आस्था के संगम और ढेर सारी संस्कृतियों के नजारों को समेटे उत्तर प्रदेश की जितनी प्रशंसा की जाए उतनी कम है. प्राकृतिक सुंदरता और प्राचीन धरोहरों के इतिहास से भरा यह राज्य देश-विदेश के पर्यटकों को हमेशा से अपनी ओर आकर्षित करता रहा है. चाहे वह ताज का दीदार हो, भगवान कृष्ण का जन्म स्थान मथुरा हो, या फिर भगवान राम की अयोध्या. सब अपने आप में अद्भुत हैं. ऐसे में आपकी छुट्टियों के लिए यह एक परफेक्ट राज्य हो सकता है. इसलिए हम लेकर आये हैं आपके लिए एक नहीं पूरे 30 दिनों का पूरा प्लान, ताकि आप इस राज्य के ज्यादातर महत्वपूर्ण स्थानों को छू सकें:
पहला दिन: नवाबों का शहर
पहले दिन आप अपनी यात्रा की शुरुआत लखनऊ के इमामबाड़ा से कर सकते हैं. यह इमारत लखनऊ की ऐतिहासिक धरोहर मानी जाती है. कहा जाता है कि इसका निर्माण आसिफ उद्दौला ने करवाया था. इसे बनवाने में उस समय लगभग 10 लाख रुपये लगे थे. इमामबाड़ा में पर्यटक सबसे ज्यादा मजा भूल भुलैया में उठाते हैं. इसके अलावा इस शहर में आप छोटा इमामबाड़ा, दिलकुशा कोठी, रूमी दरवाजा, छत्तर मंजिल, बेगम हजरत महल पार्क जैसे आदि स्थानों पर घूमकर अपना पूरा दिन एन्जॉय कर सकते हैं.
दूसरा दिन: कानपुर का रंग
कानपुर उत्तर प्रदेश के सबसे बड़े औद्योगिक शहरों में से एक है. इस शहर का ऐतिहासिक महत्व रहा है. गंगा नदी के किनारे बसे इस शहर से ही भारत में औद्योगिक क्रांति की शुरुआत हुई थी. यहां घूमने के लिए आपके पास बिठूर, बुद्ध बरगद, कानपुर गार्डन, जैन कांच मंदिर, एलन वन चिड़ियाघर, जाजमऊ, फूल बाग, मोती झील आदि स्थान हैं. आपका पूरा दिन निकल जायेगा, वो भी बिना बोर हुए. बाकी अगर आपके पास समय रहता है तो आप खरीदारी भी कर सकते हैं. यहां के बाजार बहुत सस्ते माने जाते हैं.
तीसरा दिन: हमीरपुर की सैर
कानपुर की यात्रा करने के बाद तीसरे दिन आप हमीरपुर घूम सकते हैं. इस जिले का ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व रहा है. जिसमें सिंह महेश्वरी मंदिर प्रमुख है. यमुना नदी के किनारे बने इस मंदिर को गुप्तकाल का विरासत माना जाता है. यहां दर्शन के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं. इसके अलावा आप बांके विहारी मंदिर का दर्शन भी कर सकते हैं, जो अपनी कला के लिए पूरे बुंदेलखंड में प्रसिद्ध माना जाता है. चौरा देवी मंदिर, मेहर देवी मंदिर, सिटी फारेस्ट आदि की ओर भी आप जा सकते हैं, बस पूरे दिन का समय होना चाहिए आपके पास.
चौथे दिन: झांसी का किला
चौथे दिन आप झांसी का किला देख सकते हैं. बंगरा पहाड़ी पर बने इस किले को 1613 में बुन्देल राजा बीरसिंह जुदेव ने बनवाया था. वैसे तो यह किला कई राजाओं के अधीन में रहा, लेकिन बहादुरी की मिसाल बने इस किले को रानी लक्ष्मीबाई के नाम से जाना जाता है. इस किले के अंदर बारादरी, पंच महल, शंकरगढ़, रानी झांसी का पूजा स्थल पर स्थापत्य कला के सुन्दर नमूने का नजारा देख सकते हैं. इसके अलावा कुदान स्थल, कड़क बिजली घर, इस किले के विशेष आकर्षण है. किले को देखने में आपका सारा दिन निकल जायेगा. अगर आपके पास समय बचता है तो आप रानीमहल, रानी लक्ष्मीबाई पार्क आदि स्थानों पर घूम सकते हैं.
