समस्त ब्रह्माण्ड में पृथ्वी ही एकमात्र ऐसी जगह है, जहां जीवन संभव बताया जाता है. इसके बावजूद हम जिस तरह से लगातार पृथ्वी के लिए घातक बने कारणों को नज़रअंदाज करते जा रहे हैं, वह निश्चित रुप से शुभ संकेत नहीं है. जरा सोचिएअगर पृथ्वी पर जीवन का संकट आ जाए तो क्या होगा? यकीन मानिए हमारी पृथ्वी पर ऐसे संकट न केवल मौजूद हैं, बल्कि लगातार बढ़ भी रहे हैं.
यहां तक कि विश्व स्तर पर 22 अप्रैल को पृथ्वी दिवस के रुप में घोषित किया जा चुका है, ताकि पृथ्वी को बचाने के लिए लोग संजीदा हो सके. तो आइये विस्तार से जानने की कोशिश करते हैं पृथ्वी दिवस से जुड़े तमाम पहलुओं को:
‘विश्व पृथ्वी दिवस’ की जरुरत क्यों?
बचपन से हम किताबों पढ़ते आये हैं कि हमारा जीवन और पर्यावरण दोनों एक-दूसरे के पूरक हैं. ऐसे में असंतुलन घातक हो सकता है. अफसोस हमने यह पाठ सिर्फ किताबों में पढ़ा और उसे अपने जीवन में उतारा नहीं. परिणाम यह हुआ कि अपनी जरुरतों को पूरा करने के लिए हमने पर्यावरण का दोहन करना शुरु कर दिया. ऐसे में, धीरे-धीरे पृथ्वी खतरे की ओर बढ़ती चली गई.
जब इसके संरक्षण का मसला आया तो हमें हमें पृथ्वी दिवस जैसे अंतर्राष्ट्रीय त्योहारों को मनाने की जरूरत आ पड़ी. इसी कड़ी में पूरे विश्व में 22 अप्रैल को हर साल ‘विश्व पृथ्वी दिवस’ मनाना शुरु कर दिया गया.
यह सबसे पहली बार 1970 में मनाया गया था. इस दिवस की स्थापना अमेरिकी सीनेटर ‘जेराल्ड नेल्सन’ ने की थी. पर प्रश्न वही है कि क्या इन गंभीरतम विषयों पर हम औपचारिकता से आगे बढ़ पा रहे हैं?
‘विश्व पृथ्वी दिवस’ का वर्तमान स्वरुप
हमारे देश यानी भारत के लोगों के अंदर त्योहारों की परम्परा रची-बसी हुई है. यहां के लोग लगभग हर महीने किसी न किसी त्यौहार को मनाते ही हैं. इसी कड़ी में अगर विश्व पृथ्वी दिवस की बात करें तो इसको भी यहां निर्धारित तारीख यानी 22 अप्रैल को मनाते हैं. इस त्यौहार के लिए ढ़ेरो कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं. फिर हम धरती व पर्यावरण को बचाने का संकल्प लेते हैं.
वृक्षारोपड़ से लेकर नदियों, तालाबों व अपने आसपास की साफ-सफाई जैसे अभियान चलाये जाते हैं. जन जागरूकता अभियान, सभा, संगोष्ठियां व सम्मेलनों का भी तड़का लगता है. पर इसके बावजूद चुनौतियां हैं कि कम होने का नाम नहीं ले रही है.
बिडम्बना देखिये, बाहर हम पर्यावरण के कार्यक्रमों में भाग लेकर बड़ी बड़ी बातें करते और सुनते हैं, वहीं घर और ऑफिस में बिजली की बर्बादी, गैर जरूरी रूप से एयर कंडीशनर चलाकर उन्हीं सिद्धांतों को धत्ता भी बताते हैं.
Important Facts of World Earth Day (Pic: foxvalleywebdesign)
जलवायु परिवर्तन है बड़ी चुनौती
कहा जाता है कि अब अगर कभी तीसरा विश्व युद्ध हुआ तो वह पानी के लिए होगा. आखिर कौन है इस स्थित के लिए जिम्मेदार? कहीं न कहीं धरती पर हो रहे जलवायु परिवर्तन के लिए सबसे ज्यादा जिम्मेदार मानव जाति ही है. इसने आधुनिक जीवन जीने के चक्कर में सामाजिक जिम्मेदारियों को पीछे छोड़ दिया हैं. आज दुनिया जैसे-जैसे आगे बढ़ रही है, वैसे-वैसे पृथ्वी पर खतरा बढ़ता चला जा रहा है.
उद्योगों से निकने वाला मलबा और पेड़ों की अंधाधुंध कटाई के कारण भूमंडलीय तापमान तेजी से बढ़ रहा है. इसके कारण प्रकृति का मौसम चक्र भी बदल गया है. अब वर्षा, सर्दी, गर्मी का कोई निश्चित समय नहीं रहा है. जाहिर तौर पर यह शुभ संकेत नहीं है.
