जब हम भारत की बात करते हैं तो हमारे मन में एक ऐसे देश की छवि उभरती है, जहां विभिन्न प्रकार की संस्कृतियों और धर्मों के लोग एक साथ रहते हैं. सच कहा जाए तो भारत बहुत पराने समय से एक बहुसांस्कृतिक और बहुधार्मिक देश रहा है.
आस्था इन सब संस्कृतियों और धर्मों के एक साथ रहने का केंद्र बिंदु रही है. इस आस्था ने समय- समय पर सामाज को राह दिखाई है और लोगों को उदार बनाया है.
किन्तु, अगर यह आस्था अंधभक्ति में तब्दील हो जाए तो क्या होता है? ऐसी स्थिति में व्यक्ति न केवल अपना बल्कि समाज का भी अहित करता है.
बीते समय में ऐसी अनेक खबरें आई हैं, जिनमें न जाने कितने लोग आस्था के चक्कर में अन्धविश्वास का शिकार बने. ऐसे में जानना सामयिक रहेगा कि अंधविश्वास की जड़ें हमारे समाज में कितनी गहरी हैं और क्या इससे निकलना संभव है-
आस्था के नाम पर होता है धंधा...
अभी हाल ही में खबर आई है कि दिल्ली के संत नगर इलाके के एक घर के 11 लोगों की रहस्यमयी स्थितियों में मृत्यु हो गई. प्रारंभिक जांच में पुलिस को पता चला है कि ये लोग किसी तांत्रिक के संपर्क में थे. वह तांत्रिक अभी तक पुलिस की पकड़ में नहीं आया है.
यह तो एक खबर है. ऐसे ना जाने कितने ढोंगी बाबा आस्था का सहारा लेकर अपना धंधा चमका रहे हैं.
एक समय बाद इनमें से कई बाबा इतने ताकतवर हो जाते हैं कि पुलिस प्रशासन भी इनके ऊपर कार्यवाही करने से डरता है. लोगों में इनकी लोकप्रियता का फायदा उठाकर नेता भी इन्हें शह देते हैं. इसका ताजा उदाहरण है गुरमीत राम रहीम सिंह नाम का बाबा.
राम रहीम को एक बलात्कार के मामले में दोषी पाया गया और 20 साल कैद में रहने की सजा मिली. वह डेरा सच्चा सौदा नाम की एक संस्था चलाता था. अन्धविश्वास के नाम पर इसने लाखों की संख्या में अनुयायी बना रखे थे.
जिस दिन इसके केस की सुनवाई हो रही थी, उस दिन इसके करीब दो लाख अनुयायियों ने कोर्ट को घेर रखा था. ये अनुयायी अंधभक्ति में इतने तल्लीन थे कि बाबा को सज़ा मिलने के बाद उन्होंने विरोध में भीषण हिंसा की.
ये अनुयाई अंधभक्ति में इतने अंधे हो चुके थे कि उन्होंने ना सिर्फ पुलिस की गाड़ियों में आग लगाई, बल्कि बच्चों की स्कूल बस पर भी पत्थर बरसाए.
ऐसा ही एक केस अभी हाल-फिलहाल में और सामने आया है. यह दक्षिणी दिल्ली के फतेहपुर बेरी क्षेत्र में शनिधाम आश्रम चलाने वाले दाती महाराज से जुड़ा है. दाती के ऊपर एक शिष्या ने आरोप लगाया है कि शनि धाम मंदिर में दाती ने दो साल पहले उससे बलात्कार किया.
इसके अलावा बाबा ने उस शिष्या को यह बात किसी और को न बताने की धमकी दी. उसने बाद में यह भी बताया कि उसकी जैसी न जाने कितनी महिलाओं का स्वयंभू बाबा दाती महाराज ने यौन शोषण किया है.
फिलहाल इस मामले की जांच कर रही पुलिस को बाबा के खिलाफ दो बड़े सबूत मिले हैं.
पहला, यह कि पीड़िता ने जिन तारीखों में दुष्कर्म की बात कही है, उन दिनों वह शनि धाम मंदिर में मौजूद थी. इसके अलावा स्वयंभू बाबा के पाली, राजस्थान स्थित गुरुकुल से 12 लड़कियां परेशान होकर बीच में ही पढ़ाई छोड़कर चली गई थीं.
आसाराम का मामला कौन नहीं जानता है. कहा जाता है कि वह सत्संग के समय जिस किसी लड़की पर फूल फेंकता था, उसे वह लड़की यौन उत्पीड़न के लिए उपलब्ध कराई जाती थी. उसने ऐसी न जाने कितनी लड़कियों का आस्था के नाम पर यौन शोषण किया.
दिल्ली पुलिस ने अगस्त 2013 में आसाराम पर एक सोलह साल की लड़की का बलात्कार करने का केस दर्ज किया था. कहा जाता है कि लड़की की बुरी प्रवत्तियों को नष्ट करने के बहाने आसाराम ने उसका बलात्कार किया.
आगे आसाराम पर आरोप साबित हुआ और उसे आजीवन कारावास की सजा मिली.
जब अंधविश्वास बन गया जानलेवा!
