गुलज़ार को आज कौन नहीं जानता है! उन्होंने ढेर-सारी फिल्मों के लिए गीत लिखे हैं. इसके अलावा वे कहानियां और शायरी भी लिखते रहते हैं. साहित्य की दुनिया में उनका नाम बड़े सम्मान के साथ लिया जाता है.
अपनी जवानी के दिनों में गुलज़ार को उस समय की मशहूर अभिनेत्री राखी से प्रेम हुआ था. दोनों ने एक-दूसरे के साथ जीने-मरने की कसमें खायीं थीं. दोनों जल्द ही शादी के बंधन में भी बंध गए थे.
लेकिन क्या आप जानते हैं कि मात्र एक वर्ष के भीतर ही दोनों अलग हो गए. सिर्फ एक रात में दोनों ने अलग होने का फैसला लिया था. आखिर ऐसा क्यों हुआ, आईए जानने की कोशिश करते हैं…
बतौर कार मैकेनिक किया काम
गुलज़ार का जन्म 18 अगस्त 1936 के दिन अविभाजित भारत के झेलम जिले के दीना में हुआ था. इनका बचपन का नाम सम्पूरण सिंह कालरा था. अपनी प्रारंभिक शिक्षा उन्होंने दीना में ही पूरी की थी. सन 1947 में जब भारत-पकिस्तान का विभाजन हुआ, तो गुलज़ार का परिवार भारत आ गया. उनका परिवार अमृतसर में बस गया और गुलज़ार बम्बई चले गए.
अपने दिल में बंटवारे की कसक लिए हुए गुलज़ार बम्बई में ही एक कार मैकेनिक गैरेज में काम करने लगे थे. वे यहाँ मुख्यता पुरानी गाड़ियों के रंग-रोगन का काम करते थे.
गैरेज में काम करते हुए उन्हें पढ़ने-लिखने के लिए काफी समय मिल जाता था. यहीं धीरे-धीरे उनकी रूचि सिनेमा की तरफ बढ़ी, तो उन्होंने मैकेनिक का काम छोड़ दिया और बिमल रॉय, हृषिकेश मुखर्जी और हेमंत पाठक जैसे निर्देशकों के सहायक के तौर पर काम करने लगे. यह वर्ष 1963 था, जब गुलज़ार को बिमल रॉय की फिल्म बंदिनी में गीत लिखने का मौका मिला.
इस फिल्म में लिखे गए गीतों के लिए उनकी सराहना हुई, तो आगे उन्हें और फिल्मों में भी गीत लिखने का मौका मिला. इन फिल्मों में आनंद, बावर्ची, नमक-हराम, सफ़र और दो-दूनी चार जैसी सुपरहिट फ़िल्में शामिल थीं. इन फिल्मों में गीत लिखकर गुलज़ार कामयाबी का आसमान चूमने लगे थे.
वे अब गीत लिखन के साथ फिल्मों के निर्देश में भी अपना हाथ आजमाने लगे थे. वर्ष 1971 उन्होंने पहली बार ‘मेरे अपने’ नाम की फिल्म का निर्देशन किया था. इस फिल्म के रिलीज हो जाने के बाद एक निर्देशक के तौर पर उन्हें बहुत सराहना मिली. सच कहा जाए, तो यह दौर गुलज़ार का स्वर्णिम दौर था.
जीवन में आईं राखी और...
इधर राखी मजूमदार ने भी 1970 में आई फिल्म ‘जीवन मृत्यु’ के साथ बॉलीवुड में अपने कदम रखे थे. वे आते ही बॉलीवुड के ऊपर छा गई थीं. राखी इस समय तलाकशुदा थीं. इसी बीच उनकी मुलाकात गुलज़ार से हुई थी.
गुलज़ार को बंगाली संस्कृति और लोगों से ख़ास लगाव था. शायद यही वजह थी कि वे बंगाल से ताल्लुक रखने वालीं राखी की तरफ खिंचे चले गए. राखी भी उनकी लेखन कला से ख़ासा प्रभावित हुईं. दोनों एक-दूसरे के साथ समय बिताने लगे और देखते ही देखते एक दूसरे के प्रेम में पड़ गए.
अपने इस प्रेम को अगले स्तर पर ले जाते हुए दोनों ने शादी करने का फैसला लिया. आगे सन 1973 में दोनों ने शादी कर ली. इस शादी में राजेश खन्ना, जीतेंद्र और अमिताभ बच्चन से लेकर बॉलीवुड की सभी बड़ी हस्तियाँ मौजूद रहीं.
