हम सभी इस बात से वाकिफ हैं कि 15 अगस्त 1947 को हिन्दोस्तान ब्रिटिश हुक़ूमत से आज़ाद हुआ. इसकी ख़ुशी में 15 अगस्त को समूचे भारत के बच्चे हो या जवान, महिला हो या पुरुष हर हिन्दुस्तानी आज़ादी के जश्न में बड़े हर्सोल्लास के साथ डूबा नज़र आता है.
आज के दिन हम उन वीर जवानों की कुर्बानी को भी याद करते हैं, जिन्होंने देश की ख़ातिर तन-मन व धन से योगदान दिया था.
मगर, क्या आप जानते हैं कि भारत के साथ कुछ ऐसे भी देश हैं, जिन्हें 15 अगस्त के दिन ही आजादी मिली थी. वे देश भी इसी दिन बड़ी ख़ुशी के साथ जश्ने यौमे आज़ादी (स्वतंत्रता दिवस का उत्सव) मनाते हैं.
वह देश कौन से हैं आइए जानते हैं-
कोरिया को मिली स्वतंत्रता
साऊथ कोरिया व दक्षिण कोरिया पर पहले जापान का कब्ज़ा हुआ करता था. बाद में 15 अगस्त के दिन ही इसको भी जापान से आज़ादी मिली थी. दरअसल, 1905 में जापान और कोरिया के बीच ‘ताफ्ट-कत्सुरा’ नामक समझौता हुआ. इसके बाद 1910 में जापान ने अपनी कूट नीति से कोरिया के राजनीतिक, आर्थिक व अन्य संचार प्रणालियों पर अपना कब्ज़ा कर लिया.
उस दौरान जापानियों ने कोरिया नागरिकों को अपनी गुलामी करने पर मजबूर कर दिया था. यहां तक कि जापान इन पर अपनी संस्कृति थोपने के लिए कई कठोर यातनाएं भी देता रहा. कई दंश झेलने के बाद कोरिया के मूल निवासियों ने लगातार विद्रोह भी किया, मगर उनकी क्रूरता और शक्ति के आगे कोरिया सफल न हो सका.
आगे जब अमेरिका ने जापान पर दो बड़ा परमाणु हमला किया. तो ऐसे में जापान ने अमेरिका के सामने आत्मसमर्पण कर दिया. इसके बाद 1945 में द्वितीय विश्व युद्ध में जापान को हार का सामना करना पड़ा. इसके साथ ही कोरिया को आज़ादी मिल गई थी.
मगर, कोरिया को संयुक्त राष्ट्र व्यवस्था के तहत दो भागों में विभाजित किया गया. इसके उत्तर भाग पर सोवियत संघ और दक्षिण भाग पर संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा शासन चलाया जाता था.
हालांकि, सोवियत संघ और अमेरिका के बीच हुई संधि ज्यादा दिनों तक नहीं चल सकी. इसके परिणाम स्वरूप दक्षिण कोरिया को 15 अगस्त 1948 में डेमोक्रेटिक पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ़ कोरिया नाम दिया गया. इसके बाद ‘सिंगमन री’ दक्षिण कोरिया के पहले राष्ट्रपति बने. वहीं, क्रांतिकारी नेता ‘किम इल सुंग’ उत्तर कोरिया के पहले राष्ट्रपति बने थे.
इस ख़ुशी में 15 अगस्त के दिन कोरिया की लगभग सभी इमारतों पर राष्ट्रीय ध्वज फहराकर आज़ादी का जश्न मनाया जाता है.
कांगो बना लोकतांत्रिक गणराज्य
15 अगस्त का दिन कांगो देशवासियों के लिए किसी त्योहार से कम नहीं हैं. इसी दिन भारत की तरह कांगो भी फ़्रांस की गुलामी से आज़ाद हुआ था. 14वीं शताब्दी से ही कांगो में पुर्तगालियों का आगमन शुरू हुआ.
वे कांगो नदी पर अपना अधिकार जमाये हुए थे. 1885 में बेल्जियम ने भी कांगो में अपना उपनिवेश जारी रखा.
आगे, राजा लियोपोल्ड द्वितीय के शासनकाल में लोग मुसीबत में थे. पूरे राज्य पर निजी कार्पोरेट का दबदबा था. इस दौरान कांगो कई बड़े-बड़े घोटाले हुए. इसकी वजह से देश में भुखमरी, गरीबी व बेरोजगारी जैसी समस्याओं ने जन्म ले लिया.
