प्रशासनिक अधिकारियों के बारे में अक्सर कहा जाता है कि वह राजनेताओं की कठपुलती बनते जा रहे हैं. ऐसे में हम आपके लिए लेकर आए हैं, प्रशासनिक सेवा में कार्यरत कुछ ऐसे अधिकारियों की सूची, जिन्होंने सत्ता के सामने घुटने नहीं टेके. ये अधिकारी अपनी सर्विस के दौरान अपने काम को लेकर हमेशा सुर्खियों में रहे. हालाँकि, कई बार विवादों की वजह कुछ दूसरी भी होती है, पर इस बात की तारीफ़ होनी चाहिए कि इन्होंने किसी राजनीतिक दबाब को अपने ऊपर हावी नहीं होने दिया. अपनी कार्यशैली के लिए इन अधिकारयों ने तबादलों और निलंबन तक का सफ़र भी तय किया, लेकिन ये काम से पीछे नहीं हटे:
अशोक खेमका
अशोक खेमका को सोनिया गांधी के दामाद, रॉबर्ट वाड्रा से जुड़े 57 करोड़ रुपयों के जमीन सौदे की अनियमितताओं को सबके सामने लाने के लिए जाना जाता है. इससे पहले इन्होंने हरियाणा बीज विकास निगम के घोटाले का पर्दाफाश किया था. इनकी पहली पोस्टिंग साल 1993 में हुई थी. खेमका अपनी नौकरी में सबसे ज्यादा तबादले झेलने वाले अफसर भी माने जाते हैं.
वह अपनी नौकरी के दौरान अलग-अलग विभागों में कार्य कर चुके हैं. वे सिर्फ़ दो बार ही एक साल से अधिक समय तक किसी पद पर रहने वाले अधिकारी भी हैं. अपनी कार्यशैली के कारण वह हमेशा सत्ता के निशाने पर रहे, लेकिन वह टूटे नहीं.
Ashok Khemka (Pic: indianexpress.com)
हर्ष मंदर सिंह
1955 में जन्में हर्ष मंदर सिंह 1980 में आईएएस बने थे. आईएएस सेवा से जुड़ने के बाद उन्होंने अपने नाम से सिंह हटा लिया था ताकि वे किसी एक ख़ास जाति के न लगें. हर्ष मंदर करीब दो दशक तक आईएएस रहे. इस दौरान वे मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ के अलग-अलग हिस्सों में तैनात रहे. कहा जाता है कि 1989 में नर्मदा बचाओ आंदोलन के दौरान उन्होंने मेधा पाटकर और बाबा आम्टे के शांतिपूर्ण प्रदर्शन को रोकने से इंकार कर दिया था. साल 1990 में उन्होंने मध्यप्रदेश के रायगढ़ जिले में एक ताकतवर भाजपा नेता की दो हजार एकड़ जमीन गरीबों में बांट दी थी. इस दौरान हर्ष मंदर का 22 से ज्यादा बार ट्रांस्फर किया गया.
संजीव भट्ट
आईपीएस संजीव राजेंद्र भट्ट सुप्रीम कोर्ट में गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ़ हलफ़नामा दायर करने के बाद सुर्ख़ियों में आए. इस हलफ़नामे में उन्होंने कहा कि गुजरात में वर्ष 2002 में हुए दंगों में नरेंद्र मोदी की भी भूमिका थी. 49 वर्षीय आईपीएस अधिकारी संजीव भट्ट इस समय गुजरात पुलिस सेवा से निलंबित हैं. 2011 में उन्हें अपने एक मातहत सिपाही पर दबाव डालने के आरोप में जेल भी भेजा गया था. आईआईटी मुंबई से पोस्ट ग्रेजुएट संजीव भट्ट वर्ष 1988 में भारतीय पुलिस सेवा में आए थे.
दुर्गा शक्ति नागपाल
दुर्गा शक्ति नागपाल ने 2011 में पंजाब कैडर में बतौर आईएएस अधिकारी अपना करियर शुरु किया था. पंजाब में बतौर आईएएस अधिकारी अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने मोहाली में जमीन घोटाले का पर्दाफाश किया था. अगस्त 2012 में वे उत्तर प्रदेश कैडर में चली गईं. यहां उन्हें गौतम बुद्ध नगर का एसडीएम नियुक्त किया गया था. यहां उन्होंने ग्रेटर नोएडा, उत्तर प्रदेश में ‘रेत माफिया’ के खिलाफ कार्रवाई की थी.
