पिछले कई महीनों से दोस्त जब भी आउटिंग के लिए कहते थे, मैं हर बार यह कह कर टाल देता था कि नहीं यार फिर अभी पैसे नहीं हैं. दोस्त भी मान जाते थे, लेकिन बीते शुक्रवार को उन्होंने मेरी एक न सुनी. इस बार वह पूरी तैयारी के साथ आए थे. जैसे ही मैं घर पहुंचा, साथी एक साथ बोले ‘सिंह साहब‘ तुम्हारा सामान पैक हो गया है. इस बार तुम हमारे साथ चल रहे हो. मैने रटा-रटाया जवाब फिर से दोहराया भाई अभी पैसे नहीं हैं, फिर कभी चलूंगा…
यह सुनते ही एक दोस्त ने जवाब देते हुए कहा, किसने कहा कि तुम्हें यात्रा करने के लिए बहुत पैसा चाहिए होता है? अगर आपके पास सही प्लान है तो बहुत कम पैसों में आप अपना वीकेंड यादगार बना सकते हैं. उन्होंने कहा हम वादा करते हैं, इस ट्रिप के बाद तुम्हारी यह राय बदल जायेगी कि यात्रा में बहुत पैसे लगते हैं. इसी के साथ हम निकल पड़े ऋषिकेश की ओर…
ऋषिकेश ही क्यों ?
ऋषिकेश की ओर बढ़ने के लिए सबसे बड़ी वजह थी, दिल्ली से महज 242 किमी की दूरी.
इसको तय करने में हमारा टाइम कम लगने वाला था. हम शुक्रवार की रात को दिल्ली छोड़कर, शनिवार की सुबह आसानी से वहां पहुंच सकते थे. जिसके बाद सुबह का नाश्ता लेकर हम कुछ देर आराम करके आगे के दिन के लिए तरोताजा हो सकते थे. वैसे गंगा की गोद में बैठकर आनंद लेने के लिए ताजगी का होना जरुरी हो जाता है. साथ में ऋषिकेश में मौजूद राफ्टिंग, ट्रेकिंग, योगा और ढलते सूरज के साथ पूजा की आरती का सुख एक साथ ऋषिकेश में ही मिल सकता था. इसलिए हमने ऋषिकेश को चुना.
Weekend in Rishikesh With 3500 Rupees (Pic: everything)
कैब से पहुंचें ऋषिकेश
दिल्ली और ऋषिकेश के बीच की दूरी कम थी, इसलिए हमने समय की बचत के लिए दिल्ली से एक टैक्सी हायर कर ली. इसके पीछे दूसरा कारण यह भी था कि हमें दूसरे ट्रेन जैसे विकल्पों के बारे में ज्यादा जानकारी भी नहीं थी. इस ट्रिप के लिए हायर की गई टैक्सी के लिए हमें 12 रुपए प्रति किमी. के हिसाब से पे करना था. स्टेट टैक्स और टोल अतिरिक्त. चूंकि हम संख्या में 6 थे इसलिए हमारी जेब पर ज्यादा बोझ पड़ने वाला नहीं था.
ट्रेन का सफ़र हो सकता था विकल्प
हमारी तैयारी अचानक थी, नहीं तो ऋषिकेश के लिए ट्रेन का सफर एक अच्छा विकल्प था. हालांकि दिल्ली से कोई भी ट्रेन ऋषिकेश के लिए नहीं जाती है, पर हरिद्वार इसका निकटतम रेलवे स्टेशन है. ऐसे में हम दिल्ली से हरिद्वार के लिए ट्रेन ले सकते हैं. इस रूट पर शताब्दी एक्सप्रेस, जन शताब्दी एक्सप्रेस, मसूरी एक्सप्रेस और एसी स्पेशल जैसी कई अच्छी ट्रेनें चलती हैं. इसके लिए हमको प्रति व्यक्ति फर्ट एसी के लिए 1000-1100 रुपए तक खर्च करना पड़ता. इससे सबसे बड़ा फायदा यह होता कि कैब के सफर की तुलना में हमें थकान थोड़ी सी कम होती.
हरिद्वार पहुंचने के बाद ऋषिकेश पहुंचने के लिए हमारे पास शेयरिंग ऑटो, कैब और सरकारी बस जैसे कई विकल्प होते हैं, जो 23 किलोमीटर किमी. की दूरी को पलक झपकते ही पूरा कर देते हैं. इनमें से किसी भी विकल्प के लिए हमें ज्यादा से ज्यादा 40 रुपये देने होते.
