिद्ध है. चूंकि, उदयपुर में बहुत सारे पर्यटक स्थल हैं इसलिए यहां एक दिन में नहीं घूमा जा सकता है. फिर भी एक दिन में आप सिटी पैलेस, बगोरे की हवेली, लेक पिकोला और लेक सिटी को अच्छे से देख सकते हैं. इसके आगे की सैर के लिए रात यहीं गुजारनी होगी.
चौदहवां दिन: लोककला संग्रहालय
चौदहवें दिन आप उदयपुर के सज्जनगढ, जग मंदिर, जगदीश मंदिर, सहेलियों की बरी और भारतीय लोककला संग्रहालय में जाकर पुराने इतिहास के पन्नों को पढ़ सकते हैं. इस सबके बाद भी अभी उदयपुर में बहुत कुछ बच जायेगा, इसलिए रात को रुकना ही पड़ेगा.
पंद्रहवां दिन: जैसमंद लेक
आप अपने पंद्रहवे दिन की शुरुआत उदयपुर के आहार से शुरु कर सकते हैं. इसके बाद आप अम्बरी घाट, विंटेज क्लासिक कार संग्रहालय, जैसमंद लेक होते हुए अपने दिन का सदुपयोग कर सकते हैं और थकान मिटाने के लिए एक और रात उदयपुर के नाम कर सकते हैं.
Jaisamand Lake, Udaipur, Rajasthan (Pic: discoverhotelsindia)
तो यह था हमारा पंद्रह दिन का प्लान, जिसमें हमने आपको राजस्थान के उदयपुर समेत कई शहरों की सैर कराई. आगे के पंद्रह दिनों के प्लान के लिए आपको इसके दूसरे भाग का इंतजार करना होगा. नीचे दिए कमेंट बॉक्स में जरुर बतायें कि हमारी पेशकस आपको कैसी लगी?
Web Title: 30 Days, 30 Plans in Rajasthan, Hindi Article
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