दुर्गा शक्ति नागपाल को 27 जुलाई को उत्तर प्रदेश सरकार ने सांप्रदायिक सद्भाव बिगाड़ने के आरोप में निलंबित कर दिया गया था. हालांकि विपक्ष के मुताबिक उन्हें रेत खनन माफ़िया के ख़िलाफ़ कार्रवाई करने के कारण निलंबित किया गया था.
Durga Shakti Nagpal (Pic: timesofindia)
रजनी सेखरी सिबल
रजनी सेखरी सिबल 1986 बैच के हरियाणा कैडर की आईएएस अधिकारी हैं. इन्हें हरियाणा में जेबीटी शिक्षक भर्ती घोटाले को उजागर करने मे मदद करने के लिए जाना जाता है. उन पर चौटाला सरकार ने 3200 जीबीटी टीचर्स के रिजल्ट को बदलवाने का दबाव डाला था. उन्हें रिश्वत देने की कोशिश भी की गई. जब उन्होंने मना किया तो उनका ट्रांसफर कर दिया गया. यह वही भर्ती घोटाला था, जिसमें हरियाणा के भूतपूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला दोषी पाए गए थे और उन्हें सजा भी हुई.
भूरे लाल
उत्तर प्रदेश काडर के 1955 बैच के आईएएस अधिकारी भूरे लाल 35 साल से अधिक साल तक आईएएस रहे. इस दौरान वे प्रधानमंत्री कार्यालय, वित्त मंत्रालय और केंद्रीय सतर्कता आयोग समेत कई अन्य अहम पदों पर रहे. अपनी ईमानदारी, कर्तव्यनिष्ठा और निडरता से उन्होंने अलग पहचान बनाई. राजीव गांधी की सरकार में वीपी सिंह जब देश के वित्त मंत्री थे, तब प्रवर्तन निदेशालय के मुखिया भूरे लाल थे. इस दौरान उन्होंने अनिल अंबानी और अमिताभ बच्चन समेत कई बड़े उद्योगपतियों के यहां छापेमारी की कार्रवाई की थी.
बी. चंद्रकला
आईएस बी. चंद्रकला एक ऐसी अधिकारी है, जो पिछले कुछ समय से लगातार सुर्खियों में बनी हुईं हैं. आंध्रप्रदेश की रहने वाली चंद्रकला 2008 में उत्तर प्रदेश कैडर में आईएएस अधिकारी बनी थीं. चंद्रकला भ्रष्टाचार एवं सरकारी कार्रवाईयों में अनियमितताओं के खिलाफ सख्त रुख अपनाने वाली अधिकारी के तौर पर लोगों में लोकप्रिय हैं. वे राजनीतिज्ञों को उनके अधिकारों का गलत प्रयोग को रोकने के लिए जानी जाती हैं. ग़ौरतलब है कि 7 जनवरी 2017 को बीजेपी सांसद साक्षी महाराज ने एक विवादित बयान दिया था, जिसमें उन्होंने कहा था, देश में बढ़ती जनसंख्या के लिए मुसलमान ज़िम्मेदार हैं. उनके इस बयान पर कार्रवाई करते हुए बी चंद्रकला ने उनके खिलाफ कड़ी जांच के आदेश दिए थे.
B. Chandrakala (Pic: bijnortimes.in)
यू सागायम
यू सागायम 1991 के तमिलनाडु बैच के आईएस अधिकारी हैं. उनका 20 साल में 20 से ज्यादा बार ट्रांसफर हो चुका है. मदुरई में अवैध ग्रेनाइट माइनिंग पर की गई रिसर्च से कई बिजेनसमेन और नेताओं के खिलाफ एफाआईर दर्ज की गई. यू सागायम ने वेबसाईट पर अपनी संपत्ति घोषित करके राज्य के आईएएस अफसर के तौर पर इतिहास बनाया था.
यशवंत
यशवंत मालेगांव इलाके के एडिश्नल कलेक्टर थे. उन्होंने तेल माफियाओं के खिलाफ कार्रवाई की थी. इसके चलते 25 जनवरी 2011 में यशवंत को तेल माफिया पोपट शिंदे ने जिंदा जलाकर मार डाला. सोनावणे ने पोपट के ढाबे से 3 हजार लीटर केरोसीन और 4 हजार लीटर पेट्रोल जब्त किया था. फिलहाल उनकी हत्या के मामले की सीबीआई जांच कर रही है.
