भारत अपनी संस्कृति और सभ्यता के लिए प्राचीन समय से ही मशहूर रहा है. हमारी सभ्यता और संस्कृति के संवाहक रहे हैं यहाँ के संयुक्त परिवार, जो पीढ़ी दर पीढ़ी इसे आगे बढ़ाते रहे हैं. तमाम रिश्ते-नातों की मोतियों रूपी माला में पिरोया संयुक्त परिवार हमेशा ही पूरे विश्व के लिए आकर्षण और शोध का विषय रहा है. हालाँकि, वक़्त के साथ तमाम रिश्तों के नाम ‘अंकल और आंटी’ में सिमट गए हैं. क्या वाकई भारतीय रिश्तों की व्याख्या सिर्फ ‘अंकल और आंटी’ से हो सकती है, क्योंकि अब तक विभिन्न रिश्तों की विविधता सहज ही अपनी पहचान स्थापित करती है. आइये, नज़र दौड़ाते हैं भारतीय परिवारों में तमाम रिश्तों और उनके संबोधन नामों से –
ददिहाल पक्ष
माता पिता
जब कोई बच्चा पैदा होता है, तो सबसे पहले उसका रिश्ता जुड़ता है उसके अपने जन्म देने वाले माता-पिता से, जिसे वो पापा (बाबूजी) और मम्मी (माँ) के नाम से संबोधित करता है. महाराष्ट्र में इसे आयी और बाबा, तो दक्षिण भारत में अम्मा, मथाउ, थलाई (Thalli), बंगाल में माँ और बाबा के नाम से संबोधित किया जाता है.
दादा-दादी
फिर बारी आती है अपने पिता के माता-पिता से परिचित होने का जिसे बच्चा दादा दादी के नाम से पुकारता है. पंजाब में दारजी और बीजी, तो गुजरात में दादा और बा के नाम इन्हें पुकारा जाता है. इसी तरह दादा दादी को दक्षिण भारत में अच्चन या मुथाचां और दादी को अच्चम्मा कहते हैं. बंगाल में दादामोशाई और ठाकुरमाँ, महाराष्ट्र में दादी को आजी और दादा को आजूबा के नाम से पुकारा जाता है. भोजपुरी क्षेत्रों में भी दादा दादी को बाबा और आजी के नाम से पुकारा जाता है.
चाचा-चाची
पिता के छोटे भाई को चाचा और उनकी पत्नी को चाची कहते हैं. बंगाल में इस रिश्ते को काका और काक़ी माँ, गुजरात में नाना काका और नाना काकी, दक्षिण में चेरियाचां और चिनम्मा कहा जाता है. महाराष्ट्र प्रदेश में काका और काकू के नाम से पुकारा जाता है.
बड़े पापा बड़ी मम्मी
उत्तर भारत में जहाँ पिता के बड़े भाई को बड़े पापा और उनकी पत्नी को बड़ी मम्मी कहा जाता है, वहीं पंजाब में ताया जी और ताई जी, तो बंगाल में जेठू और जेठी कहा जाता है. गुजरात में मोटा काका और मोटी काकी और साऊथ में वालिया अचन और वालिया अम्मा कहा जाता है. साउथ के ही तमिल में पेरियप्पा और पेरियम्मा कहने का चलन भी मौजूद है.
बुआ फूफा
पिता की बहन और उनके पति को फूफा कहा जाता है. इसी रिश्ते को बंगाल में पिशि और पिशो, तो गुजरात में बुआ को फुई और फूफा को फुआ कहा जाता है. इसी कड़ी में आगे देखते हैं तो पंजाब में फुफ्फी और फुफ्फा, तो साउथ में वलया अम्मई, वलया अम्मावन और महाराष्ट्र में बुआ को अत्या कहा जाता है.
