अगर आपसे कहा जाये कि धरती पर एक ऐसी जगह है, जहां जो भी जाता है गायब हो जाता है! फिर चाहे वह इंसान, जानवर या फिर पानी का जहाज ही क्यों न हो. तो आपका रिएक्शन कैसा होगा? शायद आपको यह मनगढ़ंत सा लगे. पर यकीन मानिए यह किसी फिल्म की कहानी नहीं बल्कि, धरती पर मौजूद अद्भुत ‘बरमूडा त्रिकोण की कहानी है, जिसके बारे में कहा जाता है कि यह दुनिया की कुछ सबसे बड़ी पहेलियों में से एक है, जो अपने अंदर ढ़ेर सारे रहस्यों को कैद करके रखे हुए है. तो आईये जानते हैं, इससे जुड़ी कुछ थ्योरियों को:
क्या है यह ‘बरमूडा त्रिकोण’?
पहली बार ‘बरमूडा त्रिकोण’ उस वक्त सुर्खियां बना, जब 1952 में जॉर्ज सैंड नाम के एक लेखक ने एक पत्रिका में इंटरव्यू देते हुए इसका जिक्र किया. उन्होंने 1945 की एक घटना का जिक्र किया था, जिसमें उनके हिसाब से अमेरिका के कुछ जंगी हवाई जहाज़ ‘बरमूडा त्रिकोण’ से गुज़रे थे और फिर कभी वापस नहीं आए. उन्होंने 1950 में गायब हुए ‘सैंड्रा’ नामक एक जहाज़ के गायब होने की वजह भी इसी त्रिकोण के माना था. इस तरह धीरे-धीर ‘बरमूडा त्रिकोण’ के किस्से लोगों के लिए आम हो गये और लोगों के मन में इसके लिए डर भी पनपने लगा. इसी कड़ी में जब यहां से बड़े हादसों की खबरें आने लगी तो इसे ‘’बरमूडा त्रिकोण’’ कहा जाने लगा.
1962 में एलन एकर्ट नाम के एक लेखक ने एक पत्रिका को बताते हुए कहा कि 1945 में अमेरिका के एफ 19 प्लेन, जोकि ‘बरमूडा त्रिकोण’ से गायब हुए थे. उन्होंने इस प्लेन चालक को भी कोट करते हुए दावा कि उसके आखिरी शब्द थे कि ‘हम सफ़ेद पानी की ओर बढ़ रहे हैं, कुछ सही नहीं लग रहा है.
हमें नहीं पता हम कहां जा रहे हैं, पानी सफ़ेद है नहीं हरा.’ वह अपनी बात पूरी कर पाता, इससे पहले चालक से संपर्क टूट गया. गजब की बात तो यह है कि इस घटना के इतने साल बीत जाने के बाद भी यह इस सवाल की गुत्थी अभी तक सुलझाई नहीं जा सकी है कि क्या सच में इन घटनाओं के बीच ‘बरमूडा त्रिकोण’ का कोई हाथ है? अगर हां, तो फिर क्या?
एलियन का हमला
रहस्यमयी चीज़ों को अक्सर एलियन के साथ भी जोड़ दिया जाता है. ऐसा ही हुआ ‘बरमूडा त्रिकोण’ के साथ. माना जाता है कि यह असल में एलियन के अपनी दुनिया से हमारी दुनिया में आने की एक सबसे महत्वपूर्ण जगह है. इसलिए एलियन वहीं मौजूद रहते हैं और जब कोई इंसान वहां जाता है, तो वह उसे अपनी उड़न-तश्तरी में पकड़कर ले जाते हैं.
हालांकि, जब तक एलियन के वजूद की गुत्थी नहीं सुलझती तब तक इस थ्योरी को पूरी तरह से सच तो नहीं माना जा सकता.
