सुरेश प्रभु भारतीय राजनीति का एक बड़ा चेहरा माने जाते हैं. इन्होंने अपने राजनीतिक सफ़र की शुरुआत महाराष्ट्र राज्य से की. आगे जल्द ही सुरेश ने अपार जन समर्थन हासिल किया और महाराष्ट्र के बड़े राजनेता के तौर पर मशहूर हो गए.
वर्तमान समय में नरेंद्र मोदी के कैबिनेट में मंत्री पद पर अपनी भूमिका निभा रहें हैं.
हालांकि, ये कई दिनों तक शिवसेना का दामन थामे रहे और इसके टिकट से कई बार लोकसभा सांसद भी चुने गए. 2014 लोकसभा चुनाव परिणाम के बाद, सुरेश प्रभु बड़े नाटकीय ढंग से भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए. आज बीजेपी के कद्दावर केन्द्रीय मंत्रियों में से एक हैं.
चूंकि, उन्होंने एक चार्टर्ड एकाउंटेंट के तौर पर अपने करियर की शुरुआत की थी, इसलिए इनकी जिंदगी को और ज्यादा करीब से देखना दिलचस्प रहेगा-
करियर की शुरुआत चार्टर्ड एकाउंटेंट से किया, मगर...
सुरेश प्रभु का जन्म 11 जुलाई 1953 को मुंबई में हुआ. इनका पूरा नाम सुरेश प्रभाकर प्रभु है. इन्होंने मुंबई के शारदाश्रम विद्या मंदिर से अपनी हाईस्कूल की पढ़ाई पूरी की, जो दादरी में स्थित है.
आगे की पढ़ाई पूरी करने के लिए एम. एल धानुका कॉलेज मुंबई में एडमीशन ले लिया, यहां से इन्होंने कामर्स में स्नातक की डिग्री हासिल की. इसके बाद भी इन्होंने अपनी पढ़ाई नहीं रोकी और लॉ की डिग्री हासिल करने के लिए, मुंबई के रुपारेल कॉलेज में दाखिला ले लिया.
यहां से एल.एल.बी. पूरा करने के बाद अपने करियर की शुरुआत बतौर चार्टर्ड एकाउंटेंट से किया. सुरेश प्रभु पढ़ाई में बहुत ही अच्छे रहे. इसका अंदाज़ा इसी से लगाया जा सकता है कि, इन्होंने सीए की परीक्षा में भारत में 11 वां मुकाम हासिल किया था.
खैर, एक सफल चार्टर्ड एकाउंटेंट बनने के बाद अपनी खुद की चार्टेड एकाउंटेंसी फर्म के मालिक बने. आगे इनको भारत के चार्टर्ड एकाउंटेंट्स संस्थान का सदस्य भी बनाया गया.
इस तरह प्रभु ने अपने करियर में कामयाबी हासिल कर ली थी और कई सरकारी और गैर सरकारी पदों पर कार्य करते रहे, जिसमें महाराष्ट्र पर्यटन विकास बोर्ड का सदस्य और महाराष्ट्र राज्य वित्त आयोग की अध्यक्षता भी शामिल है.
सुरेश प्रभु की निजी जिंदगी के बारे में चर्चा करें तो, इन्होंने एक से पत्रकार शादी किया, जिसका नाम उमा प्रभु है और आज इनका एक बेटा भी है. इनकी सफलता यहीं नहीं रुकी आगे तो कुछ और मंज़ूर था.
कई संस्थाओं में जुड़ने के बाद सुरेश की रूचि राजनीति की तरफ बढ़ने लगी.
लगातार चार बार बने लोकसभा सांसद और...
सुरेश ने एकाउंटेंट में अपना सफल करियर बना लिया था, मगर इसके बावजूद राजनीति में भी अपना दांव अजमाना चाहा. इसके लिए इन्होंने महाराष्ट्र के बहु चर्चित पार्टी शिवसेना का साथ पकड़ लिया और यहीं से अपनी राजनीति की शुरुआत की.
इसके बाद पार्टी में अपनी एक अलग पहचान बनाई और लोकसभा का टिकट हासिल करने में सफल हुए. 1996 में इनको पार्टी ने महाराष्ट्र के राजापुर लोकसभा सीट का उम्मीदवार बनाया. जहां से जीतने में सफल हुए और पहली बार सांसद चुने गए.
इस दौरान सुरेश प्रभु ने लोगों के दुखों को समझा और अपने कार्यों से राजापुर के लोगों का दिल जीतने में कामयाब भी हुए.
इसका अंदाजा आप यहीं से लगा सकते हैं कि ये 1996 में पहली बार यहां से सांसद चुने गए और इसी लोकसभा से लगातार 4 बार सांसद के रूप में अपनी सेवाएँ देते रहे.