भाई भाभी
अपने पिता की संतान जो खुद से बड़ा हो उसे भैया और उसकी पत्नी को भाभी (भौजाई) कहा जाता है. इसी तरह, अपने से छोटे को भाई और उसकी पत्नी को भावोह कहा जाता है. बंगाल में बड़े भाई को दादा, उसकी पत्नी को बौडी, छोटे को भाई और पत्नी को बाउमा कहते हैं. यह बेहद महत्वपूर्ण रिश्ता होता है, क्योंकि ताउम्र आप इस रिश्ते से जुड़े रहते हैं. महाराष्ट्र में बड़े भाई को दादा, भाभी को वहिनी और छोटे भाई को भाऊ और छोटी भाभी को वहिनी कहते हैं. साऊथ में बड़े भाई को चेत्तन और भाभी को अद्वितीयम्मा कहते हैं, तो छोटे भाई को अनियां कहा जाता है. कन्नड़ में भाई को अन्ना के नाम से संबोधित करते हैं.
बहन बहनोई
अपने पिता की महिला संतान को दीदी (बहन) और उसके पति को जीजा (बहनोई) कहा जाता है. साऊथ में बड़ी बहन को चेची और छोटी बहन को अनुजाति कहा जाता है.
ननिहाल पक्ष
ननिहाल यानि की नानी का घर, एक ऐसी जगह जहाँ सारे ही बच्चे जाने के लिए उत्सुक रहते हैं. यह माता से जुड़ी हुयी रिश्तेदारी होती है.
नाना नानी
यह बात हम सभी जानते हैं कि अपनी माँ के माता-पिता को नाना और नानी कहते हैं. साऊथ में नाना को अमच्चान / अय्या और नानी को अम्माम्मा / अमाच्ची, तो बंगाल में नाना को ठाकुरदा और नानी को दिदिमा कहते हैं.
मामा मामी
माँ के भाई को मामा और उनकी पत्नी को मामी कहा जाता है. प्यार भरे इस रिश्ते को साउथ में वालिया अम्मावन और मामी को वालिया अम्मई कहते हैं. बंगाल में मामा को मातुल और मामी को मामी माँ, तो गुजरात में मोटा मामा और मोटा मामी कहा जाता है.
मौसी मौसा
माँ की बहन को मौसी और उनके पति को मौसा कहा जाता है. कई लोग मौसी को मौसी माँ भी कहते हैं. इस रिश्ते को बंगाल में मोशिमाँ और मेशो, तो गुजरात में मोटा मौसा और मोटा मौसी कहा जाता है. महाराष्ट्र में मावसी और काका तथा साऊथ में वलयम्मा और वलयाचं कहा जाता है.
ससुराल पक्ष
जब दो लोग विवाह के बंधन में बंधते हैं और साथ मिलकर जीवन बिताने का निर्णय लेते हैं, तो इस विवाह बंधन के साथ ही उनके साथ और भी कई रिश्ते जुड़ जाते हैं.
पति पत्नी
यह बात हर एक को पता है और बेहद ख़ास इस रिश्ते में जीवन भर का बंधन जुड़ जाता है. बंगाल में इस रिश्ते का नाम सामी और स्त्री है, वहीं गुजरात में नाथ और पत्नी, तो महाराष्ट्र में नवर और पत्नी को बायको तथा दक्षिण भारत में भरथव्य और पत्नी को भार्या कहा जाता है.
सास ससुर
पति पत्नी एक दूसरे के माता पिता को सास ससुर कह के संबोधित करते है. पिता तुल्य इस रिश्ते की मर्यादा बेहद पवित्र मानी जाती है.
Relations in Hindi, Samdhi, Damaad (Pic: newindianexpress)
साला सरहज
पत्नी के भाई को साला और उसकी पत्नी को सरहज कहा जाता है. मजाक के इस रिश्ते की भी बड़ी महत्ता है.
साली साढू
पत्नी की बहन को साली और उसके पति को साढू कहा जाता है. अगर आपकी शादी हो चुकी है तो आप से बेहतर इस रिश्ते को कोई नहीं समझ सकता है. और हाँ, भूलकर भी साली साढू को नाराज करने का जोखिम नहीं उठाइयेगा.
जेठ जेठानी
पति के बड़े भाई को जेठ और उनकी पत्नी को जेठानी कहा जाता है . उत्तर भारत के कई क्षेत्रों में पति के बड़े भाई को भसुर और उनकी पत्नी को देयादिन भी कहा जाता है.
देवर देवरानी
पति के छोटे भाई को देवर और उसकी पत्नी को देवरानी या गोतनी कहा जाता है.
