हाल ही में खबर आई है कि यूरोपियन यूनियन ने गूगल पर रिकॉर्ड 4.34 बिलियन यूरो यानी करीब 34,308 करोड़ रूपए का जुर्माना लगाया है. यूरोपियन यूनियन ने यह जुर्माना गैरकानूनी तरीके से एंड्राइड के ऑपरेटिंग सिस्टम का इस्तेमाल अपने फायदे में करने के आरोप में गूगल पर लगाया है.
आर्थिक भाषा में इस जुर्माने को एंटीट्रस्ट फाइन कहा जाता है. ऐसे में इसके बारे में जानना सामायिक रहेगा.
क्या हैं एंटीट्रस्ट नियम और जुर्माना
जैसा कि हम जानते हैं कि मुक्त बाजार पूंजीवादी अर्थव्यवस्था की जान है. ऐसा कहा जाता है कि मुक्त बाजार में विभिन्न निर्माताओं और सेवा प्रदाताओं के बीच प्रतियोगिता होती है, इससे बाजार में वस्तुओं और सेवाओं की गुणवत्ता सुधरती है और मूल्य घटता है. इसलिए उपभोक्ताओं को फायदा होता है.
मोटे तौर पर अगर कहा जाए तो एंटीट्रस्ट फाइन मुक्त बाजार के इस ढाँचे को अपने फायदे के लिए मोड़ने वाले कोर्पोरेट्स के खिलाफ लगाया जाता है. यह इसलिए लगाया जाता है, ताकि ग्राहकों से वस्तुओं और सेवाओं की गैर-वाजिब कीमत न वसूली जाए और छोटे व्यवसायों को संरक्षण मिल सके.
एंटीट्रस्ट फाइन एंटीट्रस्ट नियमों के उल्लंघन पर लगते हैं. अलग-अलग देशों में ये अलग-अलग हो सकते हैं. लेकिन इनका मुख्य मकसद पूंजीवादी अर्थव्यवस्था के मुख्य ढाँचे को बचाकर ही रखना होता है. अलग-अलग देशों के अलावा कई देशों से मिलकर बना संघ भी इस तरह के नियम स्थापित कर सकता है. यूरोपियन यूनियन भी अनेक यूरोपीय देशों का संघ ही है.
अमेरिका और यूरोपीय यूनियन के नियम
इसी प्रकार अमेरिका के एंटीट्रस्ट नियम यूरोपियन यूनियन से भिन्न हैं. अमेरिका में ये नियम सभी प्रकार के उत्पादकों और सेवा प्रदाताओं पर लागू होते हैं. इनका मुख्य उद्देश्य ऐसी गतिविधियों को रोकना है, जिनसे व्यापार करने में रुकावट आती हो. इसके अलावा वस्तुओं की कीमत फिक्स करने, कॉर्पोरेट संघ बनाकर प्रतिद्वंदिता को कम करने और बाजार में एकाधिकार स्थापित करने की कोशिशों को रोकना है.
अमेरिका में ये नियम 1914 के फेडरल ट्रस्ट कमीशन के तहत लागू हैं. यह एक्ट 1914 में अमेरिकी संसद में पास हुआ था. समय-समय पर इसमें संशोधन होते रहे हैं.
वहीँ यूरोपीय यूनियन की एंटीट्रस्ट पालिसी मुख्यतः दो बिन्दुओं पर केन्द्रित है. पहले बिंदु का विवरण इसके अनुच्छेद 101 में मिलता है. इसके अनुसार ऐसी प्रत्येक गतिविधि को रोका जाना अनिवार्य है, जिससे मुक्त प्रतियोगिता में खलल पड़ता है. इस अनुच्छेद के तहत विभिन्न कोर्पोरेट्स अपने फायदे के लिए गुटबाजी नहीं कर सकते हैं.
वहीँ दूसरे बिंदु का वर्णन अनुच्छेद 102 में मिलता है. इसके तहत अगर किसी फर्म को बाजार में ऊँचा दर्जा प्राप्त है, तो वह इस दर्जे का गलत उपयोग नहीं कर सकती है. वह फर्म जानबूझकर न तो उत्पादों और सेवाओं की कीमत गिरा सकती है और न ही उत्पादन को कम कर सकती है, ताकि उत्पादों की कीमत बढ़ जाए.
इन दोनों अनुच्छेदों का अतिक्रमण होने पर यूरोपियन यूनियन कमीशन को यह अधिकार होता है कि वह फर्मों पर एंटीट्रस्ट फाइन लगा सके.
