अपराध जगत के बेताज बादशाहों के नाम तो बहुत सुने होंगे पर बादशाहों की इस जमात में एक 'बेगम' है, जिसका राज बीते 30 सालों से भारत की राजधानी दिल्ली पर चल रहा था. क्राइम के 'बापों' की दुनिया में यह क्राइम की 'मम्मी' कहलाती है.
नाम है- बसीरन!
बसीरन को देखकर एक बानगी तो लगेगा कि वे बैंक की लाइन में लगकर पेंशन की रकम निकालने वाले बुजुर्गों की तरह है पर यह केवल गलतफहमी है. बसीरन तो वो है, जिसके आगे लोग लाइन लगाकर खड़े होते हैं और पैसे लेते नहीं बल्कि चरणों में रखकर जाते हैं.
सालों बाद दिल्ली पुलिस के साथ एक चमत्कार हुआ है और उन्होंने बसीरन को गिरफ्तार किया है. अब बसीरन जेल में कितने दिन रहती है यह तो वक्त बताएगा. पर उसकी बनाई क्राइम की दुनिया को जानना दिलचस्प होगा.
तो चलिए हम लेकर चलते हैं क्राइम की 'मम्मी' के घर और जानते हैं कि कैसे एक साधारण सी घरेलू महिला अपराध जगत की 'बेताज बेगम' बनी!
परिवार के नाम पर दर्ज हैं 113 आपराधिक मामले
बसीरन की जिंदगी के पन्ने पलटने से पहले जरा उसका वर्तमान 'इंट्रोडक्शन' कर लेते हैं. पुलिस ने जिस लेडी डॉन को गिरफ्तार किया है. उसकी उम्र 62 साल है. लेकिन उम्र से धोखा खाने से पहले जरा उनके रिकॉर्ड पर नजर डालिए!
बसीरन अपने 8 बेटों की मदद से दिल्ली-मेरठ समेत आसपास के इलाकों में क्राइम की होली खेलती है.
क्या अपहरण, क्या फिरौती, वह तो कांट्रेक्ट किलिंग में माहिर है. पुलिस के अनुसार बसीरन और उसके परिवार पर 113 आपराधिक मामले दर्ज हैं. ये तो वे लोग हैं जो पुलिस के दरवाजे तक पहुंचे.
खुद जांच एक्सपर्ट दावा कर रहे हैं कि सैकड़ों तो खौफ के कारण मदद के लिए पुलिस के पास नहीं पहुंचे हैं.
हाल ही में दिल्ली पुलिस को बडी कामयाबी हाथ ली और उन्होंने बसीरन को गिरफतार कर लिया. पर यह गिरफतारी हुई है 30 साल बाद! यानि बसीरन ने 30 साल से दिल्ली को दहला रखा था.
ऐसा नहीं है कि उसने फिल्मी कहानी की तरह अपना बदला लेने के लिए क्राइम की दुनिया में कदम रखा.
या फिर बचपन से ही अपराधियों के बीच में पली. बल्कि आज से 45 साल पहले तो बसीरन एक साधारण सी लड़की थी, जो आम लड़कियों की तरह अपनी शादी, परिवार के सपने संजो रही थी.
पति चराता था बकरी, बीवी बनी क्रिमिनल
बसीरन का जन्म आगरा के बसई अरेला के एक साधारण परिवार में हुआ था. उसके अलावा परिवार में करीब आधा दर्जन बच्चे और भी थे. पिता पर परिवार की जिम्मेदारी ज्यादा थी तो कम उम्र में ही बसीरन का ब्याह राजस्थान के धौलपुर के रहने वाले मलखान सिंह से हो गया.
मायके में तो पैसे का मुंह देखने नहीं मिला पर बसीरन ने सोचा था कि पति उसकी हर जरूरत पूरी करेगा.
ससुराल पहुंचकर जब बसीरन को मालूम हुआ कि पति चरवाहा है तो उसके सारे सपने काफूर हो गए. हालांकि मलखान उसकी हर जरूरत पूरी करने की कोशिश करता रहा पर कहते है ना 'ख्वाहिशों का आसमान असीम होता है'.
