उत्तर कोरिया से सबसे ज्यादा खतरा अगर किसी को है तो वह दक्षिण कोरिया, अमेरिका और जापान को है. मगर अमेरिका जैसे मज़बूत देश को जब उत्तर कोरिया किसी प्रकार की धमकी देता है, तब वह थोड़ा हास्यास्पद लगता है. हालांकि, उत्तर कोरिया का इतिहास रहा है कि वह हमेशा से ही अपने से बड़े और मजबूत देशों को चुनौती देता रहा है.
डोनाल्ड ट्रंप के अमेरिका का प्रेसिडेंट चुने जाने के बाद दोनों देशों के बीच का तापमान और भी गर्म हो गया है. बताते चलें कि अमेरिका के डिफेंस सेक्रेटरी जेम्स मैटिस और दक्षिण कोरिया सरकार की मुलाकात के कुछ दिन बाद ही उत्तर कोरिया ने बैलिस्टिक मिसाइल्स का परीक्षण किया था. उत्तर कोरिया यहीं पर नहीं रुका बल्कि एक महीने बाद यानी 6 मार्च को उत्तर कोरिया ने 4 नये मिसाइल्स का रुख जापान के समुद्री इलाके की तरफ मोड़ दिया था. इसके बाद से जापान और उत्तर कोरिया के बीच का माहौल और भी ख़राब हो गया चुका है.
इन सब समस्याओं से निपटने के लिए अमेरिका, जापान, चीन और दक्षिण कोरिया आपस में रणनीति बना रहे हैं, जिसमें सैन्य विकल्प पर भी राय बन सकती है.
उत्तर कोरियाई फोर्सेस
किम जोंग इल उत्तर कोरिया के पहले नेता थे, जिन्होंने वहां का संविधान लिखा. इल की 105वीं सालगिरह 15 अप्रैल 2017 को मनाई गई थी. हर साल की तरह ही उत्तर कोरिया की मिलिट्री फ़ौज ने अपने पहले नेता के सम्मान में परेड निकाली, जिसमें मिसाइल्स और अन्य हथियारों का प्रदर्शन किया गया.
न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया के लिए सबसे चिंता की बात यह है कि इन मिसाइल्स का संचालन किसी भी तरह के मोबाइल यंत्र से किया जा सकता है. ऐसे में यदि युद्ध होता है तो संचालन करने वाले यंत्र का पता लगाना बहुत ही मुश्किल होगा.
North Korea Missiles And Their Long Distance Range (Pic: BBC)
उत्तर कोरिया के मिसाइल्स की पहुंच दूसरे देश जैसे, जापान और दक्षिण कोरिया तक है. बीबीसी की एक रिपोर्ट के मुताबिक, उत्तर कोरिया के पास ऐसी घातक मिसाइल्स भी हैं, जिनकी पहुंच अमेरिका के अलास्का तक है.
इनके पास एक बहुत बड़ी मिलिट्री फ़ौज भी है. उत्तर कोरिया के पास ऐसे हथियार तैनात हैं, जिससे युद्ध के दौरान वह बैठे-बैठे दक्षिण कोरिया की राजधानी ‘सीओल’ पर हमला कर सकता है. उत्तर कोरिया के पास परमाणु शक्ति है. हालांकि, इनका पास कितने परमाणु बम हैं, इसका खुलासा, बाकी देशों की तरह अब तक नहीं हो पाया है.
प्रोपोगंडा (Propoganda)
उत्तर कोरिया की तानाशाही को वहां का मीडिया हमेशा से ही बढ़ावा देता रहा है. मीडिया हमेशा से ही कोरियाई सरकार की तानाशाही का शिकार होता रहा है. मीडिया वही प्रकाशित करती है, जो वहां की सरकार चाहती है.
North Korea Military Parade, (Pic: Sputnik)
उत्तर कोरिया के लोग भी वही देखते और समझते हैं, जोकि मीडिया उन्हें दिखाता है. उन्हें विदेश से कोई भी जानकारी नहीं मिलती है. हम इस मुद्दे पर उत्तर कोरियाई सरकार के साथ-साथ बाकी देशों के तर्क और विचारों को जान सकते हैं. मगर उत्तर कोरिया में ऐसी कोई भी परंपरा नहीं है. किसी भी प्रकार की जानकारी की खोज करना कोरिया में सख्त मना है. जिसका परिणाम यह रहा है कि कई बार कोरियाई सरकार अपने लोगों के बीच गलत जानकारी फैलाती है.
