11 सितंबर 2001 का वह दिन किसी आम दिन जैसा ही था. हर कोई अपने दैनिक कार्यों में व्यस्त था. सब कुछ आराम से चल रहा था. तभी टीवी पर आई एक खबर ने पूरे अमेरिका को हिला कर रख दिया. खबर थी कि अमेरिका की प्रसिद्ध बिल्डिंग वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर एक प्लेन टकरा गया था, जिससे पूरे अमेरिका में अफरा-तफ़री मच गई थी. लोग अपने परिजनों को फ़ोन कर रहे थे. टीवी पर मरने वालों की संख्या में लगातार इजाफा होता जा रहा था. देखते ही देखते अमेरिका में मातम छा गया.
तो आइए उस दिन की पूरी वारदात के हर पहलू को नज़दीक से जानने की कोशिश करते हैं…
महंगी पड़ी ‘लापरवाही’
कहते हैं कि कभी-कभी एक छोटी सी गलती बहुत भारी पड़ जाती है. ऐसा ही कुछ अमेरिका के साथ भी हुआ था. उस रोज चार प्लेनों को 19 आतंकियों ने हाईजैक कर रखा था. चारों प्लेन अलग-अलग एअरपोर्ट से अपनी मंजिल के लिए निकले थे. उनमे से तीन प्लेन लॉस एंजेलिस के लिए निकले थे, और चौथे प्लेन ने सैन फ्रांसिस्को के लिए उड़ान भरी थी. सारे आतंकी अलग-अलग एअरपोर्ट पर बंट गए थे.
सभी ने उन प्लेनों की टिकट ली हुई थी, जैसे कोई आम नागरिक लेता है. वह सब आतंकी संगठन अलकायदा के आतंकी थे. वही अलकायदा, जिसका वास्ता कुख्यात आतंकी ओसामा बिन लादेन से था. कुछ आतंकी बाहर से आये थे, तो कुछ साल भर से अमेरिका में ही रह रहे थे. यह भी बात सामने आई थी कि कुछ आतंकी अमेरिका में प्लेन उड़ाने की ट्रेनिंग तक ले रहे थे.
ऐसे में सवाल यह था कि अमेरिकी सुरक्षा में चूक कैसे हुई?
प्लेन पर चढ़ने से पहले टाइट चेकिंग का बंदोबस्त भी था. माना जाता है कि यहां से किसी भी अनचाही चीज़ जैसे बंदूक, चाक़ू, आदि को अपने साथ ले जाना नामुमकिन होता है. किन्तु, आतंकी इस सुरक्षा घेरे को पार करने में सफल रहे. सुरक्षा में ढील होने के कारण वह अपने साथ चाक़ू और कटर प्लेन के अंदर ले जाने में सफल रहे थे. उन्होंने जानबूझकर सुबह की फ्लाइट चुनी थी, ताकि दूर के सफ़र में प्लेन पर ज्यादा ईंधन भरा जाता है. वह इसका प्रयोग अपनी योजना के तहत करना चाहते थे.
अमेरिका की इस छोटी सी भूल का फायदा उठाकर आतंकी प्लेन पर सवार होने में सफल रहे थे. सभी प्लेनों ने अभी अपनी उड़ान भरी ही थी कि आतंकियों ने अपने हथियार बाहर निकाल लिए. प्लेन में आतंकियों को देख कर सबके चेहरों की रौनक गायब हो गई थी. उनकी आंखों में सिर्फ डर दिख रहा था. देखते-देखते ही आतंकी पूरी तरह से प्लेन पर कब्ज़ा करने में सफल रहे थे.
The Story Of 9/11 Attacks (Representative Pic: fortune)
आसमान से मौत बन के आया प्लेन
आम लोगों को अभी इसकी खबर नहीं लगी थी. वह रोज की तरह अपने काम में लगे हुए थे. सड़क पर आवाजाही थी. सब अपने में मस्त थे. तभी एक विस्फोट की आवाज़ सुनायी दी. लोगों ने पीछे मुड़कर देखा तो ‘वर्ल्ड ट्रेड सेंटर’ की एक बिल्डिंग धूं-धूं करके जल रही थी. आग की लपटें आसमान छू रहीं थी. सभी समझने की कोशिश कर रहे थे कि आखिर हुआ क्या?
पुलिस और राहतकर्मी मौके पर पहुंचे तो थे, लेकिन उनके लिए भी बिल्डिंग के भीतर फंसे लोगों को बचाना आसान नहीं था. आग तेजी से फैलती जा रही थी. नीचे के माले वाले लोग तो जैसे-तैसे बाहर आ गए थे, लेकिन ऊपर वाले भगवान के सहारे थे.
पहले हमले को हुए सिर्फ 20 मिनट हुए थे. लोगों को बचाने का अभियान चल ही रहा था… तभी दूसरा प्लेन आकर वर्ल्ड ट्रेड सेंटर की दूसरी बिल्डिंग से टकरा गया. अभी तक जिसे सब एक हादसा समझ रहे थे, वह असल में एक आतंकी हमला था. गजब की बात तो यह है कि अमेरिका के तात्कालिक राष्ट्रपति जॉर्ज बुश भी इसे पहले एक हादसा ही मान रहे थे. वह उस समय एक स्कूल में बच्चों से मिलने गए हुए थे.
