आर्थिक मामले में भारत का ये अगड़ापन 400 से ज्यादा सालों में सिमटे गुलामी के दौर के खात्मे का संदेश देता है.
वो गुलामी, जो सन 1600 में यूरोपियन लोगों के भारत आगमन के साथ शुरू हुई. और ये सफर तब तक चला जब तक कि भारत का एक-एक कोना अपनी आजादी को तरसने न लग गया.
हाल ही में विश्व बैंक ने एक रिपोर्ट जारी कर कहा था कि भारत फ्रांस को पछाड़ते हुए विश्व की सबसे बड़ी छठी अर्थव्यवस्था बन गया है. आंकड़ों के अनुसार, भारत की जीडीपी 2017 के आखिर में 25.97 खरब डॉलर रही, जो फ्रांस की जीडीपी 25.82 खरब डॉलर से 0.15 खरब डॉलर ज्यादा है.
अब भारत से ऊपर केवल अमेरिका, चीन, जापान, जर्मनी और ब्रिटेन ही बचे हैं.
ऐसे में आइए एक बार भारत से लूट, उसके फ्रांस को पीछे छोड़ने के तथ्यों पर नजर डाल लेते हैं –
फ्रांस और भारत, बड़ा अंतर है!
भारत फ्रांस से आकार और जनसंख्या दोनों में बड़ा है. एक ओर जहां भारत का आकार फ्रांस से 5 गुना ज्यादा है, तो वहीं दूसरी ओर जनसंख्या भी 20 गुना ज्यादा है.
फ्रांस की कुल जनसंख्या भारत की जनसंख्या की 5 प्रतिशत से भी कम है. एक ओर जहां भारत में 134 करोड़ लोग रहते हैं, जबकि फ्रांस में कुल 6.7 करोड़ लोग रहते हैं.
फ्रांस को तो छोड़िए भारत की कुल जनसंख्या पूरे यूरोप की जनसंख्या से भी लगभग दो गुनी है.
ऐसे में जो कुल आय भारत में हो रही है, उसे ज्यादा लोगों में बांटा जा रहा है, जबकि फ्रांस की आय कम लोगों या कहें जनसंख्या में बंटी है. इस कारण भारत भले ही जीडीपी के मामले में फ्रांस से आगे रहे, लेकिन प्रति व्यक्ति आय में फ्रांस के मुकाबले पीछे ही है.
विश्व बैंक के आंकड़ों के मुताबिक, शीर्ष 10 अर्थव्यवस्थाओं में से भारत की प्रति व्यक्ति आय सबसे कम है. हालांकि अगर सबसे ज्यादा जनसंख्या वाले देश चीन को देखें, तो यह अभी भी प्रति व्यक्ति आय के मामले में दुनिया की अग्रणी अर्थव्यवस्था अमेरिका से मात्र एक कदम पीछे है.
इसके अलावा भारत में फ्रांस के मुकाबले 4 गुना ज्यादा जनसंख्या गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करती है. एक ओर जहां फ्रांस में गरीबी रेखा से नीचे जीने वाली जनसंख्या 7.8 प्रतिशत है, तो वहीं, भारत में ये आंकड़ा 29.80 प्रतिशत है.
क्या कहता है विश्व बैंक?
विश्व बैंक के अनुसार, भारतीय अर्थव्यवस्था पिछले पांच दशकों में अधिक बढ़ी है. जो आजादी के 13 साल बाद 1960 में 37 अरब यूएस डॉलर से बढ़कर अब 25.97 खरब डॉलर हो गई है. 1991 में आर्थिक सुधारों की घोषणा के बाद से देश का सकल घरेलू उत्पाद या जीडीपी लगभग 9 गुना बढ़ी है.
अगर हम फ्रांस के मुकाबले भारतीय अर्थव्यवस्था की बात करें, तो पता चलता है कि पिछले एक दशक में भारतीय अर्थव्यवस्था फ्रांस से दोगुनी हो गई है.
एक ओर जहां भारत की सकल घरेलू उत्पाद वृद्धि दर औसतन 8.3 प्रतिशत है. वहीं, फ्रांस 0.01 प्रतिशत की वृद्धि दर से रेंग रहा है. पिछले 10 सालों में, भारत की जीडीपी 116.3 प्रतिशत बढ़ी है, जबकि फ्रांस की जीडीपी में 2.8 प्रतिशत की कमी देखी गई है.
इससे स्पष्ट है कि दुनियाभर की लड़खड़ाती अर्थव्यवस्थाओं के बीच भारत आज भी मजबूती के साथ खड़ा हुआ है, लगातार तरक्की की उड़ान भर रहा है.
ब्रिटेन को भी मात देगा भारत!
केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली ने भरोसा जताया था कि भारत अगले साल ब्रिटेन को पीछे छोड़कर दुनिया की 5वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा.
वहीं, आर्थिक मामलों के सचिव सुभाष चंद्र गर्ग ने भी एक अनुमान में कहा था कि भारतीय अर्थव्यवस्था 2030 तक 10,000 अरब डॉलर की जीडीपी के साथ दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगी.
इससे पहले 2017 में लंदन की कंसल्टेंसी फर्म ‘सेंटर फॉर इकोनॉमिक्स एंड बिजनेस रिसर्च’ (Cebr) ने अपनी ‘वर्ल्ड इकॉनोमिक लीग टेबल 2018’ रिपोर्ट में संभावना जताई थी कि भारत 2018 में ब्रिटेन और फ्रांस को पछाड़ कर दुनिया की 5वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा.