एम.एन. विजयकुमार
एम.एन. विजयकुमार 1981 के कर्नाटक कैडर के आईएएस अधिकारी हैं. यह कर्नाटक सरकार के कई हाई रैंक अधिकारियों के भ्रष्टाचार को उजागार करने के लिए जाने जाते हैं. इन्हें कई बार जान से मारने की धमकी मिल चुकी है. इसके अलावा उनका कई बार ट्रांसफर भी हो चुका है. 2015 में उन्हें रिटायरमेंट के तीन दिन पहले ही रिटायर कर दिया गया. इतना ही नहीं उन्हें रिटायरमेंट के बाद मिलने वाली सभी सुविधाओं को रोक दिया गया था.
डॉ सामित शर्मा
राजस्थान कैडर के डॉ. आईपीएस सामित शर्मा का उस वक्त तबादला कर दिया गया था, जब उन्होंने एक बाबू को निलंबित करने से मना कर दिया था. इस पर उनके समर्थन में 12 हजार सरकारी अधिकारी एक साथ छुट्टी पर चले गए थे. शर्मा अपने काम करने के अलग-अलग तरीकों की वजह से जाने जाते हैं. 2014 में उन्हें इन्वेस्टमेंट ब्यूरो का कमिश्नर बनाया गया था.
Dr. Samit Sharma (Pic: yogeshboss)
इन अफसरों ने भी नहीं टेके घुटने…
नवनीत कुमार: उत्तर प्रदेश के गोंडा जिले में एसपी के पद पर रहते हुए नवनीत कुमार राणा ने गन्ना शोध संस्थान के उपाध्यक्ष केसी पांडेय पर एक स्टिंग ऑपरेशन कर सुर्खियां बटोरी थी. इसके परिणाम स्वरुप इनका तबदला होम गार्ड के डीआईजी के तौर पर कर दिया गया था. जबकि केसी पांडेय को इस मामले में क्लीन चिट दे दी गई थी.
नरेन्द्र कुमार: 8 मार्च 2012 की दोपहर मध्य प्रदेश के जब मुरैना के लोग होली खेलने में मग्न थे तभी आईपीएस नरेन्द्र कुमार को अवैध खनन की सूचना मिली. जिसका विरोध करने पर आईएएस अफसर नरेन्द्र कुमार को अवैध खनन माफिया से भिड़ने की कीमत अपनी जान गंवाकर देनी पड़ी थी.
शुभ्रा: अफसर शुभ्रा 2008 में यूपीएससी टॉपर रही हैं. उनके लिए कहा जाता है कि जब वह रामपुर की डीएम थी, तब सपा सरकार के ताकतवर मंत्री आजम खान के इशारों पर काम करने से इंकार करने की वजह से उन्हें डीएम की कुर्सी से हटा दिया गया था.
जिया-उल-हक: जिया-उल-हक उत्तर प्रदेश के पीसीएस अफसर और प्रतापगढ़ में सीओ के पद पर तैनात रहे. जिया-उल-हक की मार्च में हत्या कर दी गई थी. जिया की छवि एक ईमानदार अफसर की थी. जिया अपने इलाके में असामाजिक तत्वों के खिलाफ सख्ती बरत रहे थे.
मुग्धा सिन्हा: मुग्धा सिन्हा 1999 बैच की राजस्थान कैडर की आईएस अफसर मुग्धा सिन्हा राजस्थान के झुंझनू जिले की पहली महिला जिलाधिकारी के तौर पर चर्चित रहीं. 2010 में मु्ग्धा सिन्हा ने स्थानीय माफियाओं पर नकेल कसी थी. इसके लिए उन्हें तबादला का सामना करना पड़ा.
Mugdha Sinha (Pic: bhaskar.com)
ईमानदार अफसरों के यह महज कुछ एक नाम हैं. ऐसे कई अन्य हैं जो रोज अपने कार्यों से सत्ता का दुरुपयोग करने वालों से लोहा लेते रहते हैं. हालाँकि, कई अफसर विवादित भी रहे हैं, बावजूद इसके इस बात की सराहना होनी चाहिए कि यह कई बार अपने साथ-साथ अपने परिवार की जान भी खतरे में डाल लेते हैं. ऐसे सभी अफसरों को शत-शत नमन जो ईमानदारी से देश के लिए समर्पित हैं.
Web Title: Top 16 Dedicated Officers of India, Hindi Article
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