ननद नंदोई
पति की बहन को ननद और उसके पति को नंदोई कहा जाता है. महिलाओं के लिए यह रिश्ता बेहद नाजुक माना जाता है.
बेटा बेटी
इस बारे में हम सभी को ज्ञान है ही, पर जहाँ सभी रिश्तों को उद्धृत किया जा रहा हो तो इसे बताना भी आवश्यक है. अपनी संतान जो लड़का है, उसे बेटा और लड़की को बेटी कहते हैं.
अन्य महत्वपूर्ण रिश्ते…
- भांजा भांजी: बहन के बच्चों को भांजा भांजी कहते हैं.
- भतीजा भतीजी: भाई के बच्चों को भतीजा भतीजी कहते हैं.
- ममेरे भाई बहन: मामा के बच्चों को ममेरा भाई बहन कहते हैं.
- फुफेरे भाई बहन: बुआ के बच्चों को फुफेरा भाई बहन कहते हैं.
- चचेरे भाई-बहन: चाचा के बच्चों को चचेरे भाई बहन कहते हैं.
- पोता पोती: बेटे की संतान को पोता पोती कहते हैं.
- नाती नतिनी: बेटी की संतान को नाती और नतिनी या नवासी कहा जाता है.
- पड़पोते: अपने पोते के बच्चों को पड़पोता कहा जाता है.
- समधी समधन: अपनी बहू के माता पिता या बेटी के सास ससुर को समधी और समधन कह कर पुकारा जाता है. ये रिश्ते हंसी मजाक के साथ साथ बेहद गंभीर और नाजुक होते हैं. पर नवयुवकों को चिंता करने की जरूरत नहीं है, क्योंकि जब तक समधी समधन रिश्ते को समझने की बारी आएगी, तब तक आप काफी परिपक्व हो चुके होंगे.
- दामाद: बेटी के पति को भारत में दामाद कहा जाता है. बेटी के बाप के लिए यह रिश्ता बेहद महत्त्व का होता है.
- जीजा साली: बहन के पति को जीजा और पत्नी की बहन को साली कहा जाता है. उत्तर भारत में कहावत है, “साली बिना ससुराल कैसा”, मतलब हंसी मजाक के उच्चतर रिश्तों में इस रिश्ते का स्थान है. जानते ही होंगे आप. शादी हो गयी होगी तो अपनी साली के बारे में अन्यथा बड़े भैया की सालियों से तो परिचित होंगे ही आप!
- देवर भौजाई: अपने पति के छोटे भाई को देवर और बड़े भाई की पत्नी की भौजाई(भाभी) कहा जाता है. ये रिश्ता भी अपनी हंसी ठिठोली और एक दूसरे से मजाक करने के लिए मशहूर है.
इसके साथ ही समाज में कुछ ऐसे भी रिश्ते हैं. जिनका खून का सम्बन्ध तो नहीं है, मगर उसकी अहमियत कई बार उससे भी ज्यादा होती है.
सखी: अपने बचपन में लड़कियां जिसके साथ खेलती हैं और जवानी में अपनी हर बात की राजदार बनाती हैं. सखियों से मिलकर घंटो तक बातें करना या फिर भावी जीवनसाथी की चर्चा करना सखियों का आम शगल माना जाता है.
दोस्त: बचपन की हुड़दंग भरी मस्ती भला किसे याद नहीं होगी. बाद में भी दोस्तों के साथ बैठने भर से ऑफिस की सारी थकान ख़त्म हो जाती है.
हमारे देश भारत में रिश्तों की अहमियत बेहद पवित्र मानी जाती है. देखा जाए तो भौतिक सुख सुविधाएं होने के बावजूद पश्चिमी देश भारत के मुकाबले कम ‘संतुष्ट’ माने जाते हैं. रिश्तों की महत्ता को बनाये रखने और उसे आगे बढ़ाने की जिम्मेदारी हमारी भी है. हमें अपने बच्चों को इन रिश्तों से अवश्य अवगत कराना चाहिए, ताकि ये परंपरा ऐसे ही अनवरत चलती रहे और हमारी आने वाली पीढ़ी भी इन रिश्तों की मिठास को महसूस कर सके.
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