बस की सेवा भी है
चूंकि ऋषिकेश हवाई जहाज को छोड़कर हर तरह के यातायात के लिए सुगम है, इसलिए निश्चित तौर पर हम यहां के लिए दिल्ली से बस भी ले सकते थे. कई निजी और साथ ही राज्य परिवहन बसें, इस रूट पर चलती हैं. इसमें हमें 1,100 तक खर्च करने पड़ सकते थे.
हम कहां रुके और क्यों?
वैसे तो रुकने के लिए ऋषिकेश में ठहरने के लिए स्थलों की कमी नहीं है, लेकिन हम जंगल में मंगल के इरादे से निकले थे, इसलिए हमने किसी बड़े होटल को न चुनते हुए शानदार पहाड़ों और गंगा नदी के किनारों से घिरे, एक एडवेंचर कैम्प को चुना. इस कैम्प की खास बात यह थी कि यहां ठहरने के लिए देशी तम्बुओं के अंदर हमारे बिस्तर लगे हुए थे. दूसरी सबसे महत्वपूर्ण बात कि यह हमारे बजट में भी था. महज 1600 रुपए प्रति व्यक्ति पे करने पर हमें वन नाइट स्टे, ब्रेकफास्ट, लंच, डिनर के साथ-साथ व्हाइट वाटर राफ्टिंग, कांकिग, रिवर स्वीमिंग, वाक लॉगिंग, रैपलिंग, जंगल हैकिंग जैसे कई एंजवेंचर्स की सुविधा थी.
Kalandi Runner Camps at Byasi, Rishikesh (Pic: river-rafting)
ऋषिकेश में करने लायक 7 चीजें
व्हाइट वाटर राफ्टिंग
अभी तक सिर्फ सुना था कि व्हाइट वाटर राफ्टिंग बहुत मजेदार होती है, जिसे यहां आने के बाद महसूस भी कर लिया. गंगा के सफेद रैपिड्स के साथ अठखेलियां करना शानदार अनुभव रहा. सबसे अच्छी बात यह रही कि हम अपनी उम्र के हिसाब से इसका मजा ले सकते हैं. यहां राफ्टिंग कई तरह से करवाई जाती है. यहां आपको 24, 16 और 9 किलोमीटर की राफ्टिंग करने का ऑप्शन मिलता है. इसलिए आप अपने समय के हिसाब से राफ्टिंग कर सकते हैं. हमने 16 किमी ऑप्शन को चुना था.
राफ्टिंग में बॉडी सर्फिंग
यह सबसे मजेदार और सुकून देने वाली प्रक्रिया थी. हमारे बोट चालक स्टीफन ने एक कमांड देते हुए हमें वोट से छलांग लगाने के लिए कहा. हालांकि हम ऐसा करने से डर रहे थे, पर स्टीफन के भरोसा दिलाने और लाइफ जैकेट के सहारे पर हमने छलांग लगा दी. शुरुआत में हम सब असहज रहे, पर धीरे-धीरे जब हमने आखें बंद करके मां गंगा को महसूस किया, तो हम एक अलग दुनिया में थे. काफी देर तक पानी में पड़े रहने के बाद स्टीफन हमें बार-बार बुलाता रहा, लेकिन हम आने को तैयार न थे. आखिरकार उसकी नाराजगी देखकर हमें वापस आना ही पड़ा.
Body Surfing (Pic: Sudheer / Team Roar)
झालमुड़ी का आनंद
एक लम्बी राफ्टिंग के बाद जब स्टीफन ने हमें शिवपुरी के पास नाव से उतारा, तो हमें दो चीजें परेशान कर रही थी. एक ओर हम ठंड से कांप रहे थे, तो दूसरी तरफ भूख से हमारे पेट में चूहे कूद रहे थे. अचानक हमारी नज़र कुछ दूर पर खड़े हुए एक सज्जन पर पड़ी, जो झालमुड़ी बेच रहे थे. देर न करते हुए हम उसके पास पहुंचे और जल्द से 6 प्लेट तैयार करने को कहा… 6 प्लेट इसलिए क्योंकि हम संख्या में 6 थे. हाथ में प्लेट आते ही हमने इसका आनंद लेना शुरु कर दिया. गजब का स्वाद था झालमुड़ी का… हालांकि थोड़ी तीखी थी, लेकिन भूख की वजह से हम कुछ देर में ही सब चट कर गए.
