1 जुलाई, कलेण्डर की यह तारीख वैसे तो आम तारीखों जैसी ही है, लेकिन जुलाई का पहला दिन कितना ख़ास है. इस बात से अधिकतर लोग अनजान ही हैं. दरअसल यह दिन देश के डॉक्टर्स के नाम समर्पित है. इस दिन को ‘डॉक्टर्स डे’ के रुप में मनाया जाता है. डॉक्टरों की हमारे जीवन में क्या उपयोगिता है, यह किसी से छिपा हुआ नहीं है. अक्सर जब हम बीमार होते हैं तो हमें डॉक्टरों की याद आती है. कई बार लोगों की जान बचाने के लिए इन्हें भगवान तक कहा जाता है. तो आइये आज जानते हैं इनके बारे में:
क्यों मनाया जाता है डॉक्टर्स डे?
वैसे तो विश्व भर में ‘डॉक्टर्स डे’ मनाया जाता है. बस हर देश इसे अलग-अलग दिन पर मनाता है. भारत में इसे 1 जुलाई को मनाया जाता है. अब आप सोच रहे होंगे कि एक जुलाई ही क्यों, तो आपको बताते चलें कि दरअसल 1 जुलाई भारत के एक प्रसिद्ध चिकित्सक बिधान चंद्र राय की याद में मनाया जाता है. बिधान चंद्र एक मशहूर डॉक्टर थे. चूंकि उनका जन्म और मृत्यु दोनों ही एक जुलाई को हुई थी. इसलिए इस दिन को ‘डॉक्टर्स डे’ के लिए चुना गया. बिधान चंद्र सिर्फ एक आम चिकित्सक ही नहीं थे. वह महात्मा गांधी के साथी भी रहे. ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ के दौरान वह उनके साथ रहे.
माना जाता है कि इस आंदोलन के लिए गांधी जी अनशन पर बैठे तो बीच में उनकी तबियत ख़राब होने लगी थी. ऐसे समय में बिधान ही थे, जिन्होंने उनकी देख-रेख की थी. गांधी जी की तबियत को देखते हुए उन्होंने, उन्हें कुछ दवाइयां खाने की सलाह दी. पर गांधी जी ने दवाइयां खाने से मना कर दिया, क्योंकि वह भारत की नहीं बनी थी. उन्होंने बिधान से पूछा की ‘मैं तुमसे इलाज क्यों करवाऊं? क्या तुम पूरे देश का ऐसे ही मुफ्त में इलाज करते हो?’ इस सवाल का जो जवाब बिधान ने दिया, उसने गांधी जी का मन मोह लिया. उन्होंने कहा कि ‘मैं पूरे देश का इलाज मुफ्त में नहीं कर सकता. मैं यहां मोहनदास करमचन्द गांधी के लिए नहीं आया हूं. मैं यहां उस व्यक्ति के लिए आया हूं, जो मेरे पूरे देश का चेहरा है’.
इस आंदोलन के बाद बिधान समाज के लिए काम करने में लग गए. उन्होंने अस्पताल खोले. लोगों के मुफ्त में इलाज किए. आजादी के बाद वह गांधी जी के कहने पर राजनीति में भी उतरे. मगर समाज कल्याण के कामों से वह अपनी आखिरी सांस तक पीछे नहीं रहे. 80 साल की उम्र में जब उनकी मृत्यु हुई तो देश के लोगों की आखें नम हो गईं. बिधान चंद्र की काबीलियत ही थी कि 1991 में जब ‘डॉक्टर्स डे’ मनाने की बात आई तो सबकी जुबान पर उनका ही नाम था.
इनके लिए भी है ‘डॉक्टर्स डे’…
‘डॉक्टर्स डे‘ सिर्फ बिधान चंद्र राय के लिए ही नहीं मनाया जाता. यह दिन चिकित्सा से जुड़े हर व्यक्ति के लिए मनाया जाता है. यह दिन उनके सराहनीय कामों के उत्साहवर्धन का दिन भी होता है. इस मौके पर डॉक्टर्स के साथ-साथ उनका साथ देने वाले अन्य लोगों को भी सम्मानित किया जाता है. अपने इस ख़ास दिन पर भी यह लोग छुट्टी लेने की बजाए लोगों की मदद करके मनाते हैं. जगह-जगह कैंप लगाए जाते हैं. फ्री चेकअप के शिविर लगाए जाते हैं. लोगों को जागरुक किया जाता है. समाज में डॉक्टर्स की उपयोगिता को बताया जाता है.