हालांकि 2009 में इनका राजनीतिक समीकरण खराब हुआ और इनकी हार हुई थी.
खैर, इस दौरान इनको अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में 1998-2004 तक कई केन्द्रीय मंत्रालय की जिम्मेदारी सौंपी गई, जिसमें उद्योग, पर्यावरण और वन, उर्वरक और रसायन, उर्जा व भारी उद्योग मंत्रालय शामिल है.
बहरहाल, उर्जा मंत्री के रूप में इनके द्वारा दी गई सेवाओं की प्रशंसा की जाती है. प्रभु ने बिजली क्षेत्र में काफी सुधार किये. इन्हें चैपियनिंग और 2003 के विद्युत् अधिनियम और राज्यों से बकाया राशि को सुरक्षित करने का श्रेय दिया जाता है.
सुरेश प्रभु ने अपने कार्यों से एक बड़े राजनेता के रूप में अपनी पहचान बना चुके थे.
इनके राजनीतिक सफलता की उड़ान को देखने के बाद, बहुचर्चित पत्रिका ‘एशिया साप्ताहिक’ ने 2000 में इन्हें भारत के तीन भविष्य नेताओं में से एक के रूप में रेटिंग दी थी.
शिवसेना छोड़ बीजेपी में हुए शामिल
सुरेश प्रभु ने आगे भी अपनी राजनीतिक उड़ान को लैंड नहीं होने दिया, बल्कि लगातार सक्रिय रहे.
आगे, 2013 में व्हार्टन इंडिया इकोनॉमिक फोरम की तरफ से नरेंद्र मोदी का भाषण रद्द कर दिया, जिसके बाद प्रभु ने इसका जोरदार विरोध प्रदर्शन किया था. जुलाई 2014 में एनडीए सरकार ने विद्युत् सुधार के लिए, इनको ‘बिजली कोयला और नवीकरणीय के एकीकृत विकास’ के सलाहकार समूह में उच्च स्तरीय पैनल के प्रमुख चुना गया.
इसी कड़ी में दिलचस्प बात यह है कि, जब 2014 में एनडीए सरकार को करारी हार मिली और बीजेपी ने एक बड़ी जीत हासिल किया था. ऐसे में 9 नवंबर को गुजरात मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री की शपथ लेनी थी.
हालांकि, तब तक सुरेश प्रभु शिवसेना पार्टी में थे, लेकिन मोदी के शपथ लेने के कुछ घंटे पहले ही प्रभु को बड़े नाटकीय ढंग से बीजेपी में शामिल कर लिया गया.
जो शिव सेना के लिए एक बड़ा झटका था, क्योंकि प्रभु शिवसेना के एक दमदार राजनेताओं में एक थे. इसकी एक वजह ये भी थी कि उस दौरान बीजेपी और शिवसेना के गठबंधन को लेकर कई अटकलें भी लगाई जा रही थी.
बहरहाल, बीजेपी सरकार में शामिल होने के बाद इनको रेल मंत्री बनाया गया. रेलवे मंत्रालय में नवंबर 2014 से लेकर सितम्बर 2017 तक रेलवे मंत्री के पद को सभांला. इस दौरान कई रेल दुर्घटना होने के बाद सुरेश प्रभु ने रेल मंत्रालय से इस्तीफ़ा दिया था. इनकी जगह पर पियूष गोयल को रेल मंत्री बनाया गया था.
जिसके बाद इन्हें वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय की ज़िम्मेदारी दी गई, आगे प्रभु आंध्रप्रदेश के राज्य सभा मेम्बर भी चुने गए. इसी के साथ ही 2018 में एक अतिरिक्त ‘नागर विमानन’ मंत्रालय की भी जिम्मेदारी दी गई थी.
आज सुरेश प्रभु नरेंद्र मोदी के कैबिनेट मंत्रियों में से एक प्रमुख मंत्री और भारतीय राजनीति के एक शक्तिशाली राजनेताओं में भी शामिल हैं. इनके द्वारा कई सेक्टरों में उच्च योगदान दिया गया, जिसके लिए इनको समय समय पर कई सम्मानित अवार्डों से नवाज़ा भी गया. इसी के साथ ही ये कई एनजीओ के साथ मिलकर सामाजिक कार्यों में भी अपना योगदान देते रहते हैं.
तो ये थी एक चार्टेड एकाउंटेंट से बने दमदार राजनेता सुरेश प्रभु से जुड़ी कुछ अहम बातें.
अगर आप भी इनसे जुड़ीं कुछ दिलचस्प बातों के बारे में जानते हैं तो, कृपया कमेंट बॉक्स में ज़रूर बताएं.
Web Title: Suresh Prabhu: From Chartered Accountant to Powerful Politician', Hindi Article
Feature Image Credit: Tnhglobal