चुरा लिया है तुमने जो दिल को, नजर नहीं चुराना सनम… बदल के मेरी तुम जिंदगानी, कहीं बदल ना जाना सनम… ये गाना है 1973 में आई फिल्म यादों की बारात का. इसको गाया है आशा भोसले और मोहम्मद रफ़ी ने.
इस गाने को जब हम आज सुनते हैं तो मन में साठ के दशक की छवि बनती है. साठ के दशक में फ़िल्मी संगीत की दुनिया पर राहुल देव बर्मन का जादू सर चढ़कर बोल रहा था. वही राहुल देव बर्मन, जिन्हें प्यार से सब पंचम दा कहते थे.
राहुल देव बर्मन ने फ़िल्मी संगीत की काया पूरी तरह से बदल दी. उन्होंने पश्चिमी संगीत को भारतीय संगीत में मिलाकर नए प्रयोग किए. इसके परिणामस्वरूप कुछ सदाबहार गाने हमें दे गए.
तो आईए जानते हैं उनमें से कुछ बेहतरीन गानों को जानते हैं-
आओ ना गले लगा लो ना...
इस लिस्ट में पहला गाना है, आओ ना गले लगा लो ना, तुमने जो अगन लगाई है तो छूके देखो ना... यह गाना है फिल्म ‘मेरे जीवन साथी’ का. इसके बोल लिखे हैं मरजूह सुल्तानपुरी ने और गाया है आशा भोसले ने.
रोमांटिक गानों की बात करें तो ये गाना आज भी सदाबहार है. वजह है इसका संगीत. हालाँकि, बोल भी कुछ कम नहीं है. लेकिन राहुल देव बर्मन द्वारा दिया गया संगीत अपने आप में बेमिसाल है.
इस गाने में प्रेमिका अपने प्रेमी को बेचैन होकर अपने पास बुला रही है. प्रेमिका की इस मनोस्थिति को पंचम दा बखूबी अपने संगीत से बयां किया है.
आपसे भी खूबसूरत आपके अंदाज हैं...
इस लिस्ट में दूसरा गाना है- आपकी आँखों में कुछ महके से हुए राज हैं, आपसे भी खूबसूरत आपके अंदाज हैं... यह गाना है फिल्म घर का. पिछले गाने की तरह इसमें प्रेमी या प्रेमिका के मन में कोई बेचैनी नहीं है. इस गाने में प्रेम का सोंधा एहसास है. इसमें प्रेमी और प्रेमिका एक दूसरे की तुलना प्रकृति में व्याप्त सबसे खूबसूरत चीजों से कर रहे हैं.
ऐसी स्थिति में इस गाने के संगीत में ज्यादा उतार-चढ़ाव होने की गुंजाइश नहीं बचती है. इस बात को पंचम दा ने बखूबी समझा और इसलिए एक सतत मधुर धुन तैयार की. आज भी यह गाना दिल को सुकून पहुंचाता है.
इस गाने के बोल गुलजार ने लिखे और गाया किशोर कुमार और लता मंगेशकर ने.
तुम आ गए हो तो नूर आ गया है...
तुम आ गए हो तो नूर आ गया है, नहीं तो चिरागों से लौ जा रही थी/ जीने की तुमसे वजह मिल गई है, बड़ी बेवजह जिंदगी जा रही थी... यह इस लिस्ट का तीसरा गाना है.
जैसे की गाने के बोल से पता चल रहा है कि प्रेमी और प्रेमिका के जीवन में हताशा थी. एक-दूसरे से मिलने से पहले दोनों को अपना जीवन किसी बोझ से कम नहीं लगता था. फिर एक- दूसरे से मिलने के बाद उन्हें अपने जीवन में एक आशा की किरण दिखी. ऐसी आशा की किरण, जो उनके जीवन को चटख गुलनार बनाने जा रही है.
ऐसी किरण जो उनके जीवन में खुशियों के गुलाबी फूल खिलाने जा रही है.
