कुलभूषण पंडित के रूप में जन्में राज कुमार को आज भारतीय सिनेमा के जगत के एक चमकते सितारे के रूप में याद किया जाता है.
1926 में बलूचिस्तान में इनका जन्म हुआ था. राज कुमार पेशे से बम्बई पुलिस में सब- इंस्पेक्टर थे. 1957 में आई फिल्म ‘मदर इंडिया’ में निभाए गए किरदार के लिए इन्हें ऑस्कर पुरस्कार के लिए नामित किया गया था.
चार दशक लंबे अपने करियर में उन्होंने 70 से अधिक फिल्मों में अदाकारी की. उनका डायलॉग बोलने का अंदाज बेमिसाल था. फिल्म चाहे कैसी भी हो, राज कुमार के डायलॉग हमेशा दर्शकों को भाते थे.
तो आईए आज उनके कुछ ऐसे ही डायलॉग्स को जानते है, जिन्होंने उन्हें अमर कर दिया-
'वक्त'
''चिनॉय सेठ, जिनके अपने घर शीशे के हों,
वो दूसरों पर पत्थर नहीं फेंका करते''
यह डायलॉग है 1965 में आई फिल्म ‘वक्त’ का. इसमें राज कुमार ने राजा नाम के एक व्यक्ति का किरदार निभाया है.
उनके साथ इस फिल्म में सुनील दत्त और साधना ने भी अदाकारी कि है. इस फिल्म का निर्देशन यश चोपरा ने किया.
'बेताज बादशाह'
हम अपने कदमों की आहट से हवा का रुख़ बदल देते हैं.
यह डायलॉग है 1994 में आई फिल्म 'बेताज बादशाह' का. इसमें राज कुमार ने पृथ्वीराज के रूप में न्यायपसंद राजा का किरदार निभाया है.
लोग पृथ्वीराज को पूजते हैं. उसकी कही हर बात लोगों के लिए पत्थर की लकीर है. उससे कोई आँख मिलाने की हिमात नहीं करता है.
इस फिल्म में राजकुमार के साथ शत्रुघ्न सिन्हा ने भी काम किया है. इसका निर्देशन इकबाल दुरानी ने किया है.
'सौदागर'
''शेर को सांप और बिच्छू काटा नहीं करते,
दूर ही दूर से रेंगते हुए निकल जाते हैं''
इस डायलॉग में घमंड है. घमंड ऐसा कि मैं ही सबसे अधिक ताकतवर हूँ. खैर, जिस फिल्म का यह डायलॉग है, उसकी कहानी ही कुछ ऐसी है.
यह डायलॉग 1991 में आई फिल्म 'सौदागर' का हिस्सा है. इसमें राज कुमार ने राजेश्वर सिंह का किरदार अदा किया है. उनके विपरीत में दिलीप कुमार हैं. उन्होंने वीरू सिंह का किरदार अदा किया है.
इस फिल्म की कहानी सचिन भौमिक और सुभाष घई ने लिखी है. इसका निर्देशन भी सुभाष ने ही किया है.
'तिरंगा'
''अपना तो उसूल है...पहले मुलाकात,
फिर बात और फिर जरूरत पड़े तो लात''
1992 में आई फिल्म 'तिरंगा' का यह डायलॉग आज भी लोगों को मुंहजबानी याद रहता है. इस फिल्म में राज कुमार ने ब्रिगेडियर सूर्यदेव सिंह का किरदार अदा किया है.
वैसे तो इस फिल्म में सिगार पीते हुए ब्रिगेडियर सूर्यदेव सिंह ने एक से बढ़कर एक डायलॉग बोले हैं, लेकिन यह डायलॉग पूरी फिल्म का सार है.
इस फिल्म में नाना पाटेकर ने पुलिस ऑफिसर शिवाजी राव वागले का किरदार निभाकर राज कुमार का साथ दिया है. वहीं दीपक शिर्के ने प्रलयनाथ गुंडास्वामी के रूप में विलेन का किरदार निभाया है.
