“जरूरत के वक्त काम आने वाला दोस्त ही सच्चा दोस्त होता है.” यह कहावत दोस्ती जैसे पवित्र रिश्ते की सटीक परिभाषा है. कहा जाता है कि दोस्ती का रिश्ता सबसे सच्चा रिश्ता होता है. अगर हमें सच्चे दोस्त मिल जाएं, तो हम जीवन की किसी भी कठनाई से हँसते-हँसते मुकाबला कर सकते हैं.
हर साल अगस्त के पहले रविवार को अंतरराष्ट्रीय मित्रता दिवस मनाया जाता है. इसका प्रमुख उद्देश्य न केवल दोस्ती के महत्व को रेखांकित करना है बल्कि पूरे देश को मित्रता के सूत्र में शांति की स्थापना भी करना है.
तो आईए इस मौके पर कुछ सच्चे दोस्तों के बारे में जानते हैं…
भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु
भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को कौन नहीं जानता है. तीनों ने देश को आजाद कराने के लिए अपने प्राणों की आहुति दी थी. तीनों को एक ही समय पर फांसी के फंदे पर लटकाया गया था. तीनों ने अंग्रेजों का जीना हराम कर दिया था.
कहा जाता है कि भारत के इन तीनों क्रांतिकारियों के बीच गजब की मित्रता थी. इन्हें एक दूसरे के बारे में पल-पल की खबर रहती थी. भारत की आजादी इनका लक्ष्य था. अंग्रेज इनके पीछे हाँथ धोकर पड़े रहते थे. इसके बाद भी जब इन्हें समय मिलता था, तब ये साथ मिलकर सिनेमा भी देख लेते थे.
भगत सिंह ने तो राजगुरु के साथ मिलकर ही सांडर्स की हत्या की थी. वहीँ 1929 में सेंट्रल असेम्बली में बम भी तीनों ने योजना बनाकर ही फेंका था. तीनों हिन्दुस्तान शोसलिस्ट रिपब्लिक के सदस्य थे.
गांधी जी के अहिंसा के रास्ते से तीनों इत्तेफाक नहीं रखते थे.अपनी मृत्यु के समय तीनों की उम्र 22 से 24 वर्ष के बीच थी. इन तीनों के बीच कभी-कभी वैचारिक मतभेद तो होते थे लेकिन मन से इनका रिश्ता अटूट था.
महेंद्र सिंह धोनी और युवराज सिंह
महेंद्र सिंह धोनी और युवराज सिंह की जोड़ी न केवल क्रिकेट के मैदान पर चमकी बल्कि क्रिकेट के मैदान के बाहर भी दोनों ने एक दूसरे का खूब साथ निभाया. कठिनाई के दिनों में दोनों एक दूसरे के साथ खड़े हुए.
इस सफ़र की शुरुआत 2007 के टी ट्वेंटी विश्व कप से शुरू हुई. बिना किसी कोच और एकदम नई टीम के साथ इस विश्व कप को जीतकर जहां धोनी ने अपनी कप्तानी का लोहा मनवाया.
वहीँ युवराज ने इस टूर्नामेंट में बड़े-बड़े गेंदबाजों की जमकर धुलाई की. एक ओवर में छह छक्के भला कौन भूल सकता है.2008 में राहुल द्रविण के सन्यास के बाद धोनी जहां एकदिवसीय टीम के कप्तान बने, वहीं युवराज उप-कप्तान.
इसके बाद दोनों ने मिलकर भारतीय टीम को लगातार नए मुकामों पर पहुँचाया. 2011 विश्व कप के फाइनल में अगर धोनी ने विजयी शॉट लगाया, तो युवराज ने भी दूसरी तरफ से पारी को संभाले रखा.
जब युवराज कैंसर से जीतकर वापस आए, तब धोनी ने उनपर भरोसा जताया. इस बीच भारत इंग्लैण्ड और ऑस्ट्रेलिया से टेस्ट श्रंखलाएं हार गया, तो युवराज ने बयान दिया कि धोनी अब तक के सबसे बेहतरीन कप्तान है.
2015 में जब युवराज विश्व कप के लिए चयनित नहीं किए गए, तब उनके पिता ने धोनी के ऊपर इस बात का इल्जाम लगाया. लेकिन युवराज ने बाहर आकर सब साफ़ कर दिया. इसके बाद ये दोनों फिर साथ खेले.
