योगी आदित्यनाथ आज देश के सबसे बड़े सूबे उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री हैं.
कहते हैं उत्तर प्रदेश पूरे देश की राजनीति की दिशा और दशा तय करता है.
ऐसे में यह जानना बड़ा दिलचस्प होगा कि योगी आदित्यनाथ ने इस सूबे के शीर्ष पद तक का सफ़र किस प्रकार तय किया!
आईए जानते हैं...
कॉलेज के दिनों से ही राजनीति में सक्रिय रहे
योगी आदित्यनाथ का जन्म उत्तराखंड के पौड़ी क्षेत्र के पंचूर नाम के गांव में 5 जून 1972 को एक गरीब राजपूत परिवार में हुआ था.
इनके बचपन का नाम अजय सिंह बिष्ट था. ये अपनी उच्च शिक्षा के लिए कोटद्वार गए. वहां से उन्होंने 1989 में स्नातक की डिग्री की हासिल की.
इन दिनों ये साधारण दिखने वाले लड़के थे. स्वाभाव बहुत ही शर्मीले किस्म का था, और दूसरों से बात करने में ये हिचकिचाते थे.
इन्हीं दिनों देश में राम जन्मभूमि का आन्दोलन चल रहा था.
अजय इससे बहुत प्रभावित हुए. इसी प्रभाव में उन्होंने अपने कॉलेज में एबीवीपी की तरफ से चुनाव लड़ा.
हालांकि वे इस चुनाव में हार गए, लेकिन कॉलेज में उनकी एक पहचान बन गई.
इस हार के बाद उन्होंने निर्णय लिया कि वे अपना ध्यान पढ़ाई में ही लगाएंगे.
उन्होंने गोरखपुर विश्वविद्यालय से आगे की पढ़ाई करने की सोची, लेकिन इस बीच उनके सभी शैक्षणिक प्रमाण पत्र कोई चुरा ले गया.
इसलिए उन्होंने आगे और पढ़ाई ना करने का फैसला लिया.
... और अजय सिंह बन गए योगी आदित्यनाथ
गोरखपुर के गोरखनाथ मंदिर में अक्सर उनका आना जाना लगा रहता था.
यहां के पीठाधीश महंत अवैद्यनाथ थे. अजय धीरे-धीरे इनके करीब होते चले गए.
बाद में महंत अवैद्यनाथ ने 15 जनवरी 1994 को अजय को दीक्षित करके अपना शिष्य बना लिया.
इस तरह अजय सिंह बिष्ट अब योगी आदित्यनाथ बन गए.
गोरखनाथ मंदिर नाथ संप्रदाय का एक महत्वपूर्ण केंद्र है. नाथ सम्प्रदाय हिन्दू धर्म में जाति प्रथा विरोधी आंदोलन से जुड़ा रहा है.
इस संप्रदाय की एक विशेषता यह भी है कि इसके मठों के पीठाधीश ब्राह्मणों की बजाय राजपूत होते हैं.
इस मठ से जुड़ने की बाद ही योगी आदित्यनाथ का असली राजनीतिक जीवन प्रारंभ हुआ. असल में मठ की विरासत राजनीतिक रही है.
इसका प्रमुख कारण इसका शुरुआत से सामाजिक आंदोलनों से जुडाव है.
1921 में इसके पीठाधीश दिग्विजयनाथ कांग्रेस में शामिल हुए थे. ये चौरी-चौरा काण्ड में गिरफ्तार किए गए थे, जिसके बाद गांधी को असहयोग आन्दोलन वापस लेना पड़ा था.
बाद में यही दिग्विजयनाथ 1967 में हिन्दू महासभा के टिकट पर सांसद चुने गए.
इसी क्रम में उनके वारिस महंत अवैद्यनाथ चार बार मनीराम विधानसभा क्षेत्र से विधायक और उतनी ही बार गोरखपुर से सांसद चुने गए.
इसी परंपरा को निभाते हुए योगी आदित्यनाथ ने भी अपने गुरु की राजनीतिक पारी को 1996 से संभाला.