Doctors Day (Pic: whatclinic.com)
आसान नहीं होता एक डॉक्टर होना
एक डॉक्टर का काम सिर्फ इलाज करने तक ही सीमित नहीं रहता. समाज को सही रूप से चलाने में भी यह अपना अहम रोल प्ले करते हैं. सोचिए अगर यह न होते तो छोटी सी खांसी जुकाम भी हमारे लिए जानलेवा बन जाती. इन पर काम का बहुत बोझ होता है. कई बार तो इन्हें आराम तक करने का मौका नहीं मिलता. एक डॉक्टर किस तरह अपने काम को करते हैं, इसका नमूना आपको इमरजेंसी वार्ड में देखने को मिल जाएगा. कैसे एक के बाद एक आते मरीजों को बचाने के लिए वह भागे-भागे फिरते हैं. कई बार तो वह 24 घंटे भी काम करते हैं. शायद इसलिए ही डॉक्टर के बारे में कहा जाता है कि वह भगवान का रुप होते हैं.
Doctors Day (Pic: linkedin.com)
सितारे जमीं पर…
डॉ. भक्ती यादव
भक्ती यादव इंदौर की पहली महिला डॉक्टर हैं. वह पिछले 68 सालों से फ्री में लोगों का इलाज कर रही हैं. अपना पूरा डॉक्टरी करियर उन्होंने लोगों के भले में ही लगा दिया. गरीबों के लिए तो वह किसी फ़रिश्ते से कम नहीं हैं. अपने इतने लम्बे सफ़र में उनके सामने कई बार सरकारी नौकरी का प्रस्ताव आया, पर वह समाज सेवा में ही लीन रहीं. वैसे तो अब उनकी उम्र ज्यादा हो गई है, लेकिन अपने मरीजों की सेवा करने का उनका जज्बा आज भी एकदम जवां है. उन्हें उनके कार्यों के लिए पद्मश्री पुरस्कार से नवाजा जा चुका है.
डॉ. सुबोध सिंह
डॉ.सुबोध सिंह अपनी प्लास्टिक सर्जरी के लिए मशहूर हैं. वह इलाज के लिए पैसे नहीं लेते. कहते हैं कि सुबोध ने डॉक्टरी सिर्फ लोगों की मदद करने के लिए की थी, क्योंकि उनके पिता की मौत डॉक्टर के न होने की वजह से हुई थी. उन्होंने अपना एक अस्पताल बना रखा है. जहां मुफ्त इलाज की सुविधा है. सुबोध ‘जले’ के एक्सपर्ट हैं. सुबोध जगह-जगह अपने कैंप लगाते रहते हैं और गांव-गांव तक मुफ्त इलाज देने की कोशिश करते रहते हैं.
Doctors Day, Dr. Subodh Kumar Singh (Pic: bluechalk.com)
डॉ. अंशुमन कुमार
कैंसर स्पेशलिस्ट अंशुमन कुमार नोएडा के कासना गांव के गरीब मजदूरों के लिए किसी भगवान से कम नहीं हैं. एक मजदूर के लिए डॉक्टर के पास जाना यानी एक दिन की मजदूरी से हाथ धोना होता है. ऐसे में अंशुमन उन्हें मुफ्त सेवाएं देकर उनकी मदद कर देते हैं. पिछले कुछ सालों से अंशुमन यहां हर गुरुवार को आते हैं और मरीजों को देखते हैं. इतना ही नहीं उन्हें पता है कि दवाइयों का खर्च इन लोगों पर काफी भारी पड़ेगा, इसलिए वह इन्हें दवाइयां भी खुद से लाकर देते हैं.
डॉक्टर हमारे समाज के लिए एक अभिन्न अंग है. हमारे जन्म से लेकर मृत्यु तक इनसे हमारा आमना-सामना होता ही रहता है. अक्सर हम डॉक्टर के पास से जल्द से जल्द भागने की कोशिश करते हैं. इस भागमभाग में हम भूल जाते हैं, उस व्यक्ति का शुक्रिया अदा करना जो हमारे हित में लगा रहता है. डॉक्टरों को हम उनके काम के लिए कुछ ख़ास तो नहीं दे सकते. मगर एक हल्की सी मुस्कान के साथ शुक्रिया जरूर कह सकते हैं. हमारी यह छोटी सी पहल उनको स्पेशल होने का एहसास करा सकती है.
Web Title: Doctors Day, Hindi Article
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