और संभावना तो यहां तक जताई जा रही है कि भारत चीन की गिरती अर्थव्यवस्था को भी पछाड़ सकता है.
यूरोपीय शक्तियों ने लूट से भरी है अपनी झोली!
भारत में यूरोपीय शक्तियों के आगमन की शुरूआत सन 1498 में केरल के कालीकट में आए पुर्तगाली लुटेरे वास्को डी गामा से होती है, जो भारतीय मसालों की महक के पीछे दौड़ा चला आया था.
असल में उस समय भारत से सड़क मार्ग से होकर मसाले यूरोप जाते थे, जो पुर्तगाल पहुंचते-पहुंचते बहुत महंगे हो जाते थे. ऐसे में भारत से सीधे मसालों की खेप ले जाने के लिए पुर्तगालियों ने भारत का रुख किया था.
इसके बाद डच, अंग्रेज और फिर फ्रांसीसियों ने लूट के मकसद से भारत में अपनी कॉलोनियां बसाईं.
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और सांसद शशि थरूर ने ऑक्सफॉर्ड यूनियन सोसायटी में एक भाषण के दौरान कहा था कि यूरोपियन उपनिवेश ने भारतीय अर्थव्यवस्था को भारी नुकसान पहुंचाया था.
उन्होंने भारतीय हैंडलूम उद्योग का हवाला देते हुए कहा था कि अंग्रेजों ने भारतीय बुनकरों को भिखारी बना दिया.
और बर्बादी के लिए हैंडलूम उत्पादन पर टैक्स लगा दिया गया. इससे भारतीय हैंडलूम उद्योग की हवा निकल गई. और अब वहां से कच्चा माल इंग्लैंड भेजा जाने लगा.
इससे जाहिर है कि भारतीय लोगों से रोजगार तो छिना ही, उन्हें गरीबी के जाल में और फंसा दिया गया. इधर इंग्लैंड ने भारत से छीनकर अपने लोगों को कपड़े बनाने का काम दे दिया. इससे इंग्लैंड की अर्थव्यवस्था तो बढ़ी लेकिन भारतीय अर्थव्यवस्था लगातार कम होती जा रही थी.
एक समय वैश्विक व्यापार में भारत की हिस्सेदारी 27 प्रतिशत थी, जो अंग्रेजों के समय मात्र 2 प्रतिशत रह गई.
भारत में फ्रांसीसी साम्राज्यवाद
भारत में फ्रांसीसियों ने लूट की खातिर 1664 में ईस्ट इंडिया कंपनी की स्थापना की. इसके बाद आसानी से माल को यूरोप भेजने के लिए समुद्र किनारे पुदुचेरी बसाया.
भारत में फ्रांसीसी उपनिवेश पुदुचेरी, कराईकल, यानम, माहे और बंगाल में चंद्र नगर थे. जिन पर भारत की आजादी के बाद तक फ्रांस का कब्जा रहा.
1947 में आजादी के बाद फ्रांस ने चंद्र नगर का शासन मई 1950 को भारत को सौंप दिया. जिसका 2 अक्टूबर 1955 को पश्चिम बंगाल के साथ विलय कर दिया गया.
वहीं, 1 नवंबर 1954 को पुदुचेरी, यानम, माहे और कराईकल सवतंत्र भारत में मिला दिए गए. इसी के साथ 1962 में भारतीय मिट्टी ने भी 185 साल पुरानी फ्रांसीसी गुलामी से आजादी पा ली.
बहरहाल, भारत में कॉलोनी स्थापना और दुनिया में साम्राज्यवाद के लिए अंग्रेज और फ्रांसीसी कई बार लड़े भी और कई बार इन्होंने फायदे के लिए देशों को सहमति से बांटा भी.
इनके बीच युद्ध केवल भारत तक सीमित नहीं था, बल्कि दोनों यूरोपीय शक्तियां विश्व में अपना परचम लहराना चाहती थीं. इन्हीं ने बंदरबांट कर ईराक और सीरिया को पहले अपना गुलाम बनाया और फिर वहां लड़ाई के बीज बोकर उसे छोड़ आए.
और ऐसा ही इन्होंने भारत के साथ भी किया.
इन्होंने हिन्दोस्तान का विभाजन किया और अपने फायदे के लिए भारत छोड़ते-छोड़ते धर्म की चिंगारी भड़का गए. जिसकी लपटें आज भी भारतीय समाज को जला रही हैं.
और पूरी तरह से इसका प्रभाव हमारे आर्थिक और सामाजिक विकास व प्रगति पर पड़ रहा है.
ऐसे में इस बात में कोई शक नहीं कि यूरोपीय शक्तियों ने अपने देशों को मजबूत करने के लिए भारत में संसाधनों की अंधी लूट मचाई.
ऐसे में सीमित संसाधनों से अपने आपको सशक्त बनाकर उस खोखलेपन से बाहर निकलकर फ्रांस को आर्थिक रूप से पीछे छोड़ना भारत के लिए एक जीत है. जो यूरोपियन उपनिवेश और गुलामी की जंजीरों से स्वतंत्रता को दिखाती है.
Web Title: India Overtakes France As 6th Biggest Economy Also Victory Over Colonialism, Hindi Article
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