वैसे तो फिल्में समाज का आईना होती हैं. लेकिन जरा सोचिए, अगर यह फिल्में किसी की जान लेने लगे तो आप क्या कहेगें? हाल ही में सभी ने एक खबर सुनी होगी कि मशहूर फिल्मकार शाहरूख खान की फिल्म ‘रईस’ के प्रमोशन के दौरान एक युवक की मौत हो गई. वैसे ‘रईस’ पहली फिल्म नहीं है, जिसके प्रमोशन ने आमजन को मुसीबत में डाला हो. ऐसे कई और नाम हैं, जिन्होंने फिल्मों के प्रमोशन के तरीके को अक्सर कटघरे में खड़ा किया है. आइये जानते हैं ऐसी कुछ फिल्मों के बारे में…
‘रईस’
हाल फिलहाल लिया जाने वाला बड़ा नाम, जिसने ‘फिल्म प्रमोशन’ के तरीके पर गंभीर प्रश्नचिन्ह खड़ा कर दिया. रईस की कामयाबी को उनसे जुड़े लोगों ने चाहे जितना सेलीब्रेट किया हो, लेकिन इसके प्रमोशन के दौरान हुई भगदड़ की घटना को कम से कम मृतक की मां तो नहीं ही भुला पाएगी. जिसने इस हादसे में अपने बेटे को खो दिया, उसके पक्ष को सुनने समझने वाले कम ही हैं यहाँ! आमतौर पर सुपरस्टार कहे जाने वाले शाहरूख खान को कभी ट्रेन में सफर करते हुए नहीं देखा गया, लेकिन फिल्म के मुनाफे की बात थी तो वह उस पर भी सवार हो गए. परिणाम सबके सामने है.
अपने रिश्तेदारों को स्टेशन छोड़ने गया फरीद अब कभी घर नहीं लौटेगा. अब शाहरूख कहते हैं मैं इस हादसे से दु:खी हूं. मुझसे फरीद के परिवार के लिए जो बन पड़ेगा मैं करूंगा. लेकिन कुछ से तो काम नहीं चलेगा ना? जरूरत है इस तरह के प्रमोशन के संदर्भ में विचार करने की, जिससे किसी की जान पर बन आती है. फिल्म रीलिज हुई, हिट घोषित की गयी, किन्तु कुछ दिन के बाद इस हादसे को लोग भूल गए. काश, फिल्म की टीम के साथ प्रशासन भी इस बात के लिए जवाबदेही तय करने की राह पर आगे आता!
जॉली एलएलबी 2
Bad film Promotion and Publicity, Akshay Kumar, Jolly LLB 2 (Pic: waahtv.com)
बॉलीवुड अभिनेता अक्षय कुमार की फिल्म जॉली एलएलबी-2 सिनेमाघरों में रिलीज होने से पहले ही कॉफी चर्चा में रही. ढ़ेर सारे विवादों से पार पाती फिल्म अब पर्दे पर है. इसकी प्रमोशन को लेकर अक्षय कुमार कभी किसी रियलिटी शो में नजर आए, तो कभी छात्रों के बीच में पहुंचे. हाल ही में वो अपनी फिल्म के प्रमोशन को लिए अपनी सहयोगी हुमा कुरैशी के साथ दिल्ली की एमिटी यूनिवर्सिटी पहुंचे थे, जहां उन्होंने कुछ ऐसे करतब दिखाएं थे कि छात्रों के मुंह खुले के खुले रह गए! हालांकि इस प्रमोशन के दौरान किसी प्रकार की हानि की खबर नहीं आई थी, लेकिन देखने वालों का कहना था कि वहां हादसा हो सकता था. अपनी फिल्मों में स्टंट करने वाले अक्षय, वहां भी किसी सुरक्षा के वगैर स्टंट करते नज़र आये थे. काश अक्षय जैसे लोग समझ पाते कि रील लाइफ और रियल लाइफ में अंतर होता है.