Jhansi Fort, Uttar Pradesh (Pic: thenomadicguy)
पांचवे दिन: महोबा में चन्देलों का इतिहास
पांचवे दिन आप महोबा घूम सकते हैं. यहां आप चन्देलों के शासन काल की कई गुफाओं और उनके पत्थर पर बनाई गई मूर्तियों को देख सकते हैं. कहा जाता है कि 10वीं शताब्दी से 16 वीं शताब्दी तक चन्देलों ने यहां पर शासन किया था. यह चंदेल राजपूतों की राजधानी हुआ करता था. यह पहले महोत्सव नगर के नाम से जाना जाता था. बाद में इसका नाम महोबा कर दिया गया. यहां कई रोचक स्मारक, शिव मंदिर, मदन सागर झील, ककराथा मंदिर, सूर्य मंदिर आदि भी मौजूद हैं, जो दर्शनीय स्थल माने जाते हैं. इतना सब घूमने में आपको पूरा दिन खर्च करना ही पड़ेगा.
छठवें दिन: कालिंजर के किले का दीदार
छठवें दिन आप महोबा से बांदा जा सकते हैं. यह जिला शजर पत्थर के लिए प्रसिद्ध माना जाता है, जिसका इस्तेमाल गहने बनाने के लिए किया जाता है. यहां आप विंध्य की पहाड़ी पर बने कालिंजर के ऐतिहासिक किले से रूबरू हो सकते हैं. इस किले में सात दरवाजे हैं. कहा जाता है कि यह किला भारत के सबसे विशाल और अपराजेय किलों में से एक था. यहां के बाद आप सेनापति महल, भुरगढ़ का किला, नवाब टैंक आदि जगहों पर भी घूम सकते हैं, जिसके लिए आपका एक दिन चाहिए होगा.
सातवें दिन: चित्रकूट के धाम
बांदा से होकर हम सातवें दिन चित्रकूट घूम सकते हैं. मन्दाकिनी नदी के किनारे बसे इस धाम को भारत के सबसे प्राचीन तीर्थस्थानों में से एक माना जाता है. ऐसा माना जाता है कि भगवान राम ने अपने वनवास के ग्यारह साल चित्रकूट में ही बिताये थे. इसी जगह पर ऋषि अत्रि और सटी अनसुइया ने भी ध्यान लगाया था. यहां स्फटिक शिला, गुप्त गोदावरी, हनुमान धारा, जानकी कुण्ड, भरतकूप जैसे शांत और सुन्दर जगहों पर पूरा दिन बिता सकते हैं.
आठवें दिन: बौद्ध धर्म की शिक्षा
आठवें दिन आप कौशाम्बी घूम सकते हैं. अगर आप प्राचीन भारतीय इतिहास में रुचि रखते हैं, तो यह स्थान आपके लिए बेस्ट है. प्राचीन भारत में कौशाम्बी वत्स की राजधानी हुआ करती थी. कहा जाता है कि गौतम बुद्ध बौद्ध धर्म के शिक्षाओं का प्रसार करने के लिए यहां अक्सर आया करते थे. इसके अलावा राजा अशोक का भी इस शहर से बड़ा लगाव था. यहां आप कौशंबी किला, शीतला मंदिर, अशोक स्तंभ के अवशेष, घोषित राम विहार की यात्रा पूरे दिन में निपटा सकते हैं.
नवें दिन: संगम में नाव की सवारी
कौशांबी घूमने के बाद आप इलाहाबाद घूम सकते हैं. यहां आप संगम जाकर नहाने के साथ नाव की सवारी का आनंद ले सकते हैं, जहां तीन नदियां, गंगा जमुना और सरस्वती आपस में आकर मिलती हैं. नदी से सटा हुआ इलाहबाद का किला भी देखने लायक है. वैसे तो इस शहर को घूमने में एक दिन का समय कम होगा, लेकिन मुख्प-मुख्य स्थलों के लिए एक दिन काफी है.
Sangam, Allahabad, Uttar Pradesh (Pic: gangapedia)
दसवें दिन: चुनार का किला
दसवें दिन हम इलाहाबाद से मिर्जापुर का प्रसिद्ध चुनार किले को देख सकते हैं. यह किला कैमूर पर्वत पर स्थित है और गंगा नदी के दक्षिणी किनारे पर बसा है. कहा जाता है कि यह किला एक समय हिन्दू शक्ति का प्रतीक माना जाता था. यहां आज भी हिंदूकाल के भवनों के अवशेष देखे जा सकते हैं. इसके अलावा आप माता विंध्यवासिनी देवी के दर्शन, विंधाम फाल, मोती तालाब, टंडा जलप्रपात आदि जगहों पर जाकर अपनी एक दिन की यात्रा को यादगार बना सकते हैं.