शादी के बाद दोनों का जीवन खुशहाली में ही बीत रहा था. इस बीच दोनों ने एक बेटी को जन्म भी दिया. बेटी का नाम मेघना गुलज़ार रखा गया. आगे शादी को हुए बस एक साल ही मुश्किल से गुज़रा था कि दोनों के बीच खटास पनपने लगी.
यह खटास यहाँ तक पहुँच गई कि दोनों ने अलग होने का फैसला ले लिया. हालाँकि, बेटी मेघना की देख-रेख को मद्देनज़र रखते हुए दोनों ने कभी तलाक नहीं लिया. असल में शादी के पहले गुलज़ार ने राखी से कहा था कि शादी के बाद वे फिल्मों में काम नहीं करेंगी. गुलज़ार को तब शादी के बाद औरतों का काम करना जायज नहीं लगता था.
राखी ने भी उनकी यह बात मान ली थी. लेकिन उन्होंने गुलज़ार से आग्रह भी किया था कि वे अपने निर्देशन में बनने वाली फिल्मों में उन्हें रोल देंगे. गुलज़ार ने उनके इस आग्रह को मान लिया था. समय आगे बढ़ा, तो गुलज़ार ने फ़िल्में बनानी शुरू कीं. राखी ने उनसे रोल देने का आग्रह किया. लेकिन गुलज़ार ने उन्हें रोल नहीं दिया.
वहीँ दूसरी तरफ राखी के सामने दूसरे निर्देशकों की फिल्मों में काम करने के ढेरों प्रस्ताव आते रहे. लेकिन वे अपना वादा निभाती रहीं, वहीं गुलज़ार उसे बार-बार तोड़ते रहे. ऐसा एक लंबे समय तक चलता रहा. फिर एक रात वह समय भी आया जब राखी के सब्र की सीमा टूट गई.
नाराजगी बढ़ी, तो टूटी शादी
गुलज़ार कश्मीर में अपनी फिल्म आंधी की शूटिंग कर रहे थे. उनके साथ राखी भी गई हुईं थीं. इस फिल्म में नायक और नायिका के तौर पर संजीव कुमार और सुचित्रा सेन अदाकारी कर रहे थे.
शूटिंग की एक रात जब सब लोग अपने-अपने स्थान वापस जाने वाले थे, तब सुचित्रा सेन और संजीव कपूर एक दूसरे के साथ कुछ बातें कर रहे थे. माहौल खुशनुमा था और दोनों शराब पी रहे थे. देखते-देखते संजीव ने हद से ज्यादा शराब पी ली थी. इस बीच सुचित्रा जब वापस जाने लगीं, तो संजीव ने उनकी बांह पकड़ ली और उन्हें जाने नहीं दिया.
संजीव की इस हरकत से सुचित्रा बहुत नाराज हो गईं. इसी बीच गुलज़ार आ गए और उन्हें संजीव से छुड़ाकर उनके कमरे तक छोड़ने गए. इसके बाद गुलज़ार जब अपने घर लौटे, तब राखी ने उनसे पूछा कि आखिर क्यों उन्हें सुचित्रा को उनके कमरे तक छोड़ने जाना पड़ा. गुलज़ार ने उनके इस प्रश्न का कोई जवाब नहीं दिया. राखी इससे काफी नाराज हो गईं.
इस बीच अगली सुबह निर्देशक यश चोपड़ा कश्मीर आए. उन्होंने राखी के सामने अपने अगले प्रोजेक्ट ‘कभी-कभी’ में काम करने का प्रस्ताव रखा. राखी ने झट से हाँ कर दी. यश जी ने उन्हें गुलज़ार से अनुमति लेने को कहा. लेकिन राखी, गुलज़ार से बुरी तरह नाराज थीं, इसलिए उन्होंने गुलज़ार से बिना पूछे ही यश चोपड़ा को हाँ कर दी.
आगे जब गुलज़ार को यह बात पता चली तो वे ख़ासा नाराज हुए.
आखिर में दोनों ने अलग होने का फैसला किया. हालाँकि, दोनों ने कभी तलाक नहीं लिया.
Web Title: A Night And A Condition Changed The Life Of Gulzar, Hindi Article
Feature Image Credit: dohaz