अक्षय एक अभिनेता हैं. जिनको एक बड़ा वर्ग फॉलो करता है. ऐसे में अगर किसी भी छात्र ने उनके करतब को दोहराने की कोशिश की होती, तो यह उसके लिए जानलेवा जरूर हो सकता था. ऐसे में यह समझना होगा कि इस प्रकार की फिल्मों का प्रमोशन कितना सही है?
‘जट जूलियट टू’
2012 में अनुराग सिंह द्वारा निर्देशित पंजाबी फिल्म ‘जट जूलियट टू’ के प्रमोशन के लिए जब अभिनेता दिलजीत, अभिनेत्री नीरू बाजवा के साथ दिल्ली पहुंचे, तो उऩसे मिलने के लिए लोगों में होड़ देखने को मिली. देखते ही देखते इस होड़ ने हंगामे का रूप ले लिया. चाहने वालों ने अपने नायकों को इस कदर घेरा कि दोनों बिना कुछ कहे ही वापस लौटना पड़ा. वापस लौटने के दौरान भीड़ से उनका टकराव हुआ और भगदड़ जैसी स्थिती उत्पन्न हो गई. कई लोग इस दौरान गंभीर रूप से घायल भी हो गए, जिन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था.
‘कार्तिक कालिंग कार्तिक’
इस फिल्म के प्रमोशन के लिए जब फरहान अख्तर और दीपिका पादुकोण सूरत पहुंचे तो उन्हें देखने के लिए एक बड़ी संख्या में लोग इकट्ठा हुए. दर्शकों में अपने नायक, नायिका के पास पहुंचने की इतनी जल्दी थी कि देखते ही देखते लोग आपस में धक्का-मुक्की करने लगे. वहां मौजूद मीडिया कर्मियों तक को इस घटना का शिकार होना पड़ा था. उनके साथ भी भीड़ ने बदसलूकी की. हालांकि मौके पर प्रशासन ने तेजी से स्थिति पर काबू पा लिया थाऔर होते-होते एक बड़ा हादसा टल गया था. पर सवाल वही था कि ऐसी सिचुएशन आने ही क्यों दी जाती है?
‘एक्शन जैक्सन’
अजय देवगन और सोनाक्षी सिन्हा की फिल्म ‘एक्शन जैक्सन’ तो आपको अवश्य ही याद होगी. प्रमोशन के लिए दिल्ली में आए सितारों को देखकर युवाओं में उनके साथ सेल्फी खिचवाने की होड़ मच गई थी. देखते ही देखते सेल्फी की होड़ ने धक्का-मुक्की का रूप ले लिया था. कई युवा एक दूसरे के ऊपर गिरने लगे थे. जल्द ही अजय औऱ सोनाक्षी की सुरक्षा में लगे लोगों ने स्थिति को काबू में कर लिया था अन्यथा वह घटना बहुत बड़ी हो सकती थी. चूंकि फिल्म के प्रमोशन के लिए अभिनेता ज्यादा से ज्यादा युवाओं के साथ पब्लिक के साथ संवाद स्थापित करना चाहते हैं, इसलिए कोई हादसा होने की आशंका बनी रहती है.
ऐसे में सवाल यह कि फिल्मों का प्रमोशन खतरनाक ढंग से किया जाना कितनी सही है? अभी हमें रईस जैसे कितने और बुरे नज़ारे देखने पड़ेगें, जो लोगों के लिए उनकी मौत का सबब बन जाए? क्या फिल्म प्रमोशन के तरीके को लेकर विचार करने की जरूरत नहीं हैं? सबसे बड़ा सवाल खुद प्रशासन को लेकर है कि वह सुरक्षा की स्थिति की समीक्षा किये वगैर गैर जिम्मेदाराना प्रमोशन को इजाजत कैसे दे देता है?
Bad film Promotion and Publicity, Shahrukh Khan, Raees (Pic: indianexpress.com)
Web Title: Bad film Promotion and Publicity
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