इसके बाद हर तरफ इस शासन का विरोध किया जाने लगा. ऐसे में 1908 में बेल्जियम के राजा लियोपोल्ड द्वितीय ने औपचारिक रूप से कांगो को मुक्त राज्य घोषित कर दिया. इसके बावजूद कांगो ‘फ्रेंच कोलोनियल’ के अधीन ही रही.
1940-50 के दौरान कांगो का शहरीकरण किया गया. इसके विकास के मद्देनज़र लोगों की ज़रूरतों की तमाम सुविधाएँ उत्पंन की गईं. मगर, कांगो में नस्लीय भेदभाव ने जन्म ले लिया था.
यहां के उपनिवेश में मजदूरी किसी अन्य अफ़्रीकी उपनिवेश से बहुत बड़ी थी. इसके बाद यहां धीरे-धीरे आजादी की मांग बढ़ने लगी. समय समय पर कई विद्रोह भी हुए इस दौरान कई कंगोलियों को निशाना भी बनाया गया.
इसी बीच 1959 में ब्राजविले में जातीय दंगा हुआ इसके बाद ही फ़्रांस ने 15 अगस्त 1960 को कांगो को आजाद कर दिया. इस तरह कांगो भी काफी दंश झेलने के बाद एक गणतंत्र राज्य बन गया.
तभी से कांगो में भी 15 अगस्त के दिन को स्वतंत्रता दिवस के रूप में मनाया जाता है.
बहरीन को मिली अंग्रेजों से आज़ादी
15 अगस्त की तारीख बहरीन के लिए एक यादगार दिन है, क्योंकि इसी दिन बहरीन को भी ब्रिटेन से आज़ादी मिली थी.
6 वीं शताब्दी में बहरीन एक इस्लामी मुल्क बन चुका था. आगे, जब 18 वीं शताब्दी के अंत में यहां पर अल खलीफा शाही परिवार का शासन हुआ करता था. तब 1830 में खलीफा और ब्रिटेन के बीच एक संधि हुई.
इसके तहत बहरीन ब्रिटिश संरक्षित देश बन गया. इसके बाद ब्रिटेन ने बहरीन में फारस खाड़ी पर अपना कब्ज़ा कर लिया.
आगे, 1971 में बहरीन ने ब्रिटेन से अपना समझौता समाप्त करने का फैसला किया.
इसके बाद 15 अगस्त 1971 में बहरीन ने अपने आप को स्वतंत्र राष्ट्र घोषित कर दिया. इस तरह बहरीन भी 15 अगस्त का दिन ही यौमे आज़ादी का जश्न मनाता है.
लिकटेंस्टीन हुआ आज़ाद
लिकटेंस्टीन पश्चिमी यूरोप का एक छोटा सा देश है. कांगो व भारत की तरह लिकटेंस्टीन में भी 15 अगस्त के दिन आज़ादी का जश्न बड़े त्योहार के तौर पर मनाया जाता है.
दरअसल, 1791 के आसपास लिकटेंस्टीन रोमन साम्राज्य का हिस्सा बन चुका था. 1815 में यह जर्मन संघ में शामिल हो गया. 1866 में यह समझौता टूट गया और लिकटेंस्टीन एक स्वतंत्र राज्य बन गया.
यहाँ पर दोबारा रोमन साम्राज्य का दबदबा कायम हो गया. दिलचस्प यह है कि स्वतंत्र होने के बाद भी लिकटेंस्टीन में आज़ादी का जश्न नहीं मनाया जाता था. मगर, इतिहास में 15 अगस्त के ही दिन यहां पर एक धार्मिक त्योहार मनाया जाता था.
इसी के साथ ही इसी दिन राजकुमार फ्रांज जोसेफ द्वितीय का जन्मदिन भी मनाया जाता था.
15 अगस्त 1940 को पहली बार राष्ट्रीय दिवस के रूप में उत्सव मनाया गया. तब से हर साल 15 अगस्त को लिकटेंस्टीन में बड़े उत्साह के साथ स्वतंत्रता दिवस मनाया जाता है. इस दिन देश में जगह-जगह पर विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं.
तो ये थे वो कुछ देश जो 15 अगस्त के दिन ही भारत के साथ आजादी का जश्न बड़े शानदार तरीके से मनाते हैं.
Web Title: Countries Who Celebrate Independence Day On 15 August, Hindi Article
Feature Image Credit: theconversation