हर साल की तरह इस साल भी भारी संख्या में श्रद्धालु तैयार हो गए हैं अमरनाथ यात्रा पर निकलने के लिए. 28 जून से 26 अगस्त तक चलने वाली इस यात्रा का इंतजार लोग साल की शुरुआत से करते आ रहे थे.
इस साल की यह यात्रा थोड़ी अलग होने वाली है. ऐसा इसलिए क्योंकि श्रद्धालुओं की सुरक्षा इस बार प्रथम जिम्मेदारी मानी गयी है. इतने सारे लोगों को सुरक्षित रखने के लिए हर एक जरूरी कदम उठाया जा रहा है.
सुरक्षा के मामले में इस बार सबसे खास है एडवांस टेक्नोलॉजी और बेहतर स्ट्रेटेजी. इन दोनों चीजों के बलबूते ही यह यात्रा सफलतापूर्वक करवाई जाएगी.
तो चलिए जानते हैं कि अमरनाथ यात्रा 2018 के सुरक्षा इंतजाम किस प्रकार हैं–
हर दिन हाजरों की संख्या में आएँगे श्रद्धालु...
इस बार की अमरनाथ यात्रा में इतने ज्यादा लोगों ने खुद को रजिस्टर करवाया है कि रोजाना हजारों की संख्या में लोग दर्शन के लिए जाएंगे. इसमें सबसे पहला जत्था सबसे ज्यादा प्रसिद्ध हो रहा है. आंकड़ों की माने, तो करीब 3000 श्रद्धालु पहले जत्थे में शामिल हैं.
यह वाकई में एक बहुत बड़ी संख्या है. इन 3000 श्रद्धालुओं में करीब 2334 पुरुष, 520 महिलाएं, 21 बच्चे और करीब 120 साधू शामिल हैं. ये सारे लोग एक साथ निकलेंगे अमरनाथ की यात्रा के लिए.
यह सभी पहले पहलगाम कैंप में इकठ्ठा होंगे और फिर वहां से इनकी यात्रा का आरंभ किया जाएगा. इतनी जनसंख्या को ले जाने के लिए 107 या उससे ज्यादा वाहनों का भी इंतजाम किया गया है. कोशिश की गई है कि किसी को भी पूरी यात्रा में कोई परेशानी न हो.
पहले जत्थे के जाने के बाद रोजाना करीब 7,500 श्रद्धालुओं को आगे यात्रा के लिए भेजे जाने का प्लान है. इन सभी श्रद्धालुओं ने 440 चुने गए बैंकों के द्वारा खुद को यात्रा के लिए रजिस्टर करवाया है.
हालांकि यह इतना भी आसान नहीं था. अमरनाथ यात्रा के लिए श्रद्धालुओं को बहुत सी प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है. रजिस्ट्रेशन फर्स्ट कम फर्स्ट सर्व पॉलिसी के तरत की गई. जिसने पहले आवेदन किया उसे पहले टिकेट मिल गयी.
इतना ही नहीं यात्रा पर जाने से पहले हर श्रद्धालु को एक मेडिकल टेस्ट जरूर करवाना है. यह सब के लिए लागू है. हर किसी को यात्रा के लिए हेल्थ सर्टिफिकेट की जरूरत है, जिसकी यात्रा के दौरान जांच भी हो सकती है.
इस सर्टिफिकेट की जरूरत इसलिए है क्योंकि यात्रा काफी ऊंचाई पर की जानी है. ऊपर जाने पर कहीं किसी को ऑक्सीजन की परेशानी तो नहीं होगी? कहीं कोई ऊंचाई देखकर चक्कर तो नहीं खाता? ऐसे तमाम सवालों का जवाब है यह हेल्थ सर्टिफिकेट.
इन सब चीजों के बाद जाकर श्रद्धालु अमरनाथ यात्रा के लिए तैयार हो पाते हैं.
40,000 सुरक्षा कर्मी हैं तैनात!
हर बार की तरह न सिर्फ दुनिया बल्कि आतंकियों की भी नजर इस यात्रा पर है. यही बात भारत के सुरक्षा विशेषज्ञों को भी परेशान किए हुए है. इतने सारे लोगों की सुरक्षा का जिम्मा उनके कंधों पर है.
इसलिए इस बार सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं. पुलिस से लेकर सेना और डिजास्टर रिस्पांस फोर्स से लेकर पैरामिलिटरी तक इस यात्रा की सुरक्षा में लगी हुई है.
बस स्टैंड, सड़कें, रेलवे स्टेशन हर जगह पर सैनिक तैनात हैं और हर छोटी से छोटी गतिविधि पर उनकी नजर है. सिर्फ देश ही नहीं देश की सीमाओं पर भी पैनी नजर रखी जा रही है.
आकड़ों की माने, तो करीब 40,000 फोर्स के लोग पूरी यात्रा की सुरक्षा में लगे हुए हैं. सभी सैनिकों को हथियारों से लेस रखा गया है. सुरक्षा की जिम्मेदारी सबसे पहले सेना के हाथों में ही है.