इसलिए ऐसी स्तिथि को संगीतबद्ध करने के लिए जरूरी था कि इस गाने में ऐसा संगीत दिया जाए, जो उदासी से ख़ुशी की ओर प्रस्थान कर रहा हो. इस संगीत में असुरक्षा और निराशा की भावना की जगह ख़ुशी और आशा को लेनी थी.
पंचम दा ने यह काम बखूबी किया.
यह गाना आंधी फिल्म का हिस्सा था. इसके बोल गुलजार ने लिखे और इसे किशोर कुमार और लता मंगेशकर की आवाज मिली.
खुलेआम आँचल ना लहरा के चलिए…
हुज़ूर इस कदर भी ना इतरा के चलिए, खुलेआम आँचल ना लहरा के चलिए…
इस सदाबहार गाने के बोल एक बार फिर से गुलजार ने लिखे. इसे गाया है सुरेन्द्र और भूपेन्द्र वाडकर ने.
1982 में आई फिल्म मासूम में यह गाना था. इस फिल्म में तब के दो मशहूर कलाकारों शबाना आजमी और नसीरुद्दीन शाह ने अभिनय किया. इस फिल्म की कहानी एक औरत के ह्रदय की विशालता को रेखांकित करती है.
बहरहाल, पंचम दा द्वारा निर्देशित यह गाना आज भी लोकप्रिय बना हुआ है. इस गाने में हल्की उदासी के साथ भीना-भीना सा रोमांस भी है. इस गाने के संगीत ने नायक के दिल में पैदा हुए इन भावों को मधुर धुन में अभिव्यक्त किया है.
पिया- पिया बोले मतवाला जिया...
इस लिस्ट में पांचवा गाना है- तूने ओ रंगीले कैसा जादू किया, पिया- पिया बोले मतवाला जिया.
1981 में आई कुदरत फिल्म में कई अच्छे गाने थे. यह गाना उन्हीं में से एक है. इस फिल्म में हेमा मालिनी और राजेश खन्ना ने मुख्य भूमिकाएं निभाईं. इस गाने के बोल मजरूह सुल्तानपुरी ने लिखे और गाया लता मंगेशकर ने.
इस गाने को सुनने के बाद लगता है कि कभी इस फिल इंडस्ट्री में अच्छे संगीत और बोल कितना महत्त्व रखते थे. तब संगीतकार और गीतकार अपनी आत्मा निकालकर रख देते थे. आज की तरह उन गानों में फूहड़ता नहीं होती थी.
शायद यही वजह है कि ये गाना भी आज सदाबहार बना हुआ है. राहुल देव बर्मन ने इस गाने में ऐसा संगीत दिया है, जिसमें आनंद की अनुभूति होती है. इसलिए ही यह गाना ख़ासा लोकप्रिय हुआ.
कह दूं तुम्हे या चुप रहूँ...
इस लिस्ट में आखिरी स्थान पर है दीवार फिल्म का गाना कह दूं तुम्हे या चुप रहूँ, दिल में मेरे आज क्या है…
वैसे तो इस फिल्म को इसकी जोरदार कहानी के लिए याद किया जाता है, बावजूद इसके इस फिल्म के गानों में पंचम दा ने जान फूंकी है. यह गाना उसी का परिणाम है. इस गाने के बोल में एक शरारती अंदाज है. इस शरारती अंदाज में रोमांस गुंथा हुआ है. इसलिए इस गाने के संगीत में उल्लासित करने वाली धुनें होनी चाहिए.
इस बात को पंचम दा ने समझा और इसी तरह का संगीत तैयार किया. यह गाना आज भी जब कभी बजता है तो दिल में एक अजीब खनक बज उठती है. इस गाने के बोल साहिर लुधियानवी ने लिखे और इसे आशा भोसले और किशोर कुमार ने गाया.
तो ये थे राहुल देव बर्मन द्वारा निर्देशित किए गए कुछ सदबहार गीत.
अगर आप भी ऐसे किसी गाने को पसंद करते हैं, तो नीचे दिए कमेन्ट बॉक्स में जरूर बताएं.
Web Title: Best Evergreen Songs of Pancham Da, Hindi Article
Feature Image Credit: Pradipta/youtube