तोप एक ऐसा आविष्कार माना जाता है, जिसने जंग लड़ने के तरीके को बदल कर रख दिया. इतिहास गवाह है कि तोप के इस्तेमाल ने कई युद्धों के अंतिम समय में परिणाम बदलकर रख दिए. मुग़ल शासक बाबर भी पानीपत की लड़ाई सिर्फ इसलिए जीत पाया, क्योंंकि उसके पास तोप थी. आधुनिक दौर की बात की जाए तो तोप का स्वरुप पहले से भी ज्यादा खतरनाक और प्रभावशाली बन चुका है. मौजूदा समय में भारतीय सेना के पास एक से बढ़कर एक तोपें मौजूद हैं, जो दुश्मन का दिल दहलाने में माहिर मानी जाती हैं. तो आईये जानते हैं ऐसी ही कुछ तोपों के बारे में, जिनसे दुश्मन काँप उठता है…
हौबिट्स एफ एच-77
हौबिट्स नाम की यह तोप ‘बोफोर्स’ के नाम से मशहूर है. यह भारत की एक सबसे विवादित तोप भी रही है. एक समय था जब बोफोर्स घोटाले की वजह से भारत ने इसे स्वीडन से खरीदना बंद कर दिया था. बावजूद इसके यह भारतीय सेना की जान कही जाती है. इसकी मारक क्षमता 21 किलोमीटर तक है. यह 70 डिग्री तक घूम भी सकती है. 1999 में भारत-पाक के बीच हुई कारगिल की लड़ाई में भारतीय सेना ने इसी तोप का इस्तेमाल करके दुश्मन के नापाक मंसूबों पर पानी फेर दिया था.
Haubits FH 77 (Pic: blogspot.in)
एम-46
आमने-सामने की जंग में यह तोप दुश्मन के लिए सबसे ज्यादा घातक मानी जाती है. छोटी दूरी तक मारने के लिए यह तोप काफी मशहूर है. रूस द्वारा इस तोप का निर्माण किया गया था. यह 130 एम.एम कैलीबर वाली एक तोप है. वियतनाम के युद्ध में रूस द्वारा इसका प्रयोग किया गया था. इस तोप को चलाना बहुत आसान नहीं है. इसको इस्तेमाल करने के लिए 6-8 लोगों को लगना पड़ता है. यह 45 डिग्री तक घूम सकती है. इस तोप का एक छोटा प्रकार सेना के मशहूर विजयातना टैंक पर देखने को मिलता है. कहते हैं कि कि इसके प्रयोग से विजयातना की ताकत बहुत बढ़ गई थी.
धनुष तोप
इस तोप को ‘बोफोर्स’ से प्रेरित माना जाता है. भारत ने 2015 में इसका निर्माण शुरु कर दिया था. इस स्वदेशी तोप धनुष को बोफोर्स से भी बेहतर माना जाता है. इसकी मारक क्षमता 40 किलोमीटर तक की है और यह भी 70 डिग्री तक घूम सकती है. जहां एक तरफ बोफोर्स को पहाड़ों के लिए सबसे बढ़िया माना जाता है, वहीं दूसरी तरफ है यह तोप पहाड़ और रेगिस्तान दोनों ही जगह पर राज कर सकती है. यह पूरी तरह से तैयार हो चुकी है.
Dhanush (Pic: defenceforumindia.com)
एस-23
दूसरे विश्व युद्ध के दौरान रूस ने अपने लिए इस तोप का निर्माण किया था. अपने समय में यह बाकी तोपों से काफी आगे थी. यह कोई छोटी-मोटी तोप नहीं थी. इसका आकर काफी बड़ा है और यह बहुत ही घातक है. यह एक 180 एम.एम कैलीबर वाली तोप है. यह 45 किलोमीटर तक मार करने मे सक्षम मानी जाती है. एस-23 दूर बैठे दुश्मन को भी सेना को बड़ी ही आसानी से भेद सकती है. इसे चालान में 5-6 नहीं बल्कि पूरे 16 लोग लगते हैं. भारतीय सेना की आर्टिलरी में यह तोप मजबूती से विराजमान है.
एम-777
कहते हैं ‘देर आए पर दुरुस्त आए’ ऐसा ही कुछ हुआ है एम-777 तोप के साथ. 30 साल बाद जब भारतीय सेना को यह तोप मिली है, तो उनमें खुशी की लहर दौड़ पड़ी. असल में वजन में यह इतनी ज्यादा हल्की थी कि इसे चलाना और संभालना बहुत आसान था. जल्दी और छोटे काम के लिए एम-777 एक बहुत ही बढ़िया विकल्प है. इस तोप को इंग्लैंड में बनाया गया था. यह 155 कैलीबर की तोप है. यह छोटी है इसलिए इसमें बस 8 लोगों का शारीरिक बल लगता है. इसकी खूबी है कि यह एक मिनट में 5 गोले दाग देती है.
M-777 (Pic: newindianexpress.com)
डी-30
डी-30 तोप की लोकप्रियता सिर्फ भारत तक ही सीमित नहीं है. लगभग 60 देश इस तोप का इस्तेमाल करते हैं. इसकी खासियत यह है कि इसे किसी भी जगह पर इस्तेमाल किया जा सकता है. इतना ही नहीं मुश्किल समय के लिए इसपर दो बंदूकें भी मौजूद है. यह 122 कैलिबर की तोप है. इसकी मारक क्षमता 15-20 किलोमीटर तक है. इस तोप को संभालने के लिए 7-8 लोगों की जरुरत पड़ती है. यह एक मिनट में 10-12 गोले दाग सकती है.
105 एमएमएसपीजी
भारत में खोजी और बनाई गई यह सबसे छोटी तोप है. यह बाकियों से काफी हल्की होती है, इसलिए इसे ‘लाइट फील्ड गन’ भी कहते हैं. यह दुश्मन के ठिकाने और टैंक को तबाह करने के लिए जानी जाती है. यह 105 एम.एम क्षमता वाली तोप है. 360 डिग्री तक घूमने वाली यह तोप 4-6 गोले हर मिनट छोड़ सकती है. 105 एम.एम एस.पी.जी. का साइज में छोटा होना इसकी असली काबिलियत है. इसे बड़ी आराम से एक जगह से दूसरी जगह ले जाया जा सकता है. किसी भी जंग में शुरूआती समय के लिए यह बहुत ही बढ़िया हथियार है.
यह थी भारतीय सेना की कुछ एक खास तोपों के नाम, जिन्होंने कई बार सेना को मुश्किल परिस्थितियों से बाहर निकालने में मदद की. इन तोपोंं को भारतीय सेना का तुरुप का इक्का कहा जाये तो गलत नहीं होगा.
Web Title: Best Indian Artillery Guns, Hindi Article
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