देश की सबसे बड़ी ई-कॉमर्स कंपनी फ्लिपकार्ट अब वॉलमार्ट की होने जा रही है, वही फ्लिपकार्ट, जिसे आईआईटी के 2 दोस्तों ने 2007 में एक 2 कमरों के फ्लैट से शुरू किया था.
अब चूंकि उसका मालिकाना हक वॉलमार्ट के हाथों में जाने वाला है, इसलिए जानना आवश्यक हो जाता है कि भारत की ई-काॅमर्स दुनिया में अब आगे क्या होगा –
‘ओपी जिंदल मॉडर्न’ स्कूल से हुई शुरूआत
देखा जाए तो फ्लिपकार्ड बनने की कहानी सचिन बंसल और बिन्नी बंसल की दोस्ती से ही शुरू हो गई थी. सही पढ़ा आपने दोस्ती से…!
सरनेम एक होने की वजह से कई लोगों को लगता है कि सचिन और बिन्नी दोनों सगे भाई हैं, जबकि, सच तो ये है कि वह दूर के रिश्तेदार भी नहीं.
अब आप कहेंगे कि फिर दोनों साथ कैसे आ गए और फ्लिपकार्ड जैसी कंपनी कैसे बना डाली!
…तो सुनिए, दोनों की स्कूलिंग एक साथ हुई है.
मतलब वह स्कूल फ्रेंड हैं. वह भी उस वक्त से जब वह हिसार के ओपी जिंदल मॉडर्न स्कूल में एक साथ पढ़ते थे.
बाद में जैसे-जैसे दोनों बड़े हुए, वैसे-वैसे उनकी दोस्ती गहराती चली गई.
अमूमन स्कूल से निकलने के बाद स्कूल फ्रैंड अलग-अलग हो जाते हैं, लेकिन सचिन और बिन्नी के साथ ऐसा नहीं हुआ.
स्कूल की तर्ज पर वह आगे की पढ़ाई में भी सहपाठी बने और आईआईटी दिल्ली पहुंच गए. वहां से उन्होंने कंप्यूटर साइंस में बैचलक डिग्री ली.
इसके बाद जैसा कि ज्यादातर युवा करते उन्होंने नौकरी की तरफ रुख किया. सचिन ने ‘टेकस्पैन’ नामक कंपनी ज्वाइन की, तो बिन्नी ‘सैर्नऑफ कॉर्पोरेशन’ के साथ जुड़ गए.
ऐसे में एक पल के लिए लगा कि दोनों की राहें अलग हो गईं है, किंतु जब वे एमेजॉन में एक साथ सहकर्मी बने तो उनकी राहें फिर से एक हो गईं. आगे की कहानी और भी ज्यादा दिलचस्प है…
Sachin and Binny. (Pic: India Today)
दो कमरों के फ्लैट से शुरू की नौकरी
सचिन और बिन्नी एमेजॉन की नौकरी कर तो रहे थे, लेकिन उनके दिमाग में कुछ और चल रहा था, जोकि उस वक्त जगजाहिर हुआ, जब दोनों ने 2007 में नौकरी छोड़कर ‘फ्लिपकार्ट’ के रूप में एक कपंनी शुरू कर दी.
शुरुआत में उनकी कंपनी एक ऑनलाइन बुक स्टोर जैसी ही थी.
इसके बाद समय के साथ उन्होंने बाजार के रुख को महसूस किया और बुक के अलावा कई सारे प्रॉडक्ट्स की कैटिगरी को ऐड किया गया. वह यहीं नहीं रुके, उन्होंने अपने से छोटी ई-कॉमर्स कंपनियों पर भी नज़र बनाए रखी और उन्हें खरीदना जारी रखा.
उन्होंने जिन ई-कॉमर्स कंपनियों को खरीदा उसमें मिंत्रा, ईबे, फोनपे, चकपक जैसे कुछ बड़े नाम भी शामिल हैं.
2010 में फ्लिपकार्ट ने अपने उपभोक्ताओं को ‘कैश ऑन डिलिवरी’ की सुविधा दी.
गौर करने वाली बात तो यह है कि जब फ्लिपकार्ट ने ‘कैश ऑन डिलिवरी’ की शुरुआत की, तब केवल 0.5 प्रतिशत लोग ही क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल करते थे.
ऐसे में उनका यह प्रयोग चौंकाने वाला था. लेकिन इसके दम पर वह अपने नए उपभोक्ता बनाने में कामयाब रहे.
Praveen Sinha Jabong Founder (Pic: technologers.com)
‘कैश ऑन डिलिवरी’ बना क्रांतिकारी कदम
‘कैश ऑन डिलिवरी’ के रूप में फ्लिपकार्ट ने एक बड़ा दांव चला था, किन्तु समस्या यह थी कि लोगों में ‘ऑनलाइन शॉपिंग’ को लेकर डर था.