रखा असल राजनीति में कदम
1998 आते आते महंत अवैद्यनाथ ने इन्हें भी राजनीति में उतार दिया.
आदित्यनाथ ने यह चुनाव 27,000 वोटों से जीत लिया और इस प्रकार 26 साल की उम्र में वह सांसद बन गए.
वहीं, 1999 में हुए आम चुनावों में भी योगी ने जीत हासिल की, लेकिन इस बार जीत का अंतर घटकर 7,000 रिह गया. यह घटता हुआ अंतर योगी की चिंता का कारण बनने लगा.
इसका तोड़ निकालने के लिए योगी ने हिन्दू हितों की रक्षा पर जोर-शोर से बोला और पश्चिमी उत्तर प्रदेश की यात्राएं करनी शुरू कीं.
इसी क्रम में आगे चलकर योगी आदित्यनाथ ने हिन्दू युवा वाहिनी दल की स्थापना की.
इस दल की स्थापना करके योगी ने यह दिखाना चाहा कि वो सिर्फ बोलते नहीं बल्कि कुछ करना भी चाहते हैं.
इसके बाद योगी की पहुंच गोरखपुर में बहुत अच्छे से स्थापित हो गई.
योगी अपनी पहुंच को दूर-दूर तक फैलाना चाहते थे, इसलिए हिन्दू युवा वाहिनी को दूसरे जिलों में भी ले जाया जाने लगा.
विपक्षी दल नहीं खोज पाए तोड़
इस दौरान योगी आदित्यनाथ ने कई विवादित बयान भी दिए.
हर विवादित बयान के साथ योगी की लोकप्रियता बढ़ती गई. इसी के साथ वे दूसरे काम भी करते रहे.
इसमें स्वास्थ्य और शिक्षा के लिए केंद्र खोलना प्रमुख रहा. इन कामों ने भी योगी की लोकप्रियता में वृद्धि की.
2017 में उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री बनने से पहले वे लगातार पांच बार गोरखपुर के सांसद चुने जाते रहे.
योगी ने हिंदुत्व के एजेंडे का ऐसा जाल बिछाया कि कोई भी विपक्षी दल उसका तोड़ ना निकाल पाया.
2017 को हुए उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों में भाजपा सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी और पार्टी के नेताओं ने योगी आदित्यनाथ को अपना नेता चुना.
लिहाजा योगी आदित्यनाथ उत्तर प्रदेश के 32वें मुख्यमंत्री बने. और उन्हें अपनी गोरखपुर की लोकसभा सीट छोडनी पड़ी.
हालांकि, 2018 में हुए गोरखपुर लोकसभा उपचुनाव में योगी समर्थित प्रत्याशी चुनाव हार गया.
योगी आदित्यनाथ का संसद का रिकॉर्ड भी कमाल का रहा है.
सांसद रहते हुए लोकसभा में योगी की उपस्थित लगभग सौ प्रतिशत रही, इसके साथ ही योगी ने 56 बहसों में भी हिस्सा लिया.
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रहते हुए योगी आदित्यनाथ के कार्यकाल में उनके गृह क्षेत्र गोरखपुर के एक अस्पताल में ऑक्सीजन की कमी से कई बच्चों की मौत हो गई.
बहरहाल, योगी आदित्यनाथ आज भारत के सबसे बड़े राज्य की कमान संभाल रहे हैं, जहां लोकसभा की 85 सीटें हैं, जो किसी भी पार्टी की केंद्र में स्थिति को बदल सकती हैं. ज्ञात हो कि 2014 के आम चुनावों के बाद इन्हीं सीटों के दम पर केंद्र में नरेंद्र मोदी सरकार बनी थी.
ऐसे में योगी किस तरह से इस राज्य को संभालते हैं, ये 2019 के आम चुनावों में सभी को पता चल जाएगा.
Web Title: Yogi Adityanath: From Mahant To Chief Minister, Hindi Article
Feature Image Credit: satyagrah.scroll