बाद में दूसरे हमले की खबर ने उन्हें हैरान कर दिया था. उन्होंंने तत्काल ही एक प्रेस कॉन्फ्रेंस रखवाई और इसे दु:खद घटना बाताया. बुश चुप हुए ही थे कि कुछ मिनटों बाद ही तीसरे प्लेन के गिरने की भी खबर आ गई थी. तीसरा प्लेन अमेरिका के पेंटागन में गिरा था. उसके बाद चौथे प्लेन की गिरने की भी खबर आई, लेकिन वह एक खाली मैदान में जा गिरा था.
एक के बाद एक हुए हादसों से पूरा अमेरिका हिल गया था. अमेरिकी राष्ट्रपति को समझ नहीं आ रहा था कि आखिर वह क्या करें. जहां, एक तरफ इस हादसे की गूंज से लोग घरों से निकल सड़कों पर उतर आये थे. वहीं, दूसरी तरफ सैकड़ों लोग धुएं के कारण मारे जा रहे थे. यही नहीं कई लोग मलबे में दबकर, तो कुछ लोग बिल्डिंग से ही नीचे कूदकर अपनी जान गंवा चुके थे.
आंकड़ों की मानें तो 2,700 से ज्यादा लोग उस दिन मारे गए थे. इसमें प्लेनों में सवार सभी यात्री भी थे. पूरे अमेरिका में इस घटना से सन्नाटा छा गया था. हर तरफ बस रोने की आवाज़ थी. सुहानी सुबह एक खूनी शाम में तब्दील हो चुकी थी. देश पर हुए ऐसे हमले ने पूरे अमेरिका समेत विश्व समुदाय को झंझोड़ कर रख दिया था.
World Trade Center After Crash (Pic: theatlantic)
… पर अलकायदा को घुटने टेकने पड़े और रेंगना पड़ा आतंकी लादेन को!
9/11 के हमले ने अमेरिका की ताकत पर सवालियां निशान खड़े कर दिये थे. वह इसका मुंहतोड़ जवाब देना चाहता था. हमले की जिम्मेदारी आतंकी संगठन अलकायदा के सरगना ओसामा बिन लादेन ने ली थी. ओसामा के हमले की बात कबूलने के बाद तो अमेरिका ने फैसला कर लिया था कि वह अब ओसामा और अलकायदा का खात्मा करके रहेगा. अमेरिका ने कुछ नहीं सोचा और अलकायदा के गढ़ अफगानिस्तान पर सेना भेज दी.
उन्होंने पूरे अफगानिस्तान से चुन-चुन कर अलकायदा के आतंकियों को मारना शुरू कर दिया था. ओसामा तो उनके हाथ नहीं लगा, लेकिन अलकायदा पर हमला कर अमेरिका ने ओसामा को चेतावनी दे दी थी कि असका आखिरी वक्त आ गया था. 2001 से ही अलकायदा के आतंकियों को मारना शुरू कर दिया गया था. अपने इस आतंकी मारो मिशन को अमेरिका ने ‘वॉर ऑन टेरर’ नाम दिया था. अलकायदा का साथ देने वाला तालिबान भी जब अमेरिका के सामने आया तो उसने उसे भी नहीं बख्शा था. खुद ओसामा बिन लादेन पाकिस्तान में छिपा हुआ पाया गया, जिसे अमेरिकी सैनिकों ने बुरी तरह घेर कर मारा डाला. पाकिस्तान की भी इस वाकये को लेकर समूचे विश्व में खूब किरकिरी हुई.
थोड़े ही समय में अमेरिकी सेना ने तालिबान को घुटनों पर ला दिया. इसके साथ ही अमेरिका ने इराक पर भी हमला किया, क्योंकि उन्हें शक था कि सद्दाम हुसैन आतंकियों से मिला हुआ था. अमेरिका को लगा था कि सद्दाम ने कुछ खतरनाक हथियार छिपाए हुए हैं, जो वह आतंकियों को देने वाला था. आखिर में सद्दाम हुसैन को इराक की अदालत ने मौत की सजा दे दी.
आर्थिक मंदी का दौर…
9/11 के बाद अमेरिका को काफी समय तक आर्थिक परेशानियां झेलनी पड़ी थी. चार दिन के लिए अमेरिका का स्टॉक मार्केट बंद पड़ गया था. हमले के बाद से ही वह निरंतर नीचे गिरने पर लगा हुआ था. इसका एक बड़ा कारण यह भी था कि अमेरिका अपने बजट का बड़ा हिस्सा अफगानिस्तान में हो रहे मिशन पर लगा रहा था. कहते हैं कि यह ऐसा दौर था, जब अमेरिका में लोगों के पास नौकरी की तंगी आ गई थी. अमेरिका को इससे उभरने में एक लंबा समय लगा था.
American Soldiers In Afghanistan (Pic: discovermagazine)
9/11 का आतंकी हमला न सिर्फ अमेरिका बल्कि, पूरे विश्व के लिए ही एक बुरा दिन था. यह बात और है कि इस हमले के सरगना ओसामा बिन लादेन को भी अमेरिका ने आखिरकार मार गिराया था, पर निर्दोष जानों के जाने का दुःख लम्बे समय तक महसूस किया जाता रहेगा. इस हमले को कई साल बीत गये हैं, लेकिन इसकी कटु यादें आज भी रह-रह कर लोगों की आंखों को नम कर देती है. खासकर उन लोगों की जिन्होंने इसमें अपने कंधों पर अपने अपनों की लाशें उठाई थी.
Web Title: The Story Of 9/11 Attacks, Hindi Article
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