ट्रेकिंग का आनंद…
राफ्टिंग के बाद हम थक चुके थे, इसलिए स्टीफन के कहने के बावजूद हम ट्रेकिंग के लिए नहीं जाना चाहते थे. पर कहते हैं न कि आप किसी चीज से कितना भी भागो, जो होना होता है वह होकर रहता है. हमारे साथ गए किसी साथी को किसी खास चीज की जरुरत आ पड़ी, जिसके लिए हमें कम से कम 2 किमी. की चढ़ाई करके जाना था. शुरुआती आनाकानी के साथ हम निकल पड़े अनचाही ट्रेकिंग पर.
रास्ते में हम सबने इस ट्रेकिंग में जो मस्ती की उसकी हमने कल्पना तक नहीं की थी. रास्ते में जो भी घर पड़े हमने लगभग हर घर से चाची कहकर आवाज लगाई और कुछ देर उनके साथ बैठकर उनका हाल-चाल लिया और पानी पीकर अपनी प्यास बुझाई. इस तरह से महज दो किमी. की दूरी को तय करने में हमने 4 घंटे लगा दिए.
कैम्पिंग और बोनफायर
शहर की दौड़ भाग से दूर ऋषिकेश में मौजूद कैम्पों में वक्त गुजारना शानदार अनुभव रहा. स्नान करने के लिए मां गंगा की गोद और खाने में एकदम देशी खाना कैम्पिंग के कुछ यादगार पहलू रहे. इस सबके बीच अनजान लोगों के साथ गिटार की मस्ती और वोनफायर का रोमांच वापस आने के बाद भी वैसे का वैसा है.
थोड़ा सा वक्त बाजार को भी दें
लौटते वक्त ऋषिकेश के बाजार पर नजर पड़ी तो एकाएक हमें रुकना ही पड़ा. असल में यहां के बाजारों में मौजूद दीवार चित्रकारी, लकड़ी के फर्नीचर और रंगीन मोती को नजर अंदाज करना मुश्किल था. हालांकि हमने यहां से कुछ खरीदा नहीं, पर वहां की तस्वीर अभी भी आंखों में कैद है.
योग से आराम करें
स्टीफन ने हमें बताया था कि आप यहां आये हैं, तो कुछ वक्त योगा को जरुर देना. आपको शांति का अनुभव होगा, लेकिन वक्त के अभाव की वजह से हम इसका आनंद लेने से चूक गये. यहां योग के लिए बाबा रामदेव का पतंजलि योगपीठ आश्रम फेमस है. यहां की सेवा बिल्कुल नि: शुल्क है. हां अगर आप चाहें तो दान के रुप में स्वेच्छा से कुछ दे सकते हैं.
30 मिनट हरिद्वार में
दादा-दादी के मुंह से हरिद्वार का नाम बहुत सुना था, इसलिए इसे देखने की उत्सुकता थी. इसी के चलते हम लौटते वक्त कुछ वक्त के लिए हरिद्वार में रुक गए. चूंकि शाम का समय था, इसलिए हमने यहां की सुंदर गंगा आरती का आनंद लिया और फिर वापस दिल्ली की तरफ बढ़ गए.
ट्रिप की कुल लागत
- खर्च 1 रात की लागत (प्रति व्यक्ति): एडवेंचर कैम्प, लगभग 1,600 रुपये
- दिल्ली से आने-जाने में खर्च: 1,400 रुपये
- विविध खर्च: 500 रुपये
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कुल खर्च: लगभग 3,500 रुपए
(*यह खर्च अलग-अलग जगहों और टैरिफ के हिसाब से बदल सकता है)
River Rafting (Pic: splendidindiatours.com)
इस ट्रिप के बाद तो मेरी राय बिल्कुल बदल चुकी है कि यात्रा के लिए एक भारी-भरकम रकम की जरुरत पड़ती है. सही कहते थे दोस्त कि अगर हमारे पास सही प्लान है तो हम कम से कम दाम में ऋषिकेश जैसे शानदार स्थलों में अपना वीकेंड यादगार बना सकते हैं. अगर आप भी पैसे का हवाला देकर वीकेंड पर अभी तक नहीं निकल सके हैं, तो निकलिए. उम्मीद है मेरी तरह आपकी सोच भी बदल जायेगी.
Web Title: Weekend in Rishikesh With 3500 Rupees, Hindi Article
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