इस फ़िल्म का निर्देशन मेहुल कुमार ने किया है और इसकी कहानी के. के . सिंह ने लिखी है.
'पाकीजा'
''चलो यहां से ये किसी दलदल पर कोहरे से बनी हुई हवेली है,
जो किसी को पनाह नहीं दे सकती. ये बड़ी ख़तरनाक जगह है''
यह डायलॉग 1972 में आई फिल्म पाकीजा का हिस्सा है. वैसे तो इस फिल्म को मीना कुमारी की अदाकारी के लिए याद किया जाता है, लेकिन राज कुमार ने भी इसमें कोई कम संजीदा अदाकारी नहीं की है.
इस फिल्म में मीना कुमारी ने एक ऐसी वेश्या का किरदार निभाया है, जिसका दिल पानी की तरह साफ है. राज कुमार ने इसमें सलीम अहमद खान का किरदार निभाया है.
इस फिल्म की कहानी अमन और कमल अमरोही ने लिखी है. इसका निर्देशन भी कमल अमरोही ने ही किया है.
'मरते दम तक'
''बोटियां नोचने वाला गीदड़,
गला फाड़ने से शेर नहीं बन जाता''
यह डायलॉग 1987 में आई फिल्म 'मरते दम तक' से लिया गया है. इस फिल्म में राज कुमार ने दो किरदार निभाए हैं.
पहला, राने के रूप में इंस्पेक्टर का और दूसरा राणा के रूप में अंडरवर्ल्ड डॉन का. उनके साथ इस फिल्म में गोविंदा भी हैं. वहीँ उस समय की मशहूर अभिनेत्री फराह नाज़ ने भी इसमें अदाकारी की है.
इस फिल्म के कहानीकार और निर्देशक, दोनों ही मेहुल कुमार हैं.
'बुलंदी'
''इरादा पैदा करो, इरादा,
इरादे से आसमान का चांद भी, इंसान के कदमों में सजदा करता है.''
यह डायलॉग 1981 में आई फिल्म 'बुलंदी' का हिस्सा है. इस फिल्म में राज कुमार ने प्रोफ़ेसर सतीश खुराना का किरदार अदा किया है.
प्रोफ़ेसर सतीश खुराना एक गैंगस्टर के लड़के को पढ़ाने का जिम्मा उठाते हैं और खुद खूनी खेल का हिस्सा बन जाते हैं.
इस फिल्म में राजकुमार के विपरीत हेलेन और आशा पारिख ने काम किया है. कहानी मोईनुद्दीन और संतोष ने लिखी है. इस फिल्म का निर्देशन इस्माइल श्रॉफ ने किया है.
'पुलिस पब्लिक'
''मिनिस्टर साहब, गरम पानी से घर नहीं जलाए जाते,
हमारे इरादों से टकराओगे तो सर फोड़ लोगे''
राज कुमार ने यह डायलॉग एक सीबीआई ऑफिसर के किरदार में बोला है. यह डायलॉग 1990 में आई फिल्म 'पुलिस पब्लिक' का हिस्सा है. इस फिल्म में राजकुमार ने जगमोहन आजाद नाम के एक कर्तव्यनिष्ठ सीबीआई ऑफिसर का किरदार अदा किया है.
इस फिल्म में राजकुमार के साथ विजय ऐडसानी,ईला अरुण और जयश्री अरोड़ा ने काम किया है. इस फिल्म की कहानी मोईनुद्दीन और असद भोपाली ने लिखी है. असद ने इसके गीतों की भी रचना की है. इस्माइल श्रॉफ ने इसका निर्देशन किया है.
तो ये थे राज कुमार के कुछ दमदार डायलॉग्स, जिन्होंने उन्हें अमर कर दिया-
अगर आपको भी ऐसा कोई डायलॉग याद है, तो कृपया नीचे दिए कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं.
Web Title: Dialogues Which Made Raj Kumar Immortal, Hindi Article
Feature Image Credit: Laughing Colours