Bermuda Triangle And Theories Related To It, UFO (Pic:bsnscb.com)
धूमकेतु
माना जाता है कि करीब 11,000 साल पहले एक धुमकेतु धरती पर आकर गिरा था. ‘बरमूडा त्रिकोण’ पर इस धूमकेतु के होने का अनुमान लगाया जाता है. माना जाता है इसी कारण जब कोई जहाज वहां जाता होगा तो अपनी दिशा भूल जाता होगा. असल में धूमकेतु से आने वाली विद्युत चुम्बकीय तरंगे जहाजों की दिशा बताने वाली सुईयों की दिशा को भ्रमित करने में कारगार मानी जाती हैं. यह तरंगे न केवल दिशा वाली सुइयों को इधर-उधर नचाने में माहिर मानी जाती है बल्कि, प्लेन को अपनी ओर नीचे भी खींचने का दमखम रखती हैं.
एक पल को प्लेन के गुम होने के पीछे इसको मजबूत वजह मान लेते हैं. पर सवाल यह है कि यह तरंगे प्लेन को तो अपनी और खींच सकती है, लेकिन पानी के जहाज को अपनी ओर कैसे खींच सकती हैं?
Bermuda Triangle And Theories Related To It, Comet (Pic: sciencemag.org)
अटलांटिस का खोया शहर
कुछ लोगों का मानना है कि ‘बरमूडा त्रिकोण’ अटलांटिस के खोए हुए शहर का केंद्र है. सालों पहले आधे भगवान और आधे इंसान की खूबी वाले कुछ लोगों ने अटलांटिस नाम का एक शहर बसाया था. उस समय ‘बरमूडा त्रिकोण’ वाला यह हिस्सा बर्फ से भरा हुआ था और जब बर्फ पिघलने लगी तो यह पूरा का पूरा पानी में डूब गया.
यहां तक तो ठीक था, लेकिन लोगों की इस बात कैसे लिया जाये कि अटलांटिस के लोग आज भी नीचे समंदर में रहते हैं और किसी भी प्लेन के आने पर उसे गिरा देते हैं.
अन्तरिक्ष की दरार
इस थ्योरी के अनुसार ‘बरमूडा त्रिकोण’ में समय दर समय एक दरार खुली है, जोकि हमारी दुनिया से दूसरी दुनिया में जाने का एक रास्ता है. माना जाता है कि जितने भी जहाज अभी तक यहां गायब हुए हैं, वह सब उसी दरार में जा गिरे हैं. दरअसल जिस वक्त प्लेन ‘बरमूडा त्रिकोण’ में घुसे होंगे उसी वक्त वह कथित दरार खुल गयी होगी और जहाज उसमें गिरते चले जा रहे होंगे और सुई जैसे कई उपकरण खराब हो गये होंगे. यही कारण है कि खोए हुए जहाजों का अभी तक किसी के पास कोई भी निशान नहीं मिलता.
पर क्या वाकई ऐसा ही है?
दिशाहीन हो जाना
यह थ्योरी काफी हद तक ‘बरमूडा त्रिकोण’ के करीब मानी गयी है. दरअसल धरती पर कुछ ऐसी जगह भी हैं, जहां पर दिशा बताने वाली सुई प्रॉपर काम नहीं करती. ऐसी जगहों पर सुई उसी ओर घूमती है जहां से उसे चुम्बकीय तरंगे मिलती हैं. ऐसा ही कुछ ‘बरमूडा त्रिकोण’ के लिए कहा जाता है, जिससे दिशाहीन हो जाते हैं जहाज!
मानवीय गलतियां
इस थ्योरी के अनुसार ‘बरमूडा त्रिकोण’ में प्लेन के गिरने की वजह पाइलेट की लापरवाही हो सकती है. यहां हमेशा तेज़ बहती हवाओं और तूफ़ान की स्थिति रहती है. ऐसे में माना जाता है कि प्लेन चालक प्लेन को नहीं संभाल पाए होंगे और नीचे समंदर में गिर गये होंगे. कुछ मामलों में तो इस थ्योरी को सही ठहराया जा सकता है पर सारे हादसों के लिए इसे ज़िम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता. हवाई जहाज़ तो फिर भी एक पल को नीचे गिर जाए पर पानी के जहाज़ के साथ यह थ्योरी काम नहीं करती.