इसके अलावा अगर कोई हादसा होता है, तो नेशनल डिजास्टर रिस्पांस फोर्स भी तैनात है. यह फोर्स किसी भी तरह के हादसे के लिए तुरंत ही तैयार हो जाती है. श्रद्धालुओं को मुसीबत से निकालना और उन्हें सुरक्षित कैंप तक लाना इनकी ही जिम्मेदारी है.
यात्रा के पूरे रस्ते पर CCTV कैमरों से नजर रखी जाएगी. पूरी कोशिश की जा रही है कि कोई भी जगह न छूटे. हर कोई इस यात्रा को बिना किसी चूक के पूरा करवाना चाहता है. इसलिए देश के ये जांबाज सुरक्षाकर्मी दिन-रात इस काम में लगे रहेंगे.
एडवांस टेक्नोलॉजी बनेगी ताकत!
इस साल की इस यात्रा में बहुत सी नई चीजों को अपनाया जा रहा है. इसी में शामिल है ड्रोन और हेलीकॉप्टर से हवाई निगरानी. इन दोनों का इस्तेमाल पहली बार इस यात्रा में किया जा रहा है.
जमीन पर तो सुरक्षाकर्मियों की चौकस नजर है ही मगर वह आसमान से निगरानी करके इसे और बढ़िया बनाना चाहते हैं. वैसे भी ड्रोन आज के समय में निगरानी करने के लिए एक बहुत ही उपयोगी उपकरण बन चुका है.
ऐसे में भारत भी इसका अच्छे से उपयोग करना चाहता है. श्रद्धालुओं को ले जाने वाले वाहनों को भी इस बार काफी एडवांस बनाया गया है. इन सभी पर RFID (Radio Frequency Identification) टैग लगाए गए हैं.
इनके लगने के बाद श्रद्धालुओं की गाड़ियों पर सेना बड़े ही आराम से नजर रख सकेगी. ये टैग किसी ट्रैकिंग सिस्टम की तरह है. अपनी रेडियो टेक्नोलॉजी के जरिए यह सेना को बताएगी की श्रद्धालुओं की गाड़ी किस रास्ते पर है.
अगर कोई गाड़ी अपना रास्ता भूलती है या अचानक ही वह रुक जाती है, तो सुरक्षाकर्मियों की एक टीम तुरंत ही उसके पास आ जाएगी. इन टैग की सबसे बड़ी खासियत है कि यह महज 72 रुपए के हैं.
इनका दाम भले ही कम है मगर यह हैं बहुत ही कारगर. इतना ही नहीं जिन वाहनों में श्रद्धालु जाएंगे वह पूरी तरह से बुलेटप्रूफ होंगे.
सुरक्षा को और अच्छा बनाने के लिए CRPF ने भी अपनी स्पेशल 'क्विक रिएक्शन टीम' तैयार की है. इसकी खासियत है कि यह गाड़ियों में नहीं बल्कि बाइक पर सफर करते हैं.
अगर कहीं मुश्किल जगह पर पहुंचना हो, तो उस स्थिति में यह काम आ सकते हैं. इनके हेलमेट के ऊपर कैमरा भी लगा होगा ताकि कंट्रोल रूम हर चीज लाइव देख सके. इतना ही नहीं जरूरत के समय यह बाइक एम्बुलेंस का भी काम कर सकती है.
आतंकियों ने दिया श्रद्धालुओं को आश्वासन...
अमरनाथ यात्रा से कुछ समय पहले ही सोशल मीडिया पर एक वीडियो क्लिप जारी किया गया था. इस क्लिप में आतंकी संगठन हिजबुल मुजाहिदीन के ऑपरेशन कमांडर रियाज निक्कू ने अमरनाथ यात्रियों के लिए एक संदेश भेजा. उसने कहा कि "अमरनाथ यात्री हमारे निशाने पर नहीं हैं. वह सभी अपने धार्मिक कार्य के लिए आये हैं. उन्हें हमसे कोई खतरा नहीं और वह हमारे मेहमान हैं".
वहीं दूसरी ओर स्टेट पुलिस का कहना है कि हिजबुल मुजाहिदीन श्रद्धालुओं पर हमला करने की फिराक में हैं. सच क्या है यह तो कोई भी पक्के तौर पर नहीं जानता मगर सेना हर मुश्किल के लिए तैयार है. इसलिए उन्होंने इस बार इतनी एडवांस सुरक्षा के इंतजाम किए हैं.
इस बार की अमरनाथ यात्रा में जो सुरक्षा प्रबंध किए गए हैं वह पहले कभी नहीं हुए हैं. इंसानी दिमाग और टेक्नोलॉजी का जो मेल इस यात्रा में देखने को मिलेगा वह वाकई में लाजवाब होगा. यह यात्रा सुखद रहे यही हर किसी की कामना है.
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