यूरोपियन यूनियन में ये नियम 1951 में पेरिस की संधि के तहत लागू हुए थे. तबसे लेकर आज तक इनमें कई संशोधन हो चुके हैं. इसके साथ बहुत सी फर्मों को इन नियमों के तहत सजा भी मिल चुकी है.
उल्लंघन और सजा
अगर हम इन नियमों के उल्लंघन के कुछ उदाहरणों पर नजर डालें तो इसमें रॉकफेलर के स्टैण्डर्ड आयल का नाम सबसे ऊपर आता है. स्टैण्डर्ड ऑयल ने जानबूझकर अपने तेल की कीमत को आधा कर लिया. इसके बाद बाकी लोगों को भी अपने तेल की कीमत कम करनी पड़ी. आगे रॉकफेलर ने अपने प्रतिद्वंदियों के शेयर खरीद लिए. इसके बाद रॉकफेलर के शेयर बढ़े तो उसने कम कीमत पर अधिक उत्पादन किया. इससे इतना फायदा हुआ कि रॉकफेलर ने अपने प्रतिद्वंदियों की रिफाइनरियां खरीद लीं.
दूसरा बड़ा उदाहरण माइक्रोसॉफ्ट से जुड़ा है. असल में माइक्रोसॉफ्ट ने अपनी विंडोज में अपना ही इन्टरनेट ब्राउजर जोड़ना शुरू कर दिया था. इस प्रकार उसने उपभोक्ताओं के सामने विकल्प को ख़त्म कर दिया था. जबकि विकल्पों का उपलब्ध होना, पूंजीवादी अर्थव्यवस्था का मुख्य लक्षण माना जाता है. हालाँकि, उपभोक्ताओं के पास माइक्रोसॉफ्ट के उत्पाद न खरीदने का भी विकल्प खुला था, लेकिन इसके बाद भी इसे दंड के योग्य माना गया. आगे माइक्रोसॉफ्ट को 70 बिलियन डॉलर का जुर्माना भरना पड़ा था.
एटी एंड टी का विभिन्न भागों में विभाजित किया जाना भी एंटीट्रस्ट पालिसी का उदाहरण है. असल में एटी एंड टी ने सांठ-गाँठ करके एक समय पर बाजार में अपना एकाधिकार कायम कर लिया था. सरकारी अधिकारीयों ने भी इस ओर ध्यान नहीं दिया था. आगे 1974 में अमेरिका के अटोर्नी जेनरल ने इसके खिलाफ अदालत में लॉ सूट फाइल किया था. सात वर्षों तक चली सुनवाई के बाद एटी एंड टी को दोषी पाया गया और इसका सात भागों में विभाजन कर दिया गया. आज केवल इसके तीन भाग ही कार्यरत हैं.
एटी एंड टी से मिलता जुलता उदहारण कोडक का भी है. कोडक ने एक समय बाजार पर 96 प्रतिशत नियन्त्रण स्थापित कर लिया था. कोडक फिल्म और कैमरा मार्केट से ताल्लुक रखने वाली कम्पनी है. इसके खिलाफ तब बहुत सारे एंटीट्रस्ट लॉ सूट फाइल किए गए. इनमें से बहुत सारे कोडक ने जीत लिए. लेकिन दो सुनवाइयों ने इसे धक्का पहुँचाया.
पहली सुनवाई में कोडक को किसी भी प्राइवेट फिल्म को अपने बैनर तले बेचने से रोक दिया गया. इस निर्णय के बाद कोडक ने कोडाकलर नाम की नई फर्म बना ली और प्राइवेट फिल्म को बेचना शुरू कर दिया. इसके साथ ही उन्होंने एक नियम भी बना लिया कि ऐसी फ़िल्में केवल कोडाकलर ही बेच सकता है. अपनी सेवाओं के लिए उन्होंने अतिरिक्त शुल्क वसूलना भी शुरू कर दिया. आगे 1954 में इसे गैर-कानूनी करार दिया गया.
तो ये थे एंटीट्रस्ट नियम और फाइन से जुड़े कुछ तथ्य. इन्हें इसलिए स्थापित किया गया है ताकि उपभोक्ताओं और छोटे व्यवसायों के अधिकारों की रक्षा हो सके. हालाँकि, कई अर्थशास्त्रियों का मानना है कि इन नियमों से अच्छा प्रदर्शन कर रहे व्यवसायों की राह में रुकावट आती है. वहीँ, कई अन्य अर्थशास्त्रियों का मानना है कि ये नियम बस छलावा हैं और बड़े पूंजीपतियों के हितों की रक्षा करते हैं.
Web Title: Antitrust Fine On Google By European Union, Hindi Article
Feature Image Credit: Apple Pips