इलेक्ट्रॉनिक धुंध
यह ‘बरमूडा त्रिकोण’ से जुड़ी एक बहुत ही मशहूर थ्योरी है. इसके अनुसार ‘बरमूडा त्रिकोण’ के पास इलेक्ट्रॉनिक धुंध होती है, जिसकी वजह से विमान यहां पर दुर्घटनाग्रस्त हो जाते हैं. असल में जब प्लेन यहां से गुज़रता है, तो वह इस इलेक्ट्रॉनिक धुंध से घिर जाता है. साथ ही प्लेन के अन्दर के सारे बिजली से चलने वाले उपकरण काम करना बंद कर देते हैं. धुंध की वजह से कुछ भी दिखना असंभव हो जाता है और प्लेन नीचे गिर जाते हैं.
Bermuda Triangle And Theories Related To It, Electronic Fog (Pic: merogang.com)
खतरनाक मौसम
‘बरमूडा त्रिकोण’ अपने जानलेवा बदलते मौसम के लिए भी काफी मशहूर है. यहां थोड़े-थोड़े समय में शांत सा दिखने वाला मौसम तूफ़ान में बदल जाता है. चक्रवात का तो यहां आना-जाना लगा ही रहता है. यह तूफ़ान इतने जल्दी आते हैं कि सेटेलाइट पर भी इसका पता नहीं लग पाता. तूफ़ान यहां इतने प्रभावशाली होते हैं कि किसी जहाज को बड़ी ही आसानी से गिरा दें. यह भी ‘बरमूडा त्रिकोण’ में होने वाले हादसों के पीछे की एक वजह मानी जा सकती है.
मीथेन गैस
‘बरमूडा त्रिकोण’ में बसा समुद्र का धरातल मीथेन नाम की एक गैस से भरा पड़ा है. माना जाता है यह गैस जब निकलती है, तो इससे उत्पन्न होने वाला दबाव इतना तेज़ होता है कि किसी भी जहाज़ के टुकड़े-टुकड़े कर सकता है. इस गैस का जब रिसाव होता है, उस वक़्त यह बड़े-बड़े छेद बना देती है, जिसमें कोई भी जहाज आसानी से गिर सकता है. ऐसा ही कुछ तब हुआ होगा जब ‘बरमूडा त्रिकोण’ में हादसे हुए होंगे.
हालांकि, मीथेन के इस थ्योरी का सच कितना विश्वसनीय है, यह कहना मुश्किल है.
गल्फ स्ट्रीम
इस थ्योरी के अनुसार ‘बरमूडा त्रिकोण’ में लोग पानी के बने भंवर के कारण गायब हो जाते हैं. कभी-कभी समंदर के बीच में एक भंवर जैसा कुछ उत्त्पन्न हो जाता है, जो सभी चीज़ों को अपनी ओर खींचता है. यह भंवर काफी गहरे होते हैं और अगर कोई इसमें आ जाए तो बाहर निकलना नामुमकिन होता है. खबरें कहती है कि ऐसा ही कुछ ‘बरमूडा त्रिकोण’ में होता होगा.
Bermuda Triangle And Theories Related To It, Gulf Stream (Pic: youtube.com )
कहने के लिए तो ‘बरमूडा त्रिकोण’ से जुड़े रहस्यों को सुलझाने के लिए ढ़ेरों थ्योरियां मौजूद हैं, पर अफसोस अभी तक कोई भी थ्योरी किसी भी रहस्य से पूरी तरह पर्दा नहीं उठा पाई है. आगे उम्मीद है कि इस दिशा में कुछ सकारात्मक परिणाम देखने को मिलेंगे और इससे जुड़े रहस्योंं से पर्दा उठेगा.
Web Title: Bermuda Triangle And Theories Related To It, Hindi Article
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