असल में अपने प्रॉडक्ट की गुणवत्ता को लेकर उनके अंदर कई सवाल थे. जैसे वह कैसा होगा, खराब हुआ तो वापस होगा कि नहीं!
सवाल जायज थे, इसलिए इन प्रश्नों पर फ्लिपकार्ट ने काम शुरू किया और ‘प्रॉडक्ट रिटर्न’ करने का विकल्प जोड़ दिया, जिसके बाद कंपनी ने टॉप गियर पकड़ लिया!
नतीजा यह रहा कि ऑनलाइन सेल का सिलसिला शुरू हो गया. इस कड़ी में आपको मोटोरोला वाली वो सेल्स तो याद ही होंगी, जिसके तहत महज 5 महीनों में ही फ्लिपकार्ट पर उसने 10 लाख से भी ज्यादा स्मार्टफोन बेच दिए थे.
गाड़ी निकल पड़ी, तो आगे फ्लिपकार्ट ने ईएमआई सुविधा के जरिए कीमती प्रॉडक्ट्स को घर-घर पहुंचाने की कवायत शुरू कर दी, जो बहुत लोकप्रिय साबित हुई.
इसके बाद पुराने प्रॉडक्ट्स को एक्सचेंज करने का विकल्प देकर ई-कामर्स इंडस्ट्री को ही बदल डाला.
इस तरह देखते ही देखते 2 कमरों से शुरू हुई यह कंपनी बड़ी होती गई. आज इसके पास 100 मिलियन से ज्यादा रजिस्टर्ड उपभोक्ता हैं, और बेचने के लिए ढेरों प्रोड्क्ट्स.
Cash on Delivery on Flipkart (Pic: Couponraja)
अमेजन की बजाए, थामा वाॅलमार्ट का दामन
2007 में कंपनी के पास 2 कमरों का स्पेस था. अब इसके पास अमेजन, वाॅलमार्ट जैसी बड़ी कंपनियों के दरवाजे खुले हुए हैं.
बताते चलें कि पिछले ही महीने फ्लिपकार्ट ने बेंगलुरु स्थित अपने सभी दफ्तरों को 8.3 लाख स्क्वेयर फीट के बड़े कैंपस में शिफ्ट किया था.
अब चूंकि कंपनी वाॅलमार्ट की होने जा रही है, ऐसे में सवाल लाजमी है कि आखिर वह कौन से कारण रहे कि फ्लिपकार्ट ने वाॅलमार्ट का दामन थामा, जबकि ऑनलाइन व्यापार में वाॅलमार्ट अमेजन से बहुत आगे है.
बताते चलें कि जहां वाॅलमार्ट की नेट इनकम 986.2 करोड़ (2018) यूएस डाॅलर है, वहीं अमेजन की नेट इनकम 303.2 करोड़ (2018) यूएस डाॅलर है.
बावजूद इसके खबरों की मानें तो फ्लिपकार्ट का मैनेजमेंट अमेजन की तरफ नहीं जाना चाहता था, क्योंकि वह शुरू से ही उसकी प्रतिद्वंद्वी रही है. ऐसे में वह नहीं चाहता था कि उसके नेटवर्क और टेक्नालॉजी का लाभ अमेजन को मिले.
दूसरी तरफ वाॅलमार्ट अपने राजस्व का महज 3 प्रतिशत ही ऑनलाइन बाजार से कमाती थी, जबकि अमेजन का करीब-करीब पूरा रेवन्यू ऑनलाइन माध्यमों से ही आता है. ऐसे में वाॅलमार्ट अपने विस्तार की चाह में फ्लिपकार्ट को बेस्ट डील देने में सक्षम रही.
इस सबके अलावा इस डील में भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग का भी अहम रोल रहा होगा. वह इसलिए क्योंकि उसकी कुछ ऐसी शर्ते हैं, जिनके अनुसार किसी एक इंडस्ट्री में किसी एक कंपनी का वर्चस्व न होने का ख्याल रखा जाता है!
Amazon Missed opportunity to acquire FlipKart (Pic: India Today)
बहरहाल, डील हो चुकी है और फ्लिपकार्ट वाॅलमार्ट की होने जा रही है और इसका भारत के ई-कामर्स बाजार पर क्या असर पड़ेगा देखना दिलचस्प होगा.
बताते चलें कि भारत में भारी नुक्सान के बावजूद अमेजन पहले से ही यहां अपने पैर जमाने की कोशिश कर रही है. ऐसे में वाॅलमार्ट की एंट्री से नए फेरबदल देखने को मिल सकते है.
खासकर स्नैपडील जैसी कंपनियों का अब क्या रुख होगा, यह देखना बाकी है.
इस सबमें एक बात तो तय है कि जो भी अपने कस्टमर्स को अच्छी डील देगा. वह उसके पास ही जाना पसंद करेंगे.
क्यों सही कहा न?
Web Title: Journey of Flip Kart, Hindi Article
Feature Image Credit: Corporate Bytes