चे ग्वेरा और फिदेल कास्त्रो
इन दोनों को भला कौन नहीं जानता होगा! दोनों ने मिलकर क्यूबा में क्रांति की थी. क्रांति के बाद फिदेल क्यूबा के राष्ट्रपति बने और उन्होंने ग्वेरा को क्यूबा का विदेश मंत्री बना दिया.
यह जानते हुए कि चे ग्वेरा अर्जेंटीना के हैं, यह दोनों के बीच की दोस्ती का ही परिणाम था.
फिदेल चे ग्वेरा से मेक्सिको में मिले थे. दोनों ने मिलकर क्यूबा में क्रांति करने की योजना बनाई थी. आगे दोनों को मेक्सिको में गिरफ्तार कर लिया गया था. फिदेल पहले छूटे, तो ग्वेरा ने उनसे कहा कि वे उन्हें वहीँ छोड़कर चले जाएं.
फिदेल नहीं माने और उन्होंने ग्वेरा को छुड़ाकर ही दम लिया.
आगे जब क्यूबा में क्रांति हो गई तो राजधानी हवाना में विजय मार्च निकाली गई. इस मार्च में ग्वेरा आगे थे. बाद में उन्होंने फिदेल को आगे करके एक सच्चे दोस्त होने का फ़र्ज़ निभाया. इसके बाद फिदेल ने उन्हें क्यूबा का विदेश मंत्री बनाया.
कर्ण और दुर्योधन
अगर हम मिथकीय चरित्रों की बात करें, तो कर्ण और दुर्योधन की दोस्ती शायद सबसे पहले पायदान पर आती है.
कौरव और पांडव जब अपनी शिक्षा पूरी करके वापस हस्तिनापुर लौटे थे, तब उनकी प्रतिभा के आंकलन के लिए एक सार्वजनिक प्रदर्शन का आयोजन किया गया था. इसी बीच कर्ण ने भी अपनी धनुर्विद्या को दिखाने का आग्रह किया.
आगे पता चला कि कर्ण शूद्र जाति के हैं. वहीं नियम यह था कि हस्तिनापुर के उच्च जाति के लोग ही इस प्रकार के प्रदर्शनों में भाग ले सकते हैं. इसके बाद दुर्योधन ने उसी क्षण कर्ण को अंग राज्य का राजा बना दिया.
इसके बाद कर्ण ने अपनी धनुर्विद्या का ऐसा प्रदर्शन किया कि सभी लोग दांग रह गए. यहीं से कर्ण और दुर्योधन घनिष्ठ दोस्त बन गए.आगे जब कौरवों और पांडवों के बीच युद्ध शुरू हुआ, तो पता चला कि कर्ण असल में पांडवों के भाई हैं.
कृष्ण ने कर्ण से कौरवों का साथ छोड़कर पांडवों के खेमे में आ जाने को कहा.
कर्ण ने यह प्रस्ताव यह कहकर अस्वीकार कर दिया कि वे अपने मित्र दुर्योधन को कभी धोखा नहीं दे सकते, भले ही उन्हें अपने सगे भाइयों के खिलाफ ही क्यों न लड़ना पड़े.
शाहरुख़ खान और करण जोहर
इन दोनों की जोड़ी भी अटूट है. बॉलीवुड में दोनों का सिक्का चलता है. एक अगर सबसे बेहतरीन अदाकार है, तो दूसरा जहीन फिल्म निर्माता. दोनों के बीच ऐसी घनिष्ठता है कि दोनों एक-दूसरे के लिए जान भी दे सकते हैं.
दोनों एक साथ अब तक छः फिल्मों में काम कर चुके हैं. ये सभी फ़िल्में बॉक्स ऑफिस पर मेगाहिट साबित हुई हैं. दोनों ने हमेशा बुरे वक्त में एक-दूसरे का साथ निभाया है. दोनों के बीच न केवल अटूट घनिष्ठता है, बल्कि सहजता भी है.
यह अक्सर अवार्ड कार्यक्रमों में देखने को मिल जाती है.
तो ये थे कुछ ऐसे दोस्त, जिनके लिए दोस्ती से बढ़कर कभी कुछ हुआ ही नहीं!
Web Title: International Friendship Day, Hindi Article
Feature Image Credit: Sulabh