कुछ ही सालों में बसीरन मां बन गई. पहले एक और फिर दो, तीन करते हुए घर में 8 बेटों की जमात लग गई. केवल जंगल की खाक छानने से मलखान कितना कमा पाता तो वह बसीरन और बच्चों को लेकर दिल्ली आ गया.
पूरा परिवार दिल्ली के संगम विहार में रहने लगा. मलखान यहां इलेक्ट्रीशियन बन गया पर वह अपने साथ गांव से बकरियां लाया था, जिन्हें काम न मिलने पर चराता और फिर उन्हीं के दूध को बेचकर गुजारा कर रहा था.
वक्त बीतता गया और बसीरन 8 बेटों के साथ 4 बेटियों की मां बन गई. मलखान की आय काफी नहीं थी, बेटे भी अब बडे हो चले थे सो बसीरन ने कमान सम्हाली. उसने पहले घरों में काम करना शुरू किया फिर होटलों में बर्तन भी धोए.
यहीं से वह अपराध के पहले पायदान तक पहुंची. उसने अतिरिक्त आय के लिए अवैध शराब की बिक्री शुरू की. पहले तो वह केवल शराब को एक जगह से दूसरी जगह पहुंचाने का काम करती रही.
काम बढ़ा तो बेटों को भी शामिल कर लिया. धीरे-धीरे वह खुद इस धंधे में उतर गई. मलखान को इस बात की खबर तक नहीं हुई कि उसकी पीठ के पीछे घर में चल क्या रहा है? कुछ ही दिनों में शराब के रास्ते अपराध के दरवाजे खुले. बसीरन के बड़े बेटे शकील व शमीम की दोस्ती कुछ अपराधियों से हुई. इसके बाद उन्ही ने बेटों को चोरी, छिनैती व झपटमारी के गुर सिखाए.
शराब बेचने वाली बसीरन को भला इससे क्या एतराज होता तो दोनों बेटों ने सड़कों पर घटनाओं को अंजाम देना शुरू कर दिया. घर में आमदनी शुरू हो गई तो बसीरन के बाकी बेटे भी एक-एक करके धंधे में उतरते गए.
सरकारी पानी पर किया कब्जा
एक झुग्गी, कच्चे मकान में बदल रही थी और मकान ईंट-गारे से बने घर में बदल गया. मलखान जान चुका था कि बच्चे और बसीरन क्या कर रहे हैं पर वह लाचार था. समझाने की सारी कोशिशे नाकाम थी.
पैसा आ रहा था, बच्चे भूखे नहीं सो रहे थे, बसीरन खुश थी तो मलखान की भला कौन सुनता?
देखते ही देखते चोरी की वारदातें धमकाने में बदलने लगी और फिर हफ्ता वसूली शुरू हुई. अपने 8 बेटों के दम पर बसीरन ने 10 साल में अच्छा खासा नेटवर्क तैयार कर लिया.
इसके बाद तो बसीरन ने बेटों की मदद से सरकारी पानी के पंपों पर भी कब्जा जमा लिया और अवैध तरीके से पानी की सप्लाई करने लगे. पुलिस के अनुसार वह एक घर से 600 से 1000 रुपए प्रतिमाह की अवैध कमाई करते थे.
खौफ इतना था कि आम लोगों के सामने पैसे चुका कर पानी खरीदने के अलावा कोई चारा न रहा. जिसने विरोध किया उसे अधमरा कर दिया जाता, बाकी लोग अपने आप ही खामोश हो जाते.
धंधा जोरों पर था. डराने-धमकाने के बाद बसीरन ने अपरहण के 'कांटेक्ट किलिंग' का काम शुरू किया. कुछ हजार रूपयों के लिए किसी को मार देना उनके लिए बडा मसला नहीं था. यह बात और है कि बसीरन ने अपने गुनाहों की छावं से बेटियों को हमेशा दूर रखा.
