आगामी दिनों में बोर्ड की परीक्षाएं हैं . जो छात्र इस परीक्षा में भाग लेने जा रहे हैं, उनके लिए यह महत्वपूर्ण समय है. इस दौरान अक्सर देखा गया है कि ज़्यादातर छात्र ख़ुद को पूरी तरह परीक्षा की तैयारियों में झोंक देते हैं. इसके चलते कई बार वो अपनी सेहत के प्रति लापरवाह भी हो जाते हैं. कई छात्र तो रात-रात भर जागते हैं, तनाव में रहते हैं, कम खाना खाते हैं और इन सभी वजहों से उन पर नकारात्मकता हावी होने लगती है. ऐसे में छात्रों के माता-पिता के सामने सवाल होता है कि वह क्या करें, क्या न करें. इसलिए हम लेकर आए हैं कुछ ऐसी बातें, जो परीक्षा के दौरान बच्चों के माता-पिता/ अभिभावक के लिए मददगार हो सकती हैं:
लगातार प्रोत्साहन दें
“दुनिया में कोई काम असंभव नही“. “जोश ज़ज़्बा और जुनून जब कर दिया जाए किसी के नाम, तो हर लहर को करना पड़ता है झुक कर सलाम”. “परीक्षाएं महज एक खेल हैं, और तुम इतने होशियार हो कि इसे अच्छे से खेल सकते हो”, “परिणाम की चिंता मत करो सिर्फ सबसे उत्तम प्रदर्शन करो” ऐसी बातें बच्चों को साहस देने का काम कर सकती हैं, इसलिए अभिभावक ऐसे वाक्यों और उत्साहवर्धक शब्दों का प्रयोग कर सकते हैं. ध्यान रहे, हर बच्चे में असीमित प्रतिभा होती है बस जरूरत होती है उन्हें विश्वास दिलाने की और यह कार्य पेरेंट्स से बेहतर भला कौन कर सकता है?
तनाव को न फटकने दें आसपास
परीक्षा के समय अक्सर देखा जाता है कि छात्र पढ़ाई का वक़्त बढ़ा देते हैं. चूंकि बच्चों का शरीर और दिमाग तनाव झेलने का आदी नहीं होता है, इसलिए इस बदलाव को अपनाने में उनकी मदद करें. निश्चित रूप से इसका परिणाम बेहतर होगा. तनाव से बचने के लिए अभिभावक परीक्षा से पहले ही नियमित रूप से पढ़ाई करने के लिए बच्चों को तैयार कर सकते हैं, ताकि उन पर एकदम से दबाव न बने और वह तनाव से दूर रह सकें.
Role of Parents in Exam (Pic: thestar.com)
अगर बच्चे का नहीं लगता पढ़ाई में मन?
परीक्षा के पास आने के बावजूद अगर आपके बच्चे का मन पढ़ाई मेंं नहीं लगता और आप बच्चे के टालमटोल वाले व्यवहार से परेशान रहते हैं, तो जरा रूकिये. इस पर काबू पाने के रास्ते भी हैं. बच्चे की असल समस्या जानना अभिभावक का पहला कदम हो सकता है. माता-पिता को पता होना चाहिए कि बच्चे का मन पढ़ाई में क्यों नहीं लग रहा? शायद ऐसा कुछ हो जो आपसे संकोच-वश आपसे कहने मेंं कतरा रहा हो. आपके गाइड करने का तरीका उसके लिए मददगार हो सकता है. कई बार जो बच्चे साल भर परीक्षा की तैयारी नहीं करते हैं वह अंतिम दिनों में नर्वस होने लगते हैं, जो स्वाभाविक भी है. ऐसे में जिस विषय में बच्चे की रुचि हो, उसकी तरफ उसे आकर्षित करें और उस विषय में भी जिस टॉपिक या अध्याय पर बच्चा सहजता महसूस करे, पहले उसे ही पढने में बच्चे की मदद करें. फिर उसके बाद दूसरे विषय और कठिन अध्यायों की ओर बढें.
खान-पान पर ध्यान देने की ज़रूरत
परीक्षा की तैयारी के आखिरी महीने में कुछ छात्र अपना रोज़ का खाना तक छोड़ देते हैं और कुछ छात्र जंक फूड एवं हल्का फुल्का नाश्ता करना शुरू कर देते हैं. अभिभावक के लिए ज़रूरी है कि वह अपने बच्चों की सेहत पर खास ध्यान दें. उन्हें इस बात पर खास ध्यान देना चाहिए कि बच्चे जंक फूड की बजाय हल्का खाना और फल खायें, ताकि शरीर को ज़रूरी पोषक मिल सकें. उन्हें बच्चों की नींद का भी ख़्याल रखना चाहिए, ताकि पूरी नींद लेने के बाद बच्चें ख़ुद को तरोताज़ा महसूस कर सकें. ध्यान रहे अगर परीक्षा के दिनों में बच्चे का टाइम टेबल बिगड़ा तो इससे नुक्सान उसी का होगा. हाँ, सामान्य दिनों की तुलना में टाइम टेबल थोड़ा एक्सटेंड जरूर हो सकता है, किन्तु बहुत ज्यादा नहीं.
