यूं तो दिल्ली में कई यादगार चीजें हैं, किन्तु इन सबमें ‘रीगल’ का ख़ास स्थान था. वही सिंगल स्क्रीन थिएटर जो 85 साल के अपने यादगार सफ़र के बाद, अब हम सबसे विदा ले चुका है. ‘रीगल’ जो किसी जमाने मे फिल्म और राजनैतिक जगत के बड़े दिगज्जों की पहली पसंद माना जाता था, अब उसका परदा गिर चुका है. कहा जाता है कि रीगल कनॉट प्लेस के पुराने वजूद की याद दिलाता था. आज भले ही रीगल नहीं रहा, लेकिन उसकी यादें हमेशा रहेंगी. तो आइये ‘रीगल’ के कुछ पुराने किस्सों की ओर चलते हैं:
अतीत के किस्से…
1932 में बने रीगल सिनेमा को दिल्ली का सबसे पुराना सिंगल स्क्रीन थियटर माना जाता था. कहते हैं कि इस सिनेमाघर में अगर कोई भी नयी फिल्म लगती थी, तो दर्शकों का जन सैलाब कनॉट प्लेस में उमड़ पड़ता था. इस सिनेमाघर में कई सारे बॉक्स बने थे, जिनमें एक साथ अलग-अलग समूह के लोग फिल्मों का आनंद लेते थे.
रीगल के बारे में एक किस्सा बहुत मशहूर है, जिसके तहत इसके ऊपर के भाग में लोग कभी चवन्नी देकर लोग अपना मनपसंद गाना सुना करते थे. साथ ही फिल्म के ब्रेक के दौरान 2 रुपये में काफी व बिस्कुट का आनंद लिया करते थे.
जिस जमाने में लोगों के पास अपनी गाड़ी नहीं होती थी और सार्वजानिक गाड़ियों का चलन था, उस जमाने में रीगल तमाम लोगों की जीविका का साधन हुआ करता था. लोग रीगल-रीगल कहकर अपनी सवारियों को बुलाया करते थे. कभी कनॉट प्लेस में रीगल का बोलबाला था. कुल मिलाकर रीगल जैसा रुतबा किसी भी दूसरे सिनेमाघर का नहीं था, ऐसा कहा जा सकता है.
The Story of Regal Cinema, Regal Old Movie Hall (Pic: lifestyle)
कपूर खानदान से था ‘अनूठा’ नाता
मुम्बई फिल्म नगरी का कोई कलाकार दिल्ली आये और रीगल सिनेमा न आये ऐसा सामान्यतः नहीं होता था. रीगल से सबसे ज्यादा लगाव कपूर खानदान का था. राजकपूर तो रीगल को अपना सबसे लकी सिनेमा घर मानते थे, उनकी ज्यादातर फिल्मों का शुभ-मुहर्त इसी रीगल सिनेमा में होता था.
फिल्म के रिलीज़ होने से पहले राजकपूर अपने पूरे परिवार के साथ इस सिनेमा घर में हवन किया करते थे. इसके लिए पूरे सिनेमा हाल को फूलों से दुल्हन की तरह सजाया जाता था. ऋषि कपूर की पहली फिल्म बाबी का भी प्रीमियर यही हुआ था.
खबरों की मानें तो रीगल के बंद होने की खबर से ऋषि कपूर बहुत भावुक हुए और उन्होंने ट्विटर में रीगल की एक तस्वीर साझा करते हुए लिखा कि ‘दिल्ली का एडियस रीगल थिएटर बंद हो रहा है, एक ऐसी जगह, जहां कपूर परिवार के सभी नाटक एवं सिनेमा प्रदर्शित किये गये’.
नेहरू और माउंटबेटन का भी पसंदीदा
आम आदमी तो आम, रीगल बड़े राजनेताओं के लिए भी खास था. रीगल जब शुरु हुआ तो इसमेंं अंग्रेजी नाटकों का आयोजन भी होता था, जिसे देखने के लिए स्वतंत्र भारत के पहले गवर्नर जनरल लार्ड माउंटबेटन जरुर जाते थे. यहां तक कि भारत के प्रथम प्रधान मंत्री जवाहर लाल नेहरू तक को अक्सर यहां देखा गया. कहां जाता है कि ‘दिल्ली चलो’ नामक फिल्म नेहरू जी ने रीगल में ही देखी थी. एक बार तो उनका पूरा मंत्रिमंडल ‘रीगल’ में फिल्म देखने आया था. इसके अलावा राजेंद्र प्रसाद से लेकर इंदिरा गांधी जैसी कई बड़ी राजनैतिक हस्तियों का पंसदीदा सिनेमाघर था ‘रीगल’.
दक्षिण भारतीय फ़िल्में भी लगती थीं…
रीगल सिनेमा दक्षिण भारतीयों का भी पसंदीदा सिनेमा घर था. दिल्ली में दक्षिण भारतीय समुदाय के लोग भी एक बड़ी संख्या में रहते थे. इस लिहाज से ‘रीगल’ में सुबह के शो में दक्षिण भारतीय फिल्म दिखाई जाती थी, जिन्हेंं देखने के लिए दक्षिण भारतीय मूल के लोग पूरे परिवार के साथ आते थे.