फिर दर्ज हुए मुकदमें पर मुकदमें
बसीरन के खिलाफ एक्साइड डिपार्टमेंट ने पहली बार मुंह खोला और साल 2002 में पहला मुकदमा दर्ज करवाया. गिरफ्तारी से बचने के लिए बसीरन ने पहले ही जंगलों में अपने गुप्त ठिकाने बना रखे थे.
जब मुकदमा दर्ज हुआ तो वह बेटों के साथ यहीं छिपी हालांकि पुलिस को बहुत देर से इसकी खबर हुई.
इसके बाद मुकदमें दर्ज होते गए, कई बार गिरफ्तारी भी हुई पर हर बार वे जमानत पर बाहर आते रहे. 8 बेटे थे यदि एक जेल भी चला जाए तो दूसरा उसकी जगह सम्हाल लेता था.
इस तरह बसीरन के बड़े बेटे वकील पर 10, शकील पर 15, शमीम उर्फ गूंगा पर 61, सन्नी पर चार, फैजल पर तीन, राहुल खान पर तीन और 16 साल के एक नाबालिग पर भी एक केस दर्ज हो गए.
परिवार में केवल बसीरन का पति अकेला एक ऐसा पुरूष है जिसका कोई आपराधिक रिकॉर्ड नहीं है.
पुलिस की नजर बहुत दिनों से बसीरन और उसकी गैंग पर थी पर मौका मिला 2017 में 'मिराज मर्डरकेस' के दौरान. मेरठ के मिराज की सौतेली बहन मुन्नी ने उसकी हत्या के लिए बसीरन को 60 हजार रुपए की सुपारी दी थी.
मुन्नी खुद धोखे से मिराज को बसीरन के अडृडे पर लेकर पहुंची थी. इसके बाद बसीरन के गैंग के आकाश, विकास, नीरज और एक अन्य ने मिलकर मिराज को शराब पिलाई और फिर उसे जंगल में ले जाकर गला घोंटकर उसकी हत्या कर दी.
सबूत छिपाने के लिए लाश का जला दिया.
...और फिर पुलिस ने बिछाया जाल
पुलिस हत्यारे की लाश का पता कर ही रही थी कि तभी जनवरी 2018 में संगम विहार में हुई एक डकैती के मामले में चार लोगों को गिरफ्तार किया, जिसमें बसीरन का नाबालिग बेटा भी था.
यहीं पूछताछ में बेटे ने मिराज की हत्या का राज उगल दिया. अब पुलिस हर हाल में बसीरन को अरेस्ट करना चाहती थी. पर कैसे?
बसीरन अपनी गैंग के जरिए अपराध का धंधा चला रही थी. पुलिस को मिराज के हत्यारे तो मिल गए पर असली सरगना पहुंच से दूर थी. इसलिए इस बार पुलिस ने पूरी तैयारी के साथ प्लान बनाया. प्लान भी ऐसा कि शिकार खुद शिकार होने आ जाए.
25 मई को बसीरन के खिलाफ कुर्की का वॉरंट जारी हुआ पर बसीरन उसके पहले ही फरार थी. पुलिस ने उसके मोहल्ले में यह अफवाह फैलाई की उसके घर की नीलामी होने वाली है. इस काम में कई महीने गुजर गए, फिर भी पुलिस को उम्मीद थी कि बसीरन एक बार जरूर अपने घर को देखने आएगी. आखिर 17 अगस्त 2018 को बसीरन मुंह छिपाकर अपनी कॉलोनी में पहुंची, उसे अपना बनाया घर देखना था.
इसी बीच मुखबिर ने पुलिस को बसीरन के लौटने की खबर की. बिना देर किए हुए पुलिस ने दबिश दी और बसीरन को उसके घर से ही गिरफ्तार कर लिया. उसके साथ ही बसीरन के तीन बेटे शमीम उर्फ गूंगा, फैजल और राहुल खान को भी धर दबोचा गया.
अब सभी जेल में हैं और मामला अदालत में. वहीं दिल्लीवासी अब चैन की सांस ले रहे हैं.
Web Title: Untold Story Of Crime Mummy, Hindi Article
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