बाहर से आये पर्यटक और आम नागरिक सरकार की चालाकी को समझ नहीं पाते. चूंकि जानकारी जुटाने के लिए वहां की जनता के पास बहुत ज्यादा साधन नहीं हैं, इसलिए सरकार का जो भी निर्णय होता है उसे सही मान लेते हैं.
बल का प्रदर्शन
उत्तर कोरिया अपने बल का प्रदर्शन हमेशा करता रहा है. अपने भाषण में उत्तर कोरिया ने कई बार दुनिया को यह स्पष्ट रुप से बताया है कि वह अपनी मिलिट्री शक्ति को और भी मजबूत करेगा. उत्तर कोरिया के बढ़ते सैनिक बल के कारण ही दुनिया के अन्य देश भी अपने आप को परमाणु शक्ति के रूप में स्थापित करने में जुट गये हैं.
North Korea Military Missiles Parade, (Pic: CNN)
पॉल ने उत्तर कोरिया पर बहुत सी किताबें लिखी हैं, जिनमें ‘नार्थ कोरिया – द पैरानॉयड पेनिनसुला’ प्रमुख है. पॉल यह मानते हैं कि उत्तर कोरिया के नेता किम जोंग उन ने अपने सैनिक बल को और मजबूत करने और एक विशाल सेना बनाने की कामना कई बार जाहिर की है. दक्षिण कोरिया के प्रोफ़ेसर यह मानते हैं कि उत्तर कोरिया वाइट हाउस का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करना चाहता है.
अब तक कई गंभीर चेतावनी मिलने के बावजूद भी उत्तर कोरिया ने कई परमाणु परीक्षण किये और अपने हथियार क्षेत्र में लगातार बढ़ोतरी कर रहे हैं. ‘दी डच वेल्लेन मीडिया इंस्टिट्यूट’ के मुताबिक उत्तर कोरिया हर साल अपनी परंपरा को बरकरार रखते हुए मिसाइल परीक्षण करता है.
पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति ‘बिल क्लिंटन’ और ‘बराक ओबामा’ के रहते दोनों देशों के बीच में हुए परमाणु नियंत्रण समझौते को ख़ास सफलता प्राप्त नहीं हुई. मगर डोनाल्ड ट्रम्प के सत्ता में आते ही दोनों देशों के संबधों में और भी तनाव आ गया है. डोनाल्ड ट्रम्प किसी भी प्रकार के समझौते के मूड में बिलकुल भी नहीं दिख रहे हैं. वहीं उत्तर कोरिया भी अपनी ताकत आजमाने से पीछे नहीं हट रहा.
दूसरी तरफ, उत्तर कोरिया हमेशा से ही अपनी खुद की प्रशंसा करता रहा है. उसने अमेरिका के वर्तमान हालातों को भांपते हुए, युद्ध जैसी किसी भी प्रकार की गतिविधि के लिए पूरी तरीके से कमर कस ली है. आने वाले समय में अगर हालात में कोई तबदीली नहीं होती है, तो दोनों देशों के बीच युद्ध की संभावना उत्पन्न हो सकती है. जाहिर तौर पर यह दुनिया के लिए बढ़िया खबर तो कतई नहीं होगी, क्योंकि जैसे एक चिंगारी किसी फसल में आग लगा देती है और फिर वह आग एक खेत से दूसरे खेत तक फैलते देर नहीं लगती. ऐसा ही कुछ वैश्विक परिदृश्य में भी कहा जा सकता है. कब एक छोटा युद्ध विश्व युद्ध में बदल जाए, समझना नामुमकिन सा है.
Original Article Source / Writer: Roar Sinhala / Chamara Sumanapala
Translated by: Nitesh Kumar
Web Title: The Arrogant North Korea, Hindi Article
Keywords: North Korea, North Korea Controversies with America, North Korea And Their Media, Freedom Of Media in North Korea, Kim Jong Il, Donald Trump and North Korea, Relationship between North Korea and Its Neighboring Countries, North Korea-South Korea, War Between America and North Korea
Featured image credit / Facebook open graph: Reuters/ Roar Sinhala