The Story of Regal Cinema (Pic: hindustantimes.com)
‘रीगल’ के पर्दे पर आर्ट फिल्मेंं
यथार्थवादी फिल्मों के लिए रीगल सिनेमा की फिल्म जगत में बड़ी तारीफ की जाती थी. उन दिनों श्याम बेनेगल आर्ट फिल्मों के लिए ज्यादा जाने जाते थे. उनकी फिल्मों को बाकी सिनेमा घरों में जगह नही मिलती थी, तो उन्हें काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ता था. ऐसे में उन्हें रीगल सहारा देता था. रीगल में श्याम बेनेगल की अंकुर, मंथन, निशान्त आदि फिल्मों ने अच्छा बिज़नेस किया था.
‘रीगल’ जैसे सिनेमा घर, जो बंद हो गए
प्लाजा: इस सिनेमा घर को जसपाल शाहनी, फिल्म निर्माता के.के. मोदी और शम्मी कपूर ने मिलकर 1960 में ख़रीदा था. साल 1964 में यह सिनेमा हाल काफी चर्चा में रहा. इसमें एक हप्ते में सात अलग-अलग फिल्में दिखाई जाती थी.
रिवोली: रिवोली कनॉट प्लेस का सबसे छोटा सिनेमा हाल माना जाता था. यह सिनेमा हाल 1934 में बनाया गया था. 1960 में इसे पूरी तरह वातानुकूलित किया गया था, इसलिए लोग इस हाल में फिल्म देखने के लिए उत्सुक रहते थे.
ओडियन: ओडियन का डिजाइन ब्रिटिश वास्तुकार टोर रसेल ने किया था. यह सिनेमा घर 1939 में बन के तैयार हुआ था. कहा जाता है कि इस सिनेमा हाल में एक अलग किस्म की बालकनी बनाई गई थी, जो वी.आई.पी लोगों के लिए रिज़र्व रहती थी.
गोलचा: बीते कुछ दिनों पहले ही गोलचा भी बंद कर दिया गया.आधुनिक सुविधाओं से लैस गोलचा का उद्धघाटन 1954 में उपराष्ट्रपति एस राधाकृष्णन ने किया था. जब मुगले आज़म आई थी तब लगभग चार दिन तक इसमें दर्शको की संख्या न के बराबर थी, लेकिन धीरे-धीरे गोलचा ने भी दिल्ली वासियों का दिल जीत लिया था.
The Story of Regal Cinema, Golcha Cinema Hall (Pic: mapio)
चलते-चलते…
- रीगल में राज कपूर की अंतिम फिल्म सत्यम शिवम् सुंदरम लगी थी, जो 25 हफ़्ते चली.
- रीगल सिनेमा जाने माने निर्माता निर्देशक वी शांताराम का भी पसंदीदा सिनेमा घर था.
- रीगल सिनेमा में 660 सीटें थी, लेकिन उस जमाने में 800 से ज्यादा लोग बैठ सकते थे.
- इस सिनेमा हाल में नेता बनने से पहले अमित शाह और अरविन्द केजरीवाल भी आया करते थे.
- रीगल में लगने वाली आखिरी दो फिल्में, ‘मेरा नाम जोकर’ और ‘संगम’ थी.
- इस मशहूर सिनेमा को जाने माने लेखक खुशवंत सिंह के पिता सरदार शोभ सिंह ने खोला था.
- रीगल सिनेमा का डिजाईन वाल्टर स्काई जार्ज ने बनाया था .
- मीना कुमारी की फिल्म ‘फूल और पत्थर’ ने यहां सिल्वर जुबली मनाई थी
- बॉबी के टिकट में इनाम के रूप में एक मोटर साइकिल रखी गई थी, जिसे ‘रीगल’ के एक कर्मचारी ने जीती थी.
‘रीगल’ कोई पहला सिनेमाघर नहीं है, जो इस तरह बंद हुआ हो. रीगल जैसे कई और नाम हैं, जिनका शानदार सफ़र खत्म हो गया है. असल मेंं जितने भी सिनेमा घर बंद हुए हैं, उसका सबसे बड़ा कारण यह है कि आज की युवा पीढ़ी नई तकनीक से जुड़ना चाहती है. दिन-ब-दिन सिनेमा में नई तकनीक का जिस तरह से विस्तार हुआ, उसमें रीगल जैसे पुराने सिनेमाघर बहुत पीछे रह गए. अब सिंगल स्क्रीन थियेटर की जगह मल्टीप्लेक्स का ज़माना है. परिणामतः सिंगल स्क्रीन थियेटर्स की आर्थिक हालत खस्ता होती चली गई और इन्हें बंद करना पड़ा. पर इनकी बेहतरीन यादें कभी भुलाई नहीं जा सकेंगी, क्योंकि इन सभी का जुड़ाव लोगों के दिलों से लम्बे समय तक रहा है.
The Story of Regal Cinema (Pic: sundayguardianlive.com)
Web Title: The Story of Regal Cinema, Hindi Article
Keywords: Regal Cinema, Prime Minister Jawaharlal Nehru,Indira Gandhi, Kapoor family, Rishi Kapoor, Entertaining, Single-Screen, Raj Kapoor, Delhi, India, Delhi’s Regal Cinema
Featured image credit / Facebook open graph: businesswire.com