हमारे देश में अनेक ऐसे मामले भी सामने आए हैं, जिनमें बात जान लेने और देने तक पहुँच गई. इससे पता चलता है कि अन्धविश्वास हमारे समाज में बहुत भीतर तक व्याप्त है.
ऐसे उदाहरण तो अनेक हैं. इनमें से एक प्रमुख मामला 2011 में केरल स्थित सबरीमाला मंदिर के पास स्थित एक दर्शन स्थल से जुड़ा है.
असल में यहां दर्शन करने आने वाले लोगों के बीच यह अन्धविश्वास व्याप्त था कि शाम के समय इस दर्शन स्थल में मकर ज्योति का प्रकाश पड़ता है. यह प्रकाश जिसके भी ऊपर पड़ जाता है, उसका जीवन धन्य हो जाता है.
ऐसे में जब प्रकाश आने का समय हुआ, तो सब लोग उस स्थान की तरफ भागे.
आगे भगदड़ मच गई तो 102 श्रद्धालु मारे गए. बाद में पता चला कि उस दर्शन स्थल के आसपास रहने वाले आदिवासी शाम के समय अपने घरों में प्रकाश की व्यवस्था करते हैं तो उसका एक हिस्सा दर्शन स्थल पर भी आ जाता है.
इसके अलावा ऐसी भी न जाने कितनी खबरें आती रहती हैं, जिनसे पता चलता है कि लोगों ने किसी औरत को चुड़ैल बताकर मार दिया. एक रिपोर्ट के मुताबिक 2000 से 2016 के बीच ऐसी करीब 2,500 औरतों को चुड़ैल बताकर मार दिया गया.
नेता भी अन्धविश्वास को बढ़ावा देते हैं
जब हम अन्धविश्वास की बात करते हैं तो हमें लगता है कि गाँव में रहने वाले कम पढ़े-लिखे लोग ही इसका शिकार बनते हैं. हालांकि, दूसरी तरफ पढ़े-लिखे लोग और समाज का प्रतिनिधित्व करने वाले नेता भी कम अन्धविश्वासी नहीं है.
अगर हम अपने संविधान की बात करें तो वह साफ-साफ कहता है कि सरकारों की यह जिम्मेदारी है कि वे समाज में वैज्ञानिक चेतना का प्रसार और अन्धविश्वास का खात्मा करें. हालांकि, समय-समय पर ऐसा देखा गया है कि विभिन्न नेता और मंत्री खुद अनेक अंधविश्वासों को बढ़ावा देते हैं.
वे अपनी जिम्मेदारियों को इन अंधविश्वास के पर्दों के पीछे छुपाने का प्रयत्न करते हैं.
इसका ताजा उदाहरण मध्य प्रदेश सरकार में मंत्री पद पर काबिज ललिता यादव हैं. उन्होंने हाल ही में दो मेढ़कों की शादी इसलिए करवा दी, ताकि इससे बारिश के देवता प्रसन्न हो जाएं और बरसात हो.
इससे पता चलता है कि मध्य प्रदेश की सरकार जल संरक्षण के लिए आधारभूत ढाँचे और सिंचाई की उपयुक्त व्यवस्था करने में अक्षम है, इसलिए ही अपनी इन जिम्मेदारियों से बचने के लिए ऐसे अंधविश्वासों को बढ़ावा दे रही है.
क्या कहता है धर्म...
कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन।
मा कर्मफलहेतुर्भूर्मा ते सङ्गोऽस्त्वकर्मणि।।
यह गीता का मूल श्लोक है. यह कहता है कि एक व्यक्ति का केवल कर्म करने में ही अधिकार है. उसे बस अपना कर्म करते रहना चाहिए और फल की चिंता नहीं करनी चाहिए. अगर लोग इस श्लोक को ही अपने में जीवन में उतार लें तो अन्धविश्वास से बचा जा सकता है. हिन्दू धर्म की मान्यता के अनुसार यह बात श्रीकृष्ण ने अर्जुन से द्वापर युग में कही थी.
वहीँ त्रेता युग में गोस्वामी तुलसीदास अपनी लिखी रामचरित मानस में कहते हैं-
कर्म प्रधान विश्व रचि राखा ।
जो जस करै सो तस फल चाखा ।।
अर्थात् व्यक्ति को केवल अपने कर्मों में विश्वास रखना चाहिए. जो जैसा कर्म करेगा, उसे वैसा ही फल मिलेगा. दूसरे शब्दों में कहें तो हमें किसी अन्धविश्वास के चक्कर में न फंसकर मेहनत और लगन से अपने और दूसरों के जीवन को सुगम बनाना चाहिए.
धर्म से इतर आज हमें अन्धविश्वास से लड़ने के लिए वैज्ञानिक शिक्षा और विकास की जरूरत है.
तर्कसंगत शिक्षा से हमारा समाज जागरूक होगा और विकास से गरीब से गरीब लोगों को जीवनोपयोगी संसाधन उपलब्ध होंगे. ऐसा होने पर उन्हें अपने जीवन को सुगम बनाने के लिए किसी अन्धविश्वास में फंसने की जरूरत ही महसूस नहीं होगी.
Web Title: Society Encircled By Superstition Will Ever Break It! , Hindi Article
Feature Image Credit: IndianFolk