बच्चा, बूढा और जवान!
चॉकलेट होती ही इतनी स्वादिष्ट है कि इसका नाम सुनते ही सबके मुंह में पानी आ जाता है. आज ‘वर्ल्ड चॉकलेट डे’ पर हम बात करेंगे इसके इतिहास की.
सिर्फ बच्चों के लिए समझी जाने वाली चॉकलेट को कैडबरी ने विज्ञापन द्वारा हर वर्ग की ऑडियंस को टारगेट कर सबका पसंदीदा प्रोडक्ट बना दिया.
कहीं न कहीं जब बात चॉकलेट की आती है, उसमें डेरी मिल्क का नाम तुरंत हमारे दिमाग में आता है. खासकर, भारत में इसका पसंद किया जाना और इसके विज्ञापन के हमेशा हमारे दिमाग पर छाये रहने की कहानी बड़ी दिलचस्प है.
जानते हैं, मुंह में जाते ही घुल जाने वाली इस चॉकलेट के इतिहास से लेकर भारत में इसकी उपलब्धि की कहानी-
ग्रोसरी की दुकान से शुरू हुआ सफ़र
साल 1824 में जॉन कैडबरी ने बर्मिंघम की 93 बुल स्ट्रीट में एक दुकान से अपने सफर की शुरुआत की. जॉन वहां कॉफी, चाय और चॉकलेट ड्रिंक बेचा करते थे.
अपनी दुकान के दौरान, उनका ध्यान इस बात ने अपनी और खींचा कि ज्यादातर लोग चाय और कॉफी से ज्यादा उनकी चॉकलेट ड्रिंक को पसंद कर रहे हैं.
बस, इसके बाद क्या था साल 1831 से उन्होंने चाय और कॉफी को अपनी दुकान से अलविदा कह दिया और अब वो सिर्फ चॉकलेट ड्रिंक को ही बेचने लगे.
उनका ये बदलाव इतना सफल साबित हुआ कि लोगों के बीच इसकी ज्यादा डिमांड बढ़ने लगी और उसी साल उन्हें चॉकलेट का बिज़नेस करने की सूझी. उन्होंने 1831 में क्रूकड लेन में एक गोदाम खरीदकर इसका कमर्शियल उत्पादन करना शुरू कर दिया.
समय के साथ यह लोगों के बीच बहुत मशहूर हो गयी. लिहाज़ा, 1847 आते-आते जॉन ने अपने भाई बेंजामिन को भी अपने इस धंधे से जोड़ लिया. अब दोनों भाई इसे और बड़े स्तर पर लेकर गए. उन दोनों ने मिलकर ब्रिज स्ट्रीट में एक बहुत बड़ी फैक्ट्री खोली.
1854 में रानी विक्टोरिया ने कैडबरी कंपनी को अपनी क्वालिटी के लिए रॉयल वारंट का सर्टिफिकेट दिया. आपको बता दें, इस सर्टिफिकेट के मिलने का मतलब होता था कि इन उत्पादों को रॉयल लोग भी इस्तेमाल कर सकते हैं.
ब्रिटेन में मशहूर हो चुकी कैडबरी के मालिक दोनों भाई 1860 में अलग हो गए थे. जॉन के बाद उनकी कंपनी का कार्यभार उनके बेटे रिचर्ड और जॉर्ज कैडबरी ने संभाला.
ब्रिटेन में पूरी तरह से अपने पैर पसारने के बाद अब यह दूसरे देशों में भी बेचा जाने लगा. जॉर्ज कैडबरी ने 1905 में मशहूर चॉकलेट डेरी मिल्क का आविष्कार किया. हालांकि, इसकी रिसर्च में 1897 से ही लगे हुए थे.
इस चॉकलेट का नाम एक ग्राहक की बेटी ने दिया था ‘डेरी मिल्क'.
तो यूँ बनी कैडबरी की डेरी मिल्क चॉकलेट जो आज चॉकलेट की समानार्थी बन गई है. वैसे तो कैडबरी ने सबसे पहले इसे 1903 में साउथ अफ्रीका के बाज़ार में भेजा था और इसके बाद पूरे विश्व में मशहूर हो गई.
आज़ादी के एक साल बाद भारत में दी दस्तक!
बड़ी तेज़ी से लोगों में मशहूर हो चुकी डेरी मिल्क चॉकलेट 1948 में भारत आई. जी बिलकुल! हमारे देश के स्वतंत्र होने के एक साल बाद.
भारत के बाज़ार में आते ही ये लोगों के बीच बड़ी मशहूर हो गयी. दरअसल, इसका स्वाद ही इतना लजीज़ था कि लोगों ने इसे बहुत पसंद किया. तभी तो 1948 में भारतीय बाज़ार में आई इस चॉकलेट का जलवा आज भी बरकरार है.