ग्रीन हाउस गैसों के दुष्प्रभाव से निपटने के लिए तमाम देश बैठकें तो जरूर करते हैं, पर उसका निष्कर्ष परिणाम के रूप में क्या आ रहा है, इस बाबत बहुत सकारात्मक बात नहीं की जा सकती है. फिर जलवायु परिवर्तन की चुनौती बढती ही जा रही है… बढती ही जा रही है.
दुनिया में बढ़ती जनसंख्या और तेजी से हो रहे शहरीकरण के कारण दिन प्रतिदिन प्रदूषण की समस्या बड़ी विकराल होती चली जा रही है.
जिस तरह से आज ठोस अपशिष्ट पदार्थो की मात्रा बढ़ रही हैं, उससे निपटना आज दुनिया के विकासशील देशों के लिए मुश्किल काम हो गया है.
उदाहरण के लिए न्यूयार्क को लिया जा सकता है, जहां प्रतिदिन लगभग 2500 ट्रक भार के बराबर ठोस अपशिष्ट पदार्थ का उत्पादन होता है.
पर्यावरण के लिए पॉलीथीन है बेहद घातक
समाज में पॉलीथीन का बढ़ती प्रयोग मानव जाति की सबसे बड़ी परेशानी बन गया है. यह नष्ट न होने के कारण भूमि की उर्वरक क्षमता को समाप्त कर रही है. इसके जलाने से निकलने वाला धुंआ वायुमंडल को बड़ा नुकसान पंहुचा रहा है. पॉलीथीन के कचरे से देश भर में हर साल लाखों जानवर मौत के मुंह में जा रहे हैं. लोगों में तरह-तरह की बीमारियां फ़ैल रही हैं.
प्लास्टिक में इस्तेमाल होने वाले कुछ ऐसे रसायन हैं, जो शरीर में डायबिटीज व लिवर एंजाइम को नुकसान पहुंचाते हैं. पॉलीथीन का इस्तेमाल करके हम सिर्फ पर्यावरण को ही नहीं बल्कि कई गंभीर बीमारियों को भी निमंत्रण दे रहे हैं.
इन्हें नालियों में फेक देने से नालियां जाम हो जाती हैं. इसके परिणाम स्वरुप कालरा, टाइफाइड, डायरिया जैसी कई बीमारियां जन्म लेती हैं. बता दें कि भारत में हर साल लगभग 500 मीट्रिक टन पॉलीथिन का का उत्पादन होता है, लेकिन इसका एक प्रतिशत भी री-साइकिल नहीं हो पाता. जाहिर तौर पर यह विषय पर्यावरण से ही जुड़े हैं, तो इनका निदान भी हमें ही करना होगा.
Important Facts of World Earth Day (Pic: dw)
पर्यावरण की रक्षा
पर्यावरण की रक्षा के लिए हम ज्यादा कुछ बड़ा न करते हुए अगर छोटी-छोटी बातें जैसे- वनों की कटाई पर रोकथाम, वायु प्रदूषण को कम करने के लिए कम वाहनों का इस्तेमाल आदि करें, तो बात बन सकती है. इसके अलावा हमें बिजली के गैर जरुरी इस्तेमाल, प्लास्टिक के थैलों का उपयोग इत्यादि बंद कर देना चाहिए. हमें कूड़े कचरे को एक जगह पर फेंकने आदि के बारे में भी लोगों को जागरुक करना चाहिए.
इस तरह मना सकते हैं ‘पृथ्वी दिवस’
- अपने परिवार के साथ पेड़ पर पक्षी के लिये घोंसला बनाया जा सकता है
- पुराने सामानों का दुबारा प्रयोग करने के बारे में अपने बच्चों को सिखाएं
- सड़क, पार्क और दूसरी जगहों से गंदगी हटाने में भाग लें और इसे नियमित तौर पर अपनी दिनचर्या में यथासंभव शामिल करने का प्रयत्न करें
- जागरुकता अभियानों में बढ़-चढ़कर भाग लें, साथ ही उससे निकले संदेशों को प्रसारित भी करें और अपनाएं भी
Important Facts of World Earth Day (Pic: onlymyhealth)
हमें चाहिए कि इस बार जब हम पृथ्वी दिवस मनाएं तो कम से कम एक ऐसा प्रण अवश्य लें, जो धरती और पर्यावरण के लिए लाभदायक हो. कुछ ऐसे ही हमारी आने वाली पीढ़ी इस धरती पर सुरक्षित रह सकेगी, अन्यथा अगर ऐसी ही लापरवाही जारी रही तो धरती पर जीवन दिन ब दिन कठिन होता चला जाएगा.
Web Title: Important Facts of World Earth Day, Hindi Article
Keywords : Environment, Pollution, World, Earth, Climate, Natural, Life, America, Founder,Venomous, Business, Forest, Weather, Plastic, Polythene, Smoke
Featured Image Credit / Facebook Open Graph:eluxemagazine/eluxemagazine