घर में शांति का माहौल बनाएं
परीक्षा के दौरान बच्चों को एकाग्रता की ज़रूरत होती है, जिसके लिए अभिभावक को उन सभी चीज़ों से परहेज करना होगा, जो किसी भी रूप से बच्चों का ध्यान भंग कर सकती हों. जैसे टी.वी. देखना, ऊंची आवाज़ में गाने सुनना आदि. परीक्षा के दौरान अभिभावकों को मेहमान और रिश्तेदारों को भी घर पर बुलाने से परहेज करना चाहिए. इससे भी बच्चों का ध्यान पढ़ाई से भटक सकता है. आप खुद भी इन दिनों बेहद अनुशासित रहें, जिससे बच्चे को निश्चित प्रेरणा मिलेगी.
परीक्षा केंद्र तक बनें साथी
परीक्षा के लिए जाते समय बच्चों में विश्वास की कमी हो सकती है, इसलिए अभिभावक को उनके साथ परीक्षा केंद्र तक जाना चाहिए. अंतिम पलों तक उसे उत्साहित करना चाहिए. यही नहीं परीक्षा ख़त्म होने के बाद उसे घर वापस लेने भी जाए. परीक्षा के बारें में विचार विमर्श कर सकते हैं, ताकि आपको उसकी मनोदशा समझ आएँ और आप आगे की रणनीति बना सकें. ध्यान रहे, एक पेपर ख़त्म होने के तुरंत बाद आप बच्चे का दूसरा एग्जाम न लेने लगें, जैसे कि क्या किया, सभी प्रश्न क्यों नहीं किया बला बला. हल्का रिव्यु जरूर लें, ताकि अगले प्रश्न-पत्र में बच्चा वह गलतियां न करे. जैसे, अगर आपका बच्चा कुछ प्रश्न हल नहीं कर सका है तो कहीं ऐसा तो नहीं कि समय कम पड़ गया हो. अगर ऐसा है तो आप उसे बताएं कि अगर किसी एक प्रश्न का उत्तर उसे नहीं सूझता है तो वह दूसरा प्रश्न देखे और अंत में समय बचने पर उलझे हुए प्रश्न को सुलझाने का प्रयत्न करे.
Role of Parents in Exam (Pic: pocketnewsalert.com)
इस तरह भी कर सकते हैं सपोर्ट
- भोजन करते समय सभी लोग इकठ्ठा हों तो बच्चे को भी शामिल करना चाहिए, ताकि किताबों से थोड़ा दूर होकर बदलाव मिले. शरीर का हिलना डुलना भी जरुरी है. अतः थोड़े अंतराल से चहलकदमी कर लेने से अच्छा महसूस होता है.
- कुछ पेरेंट्स अन्धविश्वास मानने वाले होते हैं. सामने कुछ दिख जाये या बिल्ली रास्ता काट जाये तो अपशकुन मानते हैं. इन चीजों से बच्चे का आत्मविश्वास डगमगा सकता है. अतः ना पेरेंट्स को इन चीजों पर यकीन करना चाहिए ना बच्चे को डराना चाहिए.
- परीक्षा के दौरान अभिभावक बच्चों के लिए अलग से टाइम निकाल सकते हैं. उनके साथ उनकी पढ़ाई में मदद कर सकते हैं. कुछ नए क्रिएटिव तरीक़ों से उनको पढ़ने के ट्रिक दे सकते हैं, जिससे रोमांच पैदा हो सके और पढ़ाई में दिलचस्पी बढ़ सके. आपस में सवाल जवाब कर सकते हैं, जिससे एक रोचकता का आगाज़ हो सकता है, जिसका परीक्षा हाल में बेहतर अंजाम होने की सम्भावना बढ़ जाती है.
ध्यान रहे इन बातों पर भी
तमाम रिपोर्ट्स के मुताबिक, परीक्षा के दौरान बच्चों का तनाव में आना, दुखी होना और मन का अवसाद से घिर जाना एक सामान्य प्रक्रिया है. पर, इसके बावजूद खुद की क्षमताओं पर संदेह करना और खुद को कमतर आंकना नकारात्मक सोच का परिणाम है, जो कतई ठीक नहीं. अभिभावकों को अपने बच्चों की ऐसे मनोदशा पर खास तौर से ध्यान देना और ऐसी स्थिति होने पर सर्तकता बरतना बेहद जरूरी है. आमतौर पर माता-पिता बच्चों के ऐसे मनोभावों को पूरी तरह नहीं समझ पाते, जिसका कई बार घातक परिणाम सामने आता है.
अभिभावक को परीक्षा के समय बच्चों की बच्चे की रुचि व क्षमता के आधार पर आगे के विकल्प तलाशने की ओर काम करना चाहिए. बच्चों से लगातार संवाद बनाने चाहिए. जरूरत पड़े तो बच्चे के व्यवहार में परिवर्तन होने पर मनोचिकित्सक की भी मदद ली जा सकती है.
लब्बो लुआब के रूप में हम कह सकते हैं कि परीक्षा का समय बच्चों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण होने के साथ बेहद तनावपूर्ण भी होता है. खासतौर पर तब जब बच्चा पहली बार बोर्ड की परीक्षा दे रहा हो. लेकिन बच्चे को माता-पिता का साथ एक दोस्त की तरह मिले, तो यह समय बच्चे के लिए यादगार और खुशनुमा बन सकता है.
“आने वाली परीक्षाओं के लिए छात्रों को हमारी ओर से शुभकामनायें. “
Role of Parents in Exam (Pic: naradanews.com)
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