वर्तमान समय में, कैडबरी भारत में चॉकलेट के अलावा कन्फेक्शनरी, बेवरेज, बिस्कुट, और कैंडी का निर्माण करता है. और बात अगर पूरी दुनिया की करें तो यह आज के समय में 50 से भी ज्यादा देशों में अपना व्यापार फैलाए हुए है.
भारत के बाजार में मशहूर और अपनी धाक जमाने में कंपनी के विज्ञापनों ने अहम भूमिका निभायी. ऐसे में, कुछ विज्ञापनों के बारे में जानना बेहद दिलचस्प रहेगा.
...खाने के बाद कुछ मीठा हो जाए!
जहां चॉकलेट को सिर्फ बच्चों के लिए ज्यादा समझा जाता रहा था. उस धारणा को तोड़ने का काम कैडबरी ने किया.
वो कैसे?
अपने विज्ञापनों द्वारा. दरअसल, उन्होंने इसे इस तरह जनता के सामने रखा कि इसका इस्तेमाल मिठाई की तरह हो. कैडबरी चॉकलेट के साथ ‘सेलिब्रेशन’ शब्द जोड़कर इसे खुशियों के समय खाया जाने वाला उत्पाद बनाकर पेश किया.
जिसे लोगों ने बहुत पसंद भी किया. इन विज्ञापनों को साल 2007 में अमिताभ बच्चन के चेहरे के साथ आपने जरुर देखा होगा. विज्ञापन में वो दिवाली के समय मिठाई की जगह इसे देते हुए नज़र आते थे.
इसके दो साल बाद यानि साल 2009 में डेरी मिल्क एक नयी टैगलाइन के साथ आया. इस बार उन्होंने ऑफिस के लोगों को टारगेट करते हुए एक जिंगल बनाया. इस जिंगल में ‘आज पहली तारीख है' को तवज्जों दी गयी.
किशोर कुमार द्वारा गाये हुए इस गाने को विज्ञापन में बजाया गया. इसे लोगों ने बहुत पसंद किया. पहली तारीख को सैलरी की खुशी में डेरी मिल्क खाना ही विज्ञापन का संदेश था.
‘स्वाद जिंदगी का' से लेकर ‘इस दिवाली किसे खुश करेंगे’ जैसे टैगलाइन्स के साथ इसने भारतीय लोगों के दिलों में जगह बना ली. इसने हर केटेगरी के लोगों को टार्गेट किया. हाल-फिलहाल इसकी सबसे मशहूर टैगलाइन है ‘खाने में कुछ मीठा हो जाए’.
...और जब इसके दामन पर लगा था दाग!
अपनी क्वालिटी के लिए मशहूर कैडबरी डेरी मिल्क चॉकलेट उस समय विवादों में गिर गया जब इसमें कीड़े होने की खबर आई. दरअसल, 15 साल पहले महाराष्ट्र से इस चॉकलेट में कीड़े होने की खबर से लोगों का इसके प्रति विश्वास को हिल गया.
इसकी वजह से कंपनी को बहुत बुरे दौर से गुज़ारना पड़ा. जहां एक ओर बदनामी तो हुई साथ ही कंपनी के सेल्स तीस प्रतिशत तक जा गिरे. ये उनके लिए एक भूचाल की तरह था.
आपको बता दें, कैडबरी कंपनी का सबसे ज्यादा बिकने वाला प्रोडक्ट डेरी मिल्क चॉकलेट ही है. ऐसे में, वही सवालों के घेरे में आ जाए तो चिंता करना तो लाज़मी है.
लिहाज़ा, इस विवाद से बचने के लिए कंपनी ने बेहद क्रिएटिव आईडिया सोचा. जिससे कंपनी न सिर्फ उपभोक्ताओं का विश्वास जीतने में सफल हुई बल्कि एक बार फिर मार्केट में अपनी वापसी कर ली.
दरअसल, कंपनी ने एक कैंपेन लांच किया. इस कैंपेन का नाम था ‘विश्वास’ और इसका चेहरा बने अमिताभ बच्चन. उनका ये कैंपेन बेहद सफल रहा और उन्होंने लोगों से माफ़ी मांगते हुए इस बार मजबूत सील पैक्ड डेरी मिल्क को मार्केट में लाने का वादा किया.
इन सबके अलावा, उन्होंने कैंपेन के तहत 19 हज़ार रिटेलर्स को सुरक्षित स्टोरेज करने के बारे में बताया और इस तरह कंपनी मार्केट में एक बार फिर अपना आप को स्थापित करने में सफल हो गयी.
Web Title: Dairy Milk Chocolate: Is Anything Sweet In Food?, Hindi Article
Feature Image Credit: baioscopeik