ग्यारहवें दिन: विजयगढ़ किला
आप यात्रा के ग्यारहवें दिन सोनभद्र के विजयगढ़ किले को देख सकते हैं. यह किला पांचवी सदी है. कहा जाता है कि इसका निर्माण कोल राजाओं ने करवाया था. इस किले में पत्थरों पर की गई नक्काशी, शिलालेखों और गुफाओं की चित्रकारी आज भी देखी जा सकती है. इस किले के दीदार के बाद आप नौगढ़ का किला,अगोरी का किला, लोरिका चट्टान, मुक्खा झरना आदि जगहों पर यात्रा कर सकते हैं. इस सब को देखने के लिए आपको पूरा एक दिन चाहिए होगा.
बारहवें दिन: चंद्रप्रभा अभयारण्य की सैर
बारहवें दिन आप अपनी चंदौली के चद्रप्रभा अभयारण्य में घूम सकते हैं. इस अभयारण्य का निर्माण 1957 में शेरों को संरक्षण देने के लिए किया गया था. शेरों के अलावा यहां काले हिरन, भारतीय चिंकारा आदि जानवर पाए जाते हैं. यहां का वातावरण बहुत ही सुन्दर और शांतिपूर्ण है. इसके अलावा यहां का मुख्य आकर्षण राजदरी और देवदारी के झरने हैं, जिनके लिए आपको अपना पूरा दिन देना होगा.
Rajdari Water Falls, Chandauli, Uttar Pradesh (Pic: afsarpathan.)
तेरहवें दिन : काशी विश्वनाथ का दर्शन
चंदौली से आने के बाद हम तेहरवें दिन काशी विश्वनाथ के प्रसिद्ध मंदिर का दर्शन कर सकते हैं. यह मंदिर बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक है. इस मंदिर का हिन्दू धर्म में एक महत्त्वपूर्ण स्थान है. यहां देश विदेश तक के सैलानी दर्शन करने आते हैं. काशी विश्वनाथ के दर्शन के बाद आप दशाश्वमेध घाट, राम नगर किला, सारनाथ संग्रहालय, भारत कला भवन, महादेव मंदिर आदि जगहों पर घूमने जा सकते हैं. इस शहर की साड़ियां भी आकर्षण का केंद्र मानी जाती हैं. यहां एक दिन का वक्त निकाल कर जरुर जाइये.
चौदहवें दिन: कारपेट सिटी में खरीददारी
वाराणसी के बाद आप चौदहवें दिन भदोही घूम सकते हैं. यह जिला सन 1994 में वाराणसी से काटकर बनाया गया था. यहां के कालीन देश विदेश में प्रसिद्ध है. इसलिए इसे कारपेट सिटी भी कहा जाता है. आप अगर कालीन के शौक़ीन हैं, तो यहां के बाजारों में कालीन की खरीदारी करना न भूले. इसके बाद बचे हुए समय में आप सबसे लोकप्रिय मंदिर सीतामढ़ी का दर्शन भी सकते हैं. इस तरह आप अपने पूरे दिन का सदुपयोग कर सकते हैं.
पन्द्रहवें दिन: जौनपुर का इतिहास
वर्तमान में यह शहर चमेली के तेल, तम्बाकू की पत्तियों, इमरती के लिए प्रसिद्ध माना जाता है. कहा जाता है कि इस शहर को फिरोज तुगलक ने अपने भाई जौना खान के याद में बसाया था, इसलिए इस शहर का नाम जौनपुर पड़ा. इस शहर पर शर्की शासकों का कब्ज़ा था. उनके शासन काल में ही मकबरे मस्जिदों का निर्माण किया गया था. यहां पर अटाला मस्जिद, जामी मस्जिद, शाही किला, पुरातत्व संग्रहालय, वनस्पति संग्रहालय, शीतला माता का लोकप्रिय प्राचीन मंदिर आदि प्रसिद्ध स्थान हैं. यहां भी आपको पूरा दिन लग ही जायेगा.
Sahi Fort Jaunpur, Uttar Pradesh (Pic: blogspot)
इस 15 दिन के प्लान में हमने आपको उत्तर प्रदेश में मौजूद कई महत्त्वपूर्ण स्थानों की सैर कराई. आगे के लिए इसका दूसरा भाग पढ़िए, जिसमें अन्य शहरों की ओर आप जा सकेंगे. अभी तक की सैर आपको कैसी लगी ? नीचे दिए गए कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं.
Web Title: 30 Days, 30 Plans